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सिवान: आज समूचा देश आजादी का 77वां महोत्सव मना रहा है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सिवान की धरती का भी अहम योगदान रहा है। स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में कई बार महात्मा गांधी, कस्तूरबा गांधी समेत अन्य नेताओं का आगमन इस धरती पर हो चुका है। बात सन 1927 की है। यह वह दौड़ था जब अंग्रेजी हुकूमत यहां के किसानों पर अत्याचार कर उनसे जबरन नील की खेती करवाते थे। उस समय बापू स्वतंत्रता संग्राम की लौ को तेज करने के लिए सिवान भी आए. बापू ने मैरवा में एक सभा भी किया। जिसमें लगभग 30 हजार लोग शामिल हुए। बापू ने सभा में महिलाओं से खद्दर खरीदने, स्वदेशी उत्पाद के लिए चरखा चलाने और उससे बने कपड़े पहनने का अपील किया था। महात्मा गांधी की सभा में शामिल हुए एक बुजुर्ग बताते हैं कि महात्मा गांधी ने दांडी मार्च और भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान नौतन मोड़ पर सभा को संबोधित किया. बापू ने नशा उन्मूलन की अपील की तो सबने खैनी की डिबिया फेंक दी. इस सभा के बाद स्वतंत्रता संग्राम की चिगारी धधक उठी थी. सिवान में बापू के साथ कस्तूरबा गांधी भी थीं. उस समय महात्मा गांधी ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ रणनीति बनायी थी।

बिहार राज्य के सिवान जिला से अमन श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से सामाजिक कार्यकर्ता साहिल से बातचीत किया। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है पेड़ो की कटाई। उन्होंने बताया कि वे लोगों को जागरूक करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए जाये

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बिहार राज्य के सिवान जिला के आन्दर प्रखंड से अम्बे ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में बदलाव हो गया है। इसे रोकने के लिए पेड़ पौधे लगाना बहुत जरूरी है।