उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से शाहरुख खान से हुई। शाहरुख खान यह बताना चाहते है कि अपनी जमीन अपनी आवाज़ कार्यक्रम को सुनकर यह फैसला लिया है कि अपनी पैतृक जमीन में अपनी बेटी को भी हिस्सा देना चाहिए । जिससे वह अपनी परिवार को अच्छी तरीके से रख सके और समाज में आर्थिक रूप से मजबूत रहे।
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से मोहम्मद रिज़वान से हुई। मोहम्मद रिज़वान यह बताना चाहते है कि वह अपनी जमीन अपनी आवाज़ कार्यक्रम को सुनकर यह फैसला लिया है कि अपनी पैतृक जमीन में अपनी बेटी को भी हिस्सा चाहिए । जिससे वह अपनी परिवार को अच्छी तरीके से रख सके और समाज में आर्थिक रूप से मजबूत रहे।
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से मोहम्मद फरहान