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यह नौकरी उन लोगों के लिए है जो भारतीय डाक सर्किल द्वारा निकाली गयी ब्रांच पोस्ट मास्टर, असिस्टेंट ब्रांच पोस्ट मास्टर, एवं डाक सेवक के पद पर कार्य करने के लिए इच्छुक हैं। तीनों पदों पर कुल 44,228 रिक्तियां निकाली हैं। इन पदों के लिए मासिक वेतन 10,000 से 30,000 रूपए रखा गया है। वैसे उम्मीदवार इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिन्होंने किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से मैट्रिक पास किया हो।साथ ही आवेदन कर्ता की आयु 18 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए। इन पदों के लिए आवेदन शुल्क सामान्य वर्ग के लिए 100 रूपए तथा आरक्षित वर्ग एवं महिलाओं के लिए निशुल्क रखा गया है। इच्छुक उम्मीदवार को अपना आवेदन ऑनलाइन भरना होगा। अधिक जानकारी के लिए आवेदन कर्ता इस वेबसाइट पर जाकर जानकारी ले सकते हैं, वेबसाइट है www.indiapostgdsonline.gov.in/आवेदनकर्ताओं का चयन मेरिट लिस्ट के आधार पर किया जायेगा। याद रखिये आवेदन करने की अंतिम तिथि 05/08/2024 है।
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा नींबू के फसल के बारे में जानकारी दे रहे हैं। विस्तारपूर्वक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें
मोटाभाई ने महज एक शादी में जितना खर्च किया है, वह उनकी दौलत 118 बिलियन डॉलर का 0.27 है। जबकि उनकी दौलत कृषि संकट से जूझ रहे देश का केंद्रीय बजट का 7.5 प्रतिशत से भी कम है। जिस मीडिया की जिम्मेदारी थी कि वह लोगों को सच बताएगा बिना किसी का पक्ष लिए, क्या यह वही सच है? अगर हां तो फिर इसके आगे कोई सवाल ही नहीं बनता और अगर यह सच नहीं तो फिर मीडिया द्वारा महज एक शादी को देश का अचीवमेंट बताना शुद्ध रूप से मुनाफे से जुड़ा मसला है जो विज्ञापन के रुप में आम लोगों के सामने आता है। क्योंकि मीडिया का लगभग पचास प्रतिशत हिस्सा तो मोटाभाई का खुद का है और जो नहीं है वह विज्ञापन के लिए हो जाता है "कर लो दुनिया मुट्ठी में” की तर्ज पर। दोस्तों, इस मुद्दे पर आप क्या सोचते है ?अपनी राय रिकॉर्ड करें मोबाईलवाणी पर, अपने फोन से तीन नंबर का बटन दबाकर या फिर मोबाईल का एप डाउनलोड करके।
उत्तरप्रदेश राज्य के चित्रकूट जिला से कविता विश्वकर्मा मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि लिंग समाज की सामाजिक परिभाषा से संबंधित एक सामाजिक-सांस्कृतिक शब्द है। वे पुरुषों और महिलाओं के कार्यों और व्यवहारों को परिभाषित करते हैं जबकि सेक्स शब्द पुरुष और महिला को एक जैविक और शारीरिक घटना के रूप में परिभाषित करता है। शक्ति के कार्य के संबंध में, जहां पुरुष को महिला से श्रेष्ठ माना जाता है, इस प्रकार लिंग को मानव निर्मित सिद्धांत माना जाना चाहिए, जबकि लिंग मनुष्यों की एक प्राकृतिक और जैविक विशेषता है। लैंगिक असमानता का तात्पर्य लिंग आधारित हिंसा माना जा सकता है
उत्तरप्रदेश राज्य के चित्रकूट जिला से कविता विश्वकर्मा मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि लैंगिक असमानता के कारण के बारे में बता रही हैं कि उनका कहना है कि हम 21 वीं शताब्दी के भारतीय होने पर गर्व महसूस करते हैं जो एक बेटा होने की खुशी का जश्न मनाते हैं और अगर बेटी पैदा होती है तो शांत हो जाते हैं । यहाँ तक कि कोई उत्सव नहीं मनाने का नियम भी माना गया है। लड़कों के लिए इतना प्यार कि प्राचीन काल से ही लड़कियों के जन्म के समय या जन्म से पहले ही उन्हें मार दिया जाता है।
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