सीवान जिले के मैरवा नगर क्षेत्र के वार्ड संख्या 10 स्थित कन्या मध्य विद्यालय में कमरों की कमी को देखते हुए वार्ड संख्या 10 के वार्ड अध्यक्ष सूरज कुमार ने जिलाधिकारी को ज्ञापन भेजा है। वार्ड सदस्य ने अपने पत्र में कन्या मध्य विद्यालय में वर्गों एवं छात्रों की संख्या के अनुपात में कमरों की कमी बताया है। उनका कहना है कि इस विद्यालय में वर्ग एक से आठ तक की पढ़ाई होती है। जिसमें लगभग तीन सौ छात्र पढ़ते हैं। इसके लिए न्यूनतम आठ वर्ग कक्षा की आवश्यकता है। लेकिन यह विद्यालय केवल तीन कमरों के भवन में संचालित होता है। जिसमें वर्ग एक से आठ तक की पढ़ाई होती है। वहीं विद्यालय में मध्याह्न भोजन योजना के लिए कोई किचन नहीं होने के कारण रसोइयों द्वारा बच्चों के वर्ग कक्ष में ही भोजन पानी आदि की व्यवस्था भी की जाती है तथा रसोई के सामान जैसे राशन एवं सिलेंडर आदि भी रखे जाते हैं। इससे छात्रों को पढ़ने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में छात्रों के पठन पाठन एवं सुरक्षा की समूचित व्यवस्था के लिए कमरे एवं किचेन का निर्माण अति आवश्यक है। उन्होने जिलाधिकारी से इस मामले को देखते हुए कमरे के निर्माण कराए जाने की मांग की है।

राज्यों की डायरी कड़ी संख्या 6 में माही होती शिक्षा हम इस पर यह कहना चाहेंगे कि प्रत्येक वर्ष 10 से 12% जो बीच में बढ़ोतरी होती है यह आम परिवार के लिए बहुत ही कठिन दायक है क्योंकि उसे परिवार में बेहद ही कम पैसे इनकम होते हैं ऐसे में बच्चों को पढ़ना बेहद दिक्कतों का सामना करना पड़ता है लेकिन माता-पिता क्या करें किसी भी हाल में बच्चों को पढ़ना तो चाहते हैं इसलिए हम यह कहना चाहेंगे कि स्कूलों की थी कम कर दी जाए तो बहुत अच्छी होगी। आईपीओ

दोस्तों, एक अनुमान के मुताबिक, हर वर्ष शिक्षा करीब 10 से 12 फीसदी की दर से महंगी होती जा रही है। हर शिक्षण संस्थान प्रत्येक वर्ष अपनी फीस बढ़ाते जा रहे हैं। घर के बाकी खर्चों पर महंगाई के बोझ के मुकाबले शिक्षा के क्षेत्र में महंगाई दोगुनी गति से बढ़ रही है। द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, भविष्य में शिक्षा और महंगी ही होगी। आज ग्रामीण क्षेत्रों में भी शिक्षा का महत्व काफी तेजी से बढ़ रहा है। सरकार का जोर विशेषकर लड़कियों को शिक्षित करने पर है। इससे प्राइमरी व माध्यमिक विद्यालयों तक तो किशोरियां पढ़ लेती हैं, लेकिन आर्थिक विपन्नता के कारण वह उच्च माध्यमिक व उच्च शिक्षा से वंचित हो जाती हैं। बाकि बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ वाला नारा याद ही होगा। खैर, हमलोग नारो के देश में रहते है और नारा लगाते लगाते खुद कब एक नारा बन जायेंगे , पता नहीं। .. तब तक महँगाई के मज़े लीजिए बाकि तो चलिए रहा है ! ----------तो दोस्तों, आप हमें बताइए कि आपके गांव या जिला के शिक्षा की की स्थिति क्या है ? ----------वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? ----------इस बढ़ती महँगाई के कारण शिक्षा पर होने वाला आपका खर्चा कितना बढ़ा है ? दोस्तों इस मुद्दे पर अपनी बात को जरूर रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर या मोबाइल वाणी एप्प में ऐड का बटन दबाकर।

