उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से अरविन्द श्रीवास्तव , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि भूमि अधिकार प्राप्त करने के लिए क्या है जो राजुव जी की डायरी में आया है और इसमें उन्होंने बहुत अच्छी तरह से समझाया भी है, लेकिन इन अधिकारों को पाने के लिए हम अभी बहुत सारी समस्याओं का सामना कर रहे हैं और इसमें सदियों लगेंगी। पुरुष और महिलाएँ एक साथ भूमि अधिकार प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन भारत में महिलाओं के भूमि अधिकारों का अध्ययन स्वतंत्रता के सात दशकों के बाद भी अधूरा माना जाता है। इसका मतलब यह है कि आधी आबादी की स्वतंत्रता अभी भी अधूरी है, इसके लिए भारत में महिलाओं की स्वतंत्रता को समाज और सरकार ने ही कम कर दिया है। अनुमान है कि छप्पन प्रतिशत ग्रामीण आबादी भूमिहीन है। उस भूमिहीन समाज में महिलाओं की क्या स्थिति है? यह बढ़ता और बढ़ता है, लेकिन महिलाओं को कब तक समाज और सरकार के सामने यह साबित करना होगा कि उन्हें समानता का संवैधानिक अधिकार है? महिलाओं को सार्वजनिक रूप से संपत्ति और भूमि के कानून में भी शामिल किया जाना चाहिए। उनमें से आधे को भी अभी तक यह नहीं मिला है। अधिकांश महिलाएँ कृषि में काम करती हैं लेकिन इसमें। किसान होने का अधिकार आज भी इस तथ्य के कारण हासिल नहीं किया गया है कि एक पुरुष प्रधान देश होने के नाते, भूमि को सदियों से पुरुषों का अधिकार माना जाता है। विश्वासी लोग इसलिए जा रहे हैं क्योंकि लोग यह नहीं समझते कि महिलाएं खेती भी कर सकती हैं। हमें पुरुषों के बराबर होने के लिए बहुत जागरूकता की आवश्यकता है और यह तब हो सकता है जब हम बैठकर उन महिला समूहों से बात करें, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से अरविन्द श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि हमारे देश में अलग-अलग धर्म के लोग रहते हैं और हर धर्म के अपने कानून हैं, लेकिन हिंदू धर्म में बात करते हैं पहली हिंदू विरासत की, जिसमें बेटियों और पत्नियों को शामिल करने के लिए कानूनों में भी संशोधन किया गया है। कुछ राहत मिली है लेकिन अभी तक पूरी तरह से राहत नहीं मिली है क्योंकि आज भी बेटियां पैतृक संपत्ति से वंचित रह जाती हैं।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से रमजान अली ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि समाज में असमानता की बहुत बड़ी चुनौती है। महिला पुरुष में असमानता देखा जाए तो पिछले जनगणना के अनुसार एक हज़ार पुरुष में 997 महिलाओं का अनुपात देखा जा रहा है । यह कही न कही एक विषम चुनौती है। लोगों को लैंगिक समानता के विषय में जागरूक होने की आवश्यकता है

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से रमजान अली ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि महिलाओं के साथ कोई भेदभाव न हो। पुरुष और महिला दोनों में समानता होना चाहिए। महिलाओं को सभी अधिकार मिलना चाहिए जो पुरुषों को मिलता है। चाहे नौकरी हो या राजनीति ,महिलाओं की भागीदारी होनी चाहिए

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से अरविन्द श्रीवास्तव , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि लैंगिक असमानता एक अपराध है। लड़का और लड़कियों में भेद भाव नहीं करना चाहिए। लोग लड़कों को अच्छे स्कूलों में पढ़ाते है जबकि लड़कियों को अच्छे स्कूलों में नहीं पढ़ाया जाता है। लोग सोचते है की लड़कियां सिर्फ घर का काम करे। लड़कियों का कम उम्र में ही शादी कर दिया जाता है। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को लैंगिक असमानता के खिलाफ आवाज उठाना चाहिए।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से विजय पाल चौधरी , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि सब्जियां बहुत महँगी हो गई है। बाजार में टमाटर भी महंगे हैं। इसलिए गरीब लोगों को सब्जियां खाने में परेशानी हो रही है।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से विजय पाल चौधरी , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि शिक्षा बहुत जरूरी है। शिक्षा के द्वारा मनुष्य कोई भी काम कर सकता है। शिक्षा के कारण ही लोगों का मान सम्मान होता है।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली ,की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से दिनेश कुमार चौधरी से हुई। दिनेश कुमार चौधरी यह बताना चाहते है कि महिलाओं को शिक्षा का अधिकार होना चाहिए।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली ,की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से बृजभान चौधरी से हुई। बृजभान चौधरी यह बताना चाहते है कि अगर समानता नहीं है लड़का और लड़कियों में तो लड़कियों को बहुत ज्यादा परेशानियां होता है। लड़कियां अच्छी शिक्षा नहीं ग्रहण कर पाती है।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से अरविन्द श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लैंगिक असमानता एक पितृसत्तात्मक समाज के रूप में, जो बहुत पीछे है और महिलाओं को अधिकार नहीं मिल रहे हैं, ये महिला अधिकार, जो इस समय देश के लिए पूर्ण हैं। समाज देश के आर्थिक विकास में बहुत योगदान दे सकता है अगर महिलाओं को पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले पुरुषों के साथ ले जाया जाए तो आर्थिक विकास में योगदान करने की अधिक संभावना है।