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देश के सभी नागरिको को सही स्वास्थय मिले , इसे लेकर सरकार ने 2018 आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत की। यह भारत सरकार की एक हेल्थ स्कीम है, जिसके तहत आर्थिक रूप से कमजोर नागरिको को देश के अस्पतालों में 5 लाख रु तक की मुफ्त में इलाज की सुविधा दी जाती है. इसके तहत पहली अगस्त 2023 तक 24.33 करोड़ कार्ड बनाए गए हैं। ज़ाहिर है , सरकार ने इस योजना प्रचार बहुत व्यापक तौर पर किया। नेताओ के साथ साथ सरकारी जनता ने भी देश के नागरिको को समझाने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि सरकार गरीबो की मसीहा है। लेकिन आज 5 साल बाद अब इसी आयुष्मान भारत योजना की हकीकत अब लोगो के सामने आ रही है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. कैग ने इस योजना को लेकर जारी की अपनी अपनी ऑडिट रिपोर्ट में बताया है इस योजना के तहत ऐसे मरीज भी लाभ उठा रहे हैं, जिन्हें पहले मृत दिखाया गया था. यहीं नहीं इस योजना के तहत 9 लाख से ज्यादा लाभार्थी तो सिर्फ एक ही मोबाइल नंबर से जुड़े हुए पाए गए हैं. प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के सबसे ज्यादा आयुष्मान कार्ड धारक मध्य प्रदेश में ही हैं. यहीं पर सबसे ज्यादा लापरवाही देखी जा रही है. ---------------तब तक आप हमें बताइए दोस्तों कि आपके गांव या जिला के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज़ की स्थिति क्या है ? ---------------वहां पर आपको किस तरह की सुविधाएँ मिल रही है ? ---------------क्या आपके पास आयुष्मान भारत योजना का कार्ड है और क्या आप उसका लाभ उठा पा रहे है ? ----------------इस बढ़ती महँगाई के कारण स्वास्थ्य पर होने वाला खर्चा आपका कितना बढ़ा है ? दोस्तों इस मुद्दे पर अपनी बात को जरूर रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर या मोबाइल वाणी एप्प में ऐड का बटन दबाकर।

दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि भारत में हर साल 6.3 करोड़ लोगों को सिर्फ इसलिए गरीबी से जूझना पड़ता है क्योंकि उन्हें अपने स्वास्थ्य का खर्चा खुद उठाना पड़ता है। जिस देश में एक सांसद के स्वास्थ्य पर सरकार सालभर में 51 हजार रुपये से ज्यादा खर्च कर देती है, उसी देश के आम नागरिक के स्वास्थ्य पर सरकार 18 सौ रुपये के करीब ही खर्च कर पाती है। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2021 के मुताबिक, अगर गांव में कोई व्यक्ति सरकारी अस्पताल में भर्ती होता है, तो उसका औसतन खर्च 4,290 रुपये होता है. वहीं, गांव में निजी अस्पताल में भर्ती होने पर उसे 22,992 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इसी तरह शहर में सरकारी अस्पताल में भर्ती होने पर 4,837 और निजी अस्पताल में 38,822 रुपये का खर्चा आता है. तो अब आप ये सोचिए जिस देश में 70 से 80 करोड़ एक वक़्त के राशन के लिए मोहताज़ हो , वो कैसे इलाज़ करवा पाएंगे। -------तब तक आप हमें बताइए दोस्तों कि आपके क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था के क्या हालात है ? -------आपके सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर इलाज़ की स्थिति क्या है ? --------इस बढ़ती महँगाई के कारण स्वास्थ्य पर होने वाला खर्चा आपका कितना बढ़ा है ? --------दोस्तों इस मुद्दे पर अपनी बात को जरूर रिकॉर्ड करें अपने फोन से 3 नंबर का बटन दबाकर या फिर मोबाइल वाणी एप के जरिए एड का बटन दबाकर, क्योंकि याद रहे दोस्तों, बोलेंगे तो बदलेगा?

महंगाई के चलते आम लोग बच्चों को फल तक नहीं मिला पा रहे हैं

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महाराजगंज अनुमंडल शहर के सब्जी मंडी में टमाटर के भाव में अब भारी गिरावट हो गया है इसके पूर्व में टमाटर ₹200 प्रति किलो तक बिक रहा था लेकिन कई बार समाचार प्रकाशित करने के बाद अब टमाटर ₹60 प्रति किलो बिक रहा है जिससे लोगों में खुशी है और टमाटर की खरीदारी भी कर रहे हैं. दुकानदार सुनील कुमार ने बताया कि टमाटर बड़े व्यवसाई और किसान द्वारा ही महंगा बेचा जा रहा था जिसके कारण मंडी में भी महंगा हो गया था वहीं टमाटर के रेट गिरने के बाद प्याज ₹20 से 2 गुना बढ़कर ₹40 प्रति किलो बाजार में बिकने लगा है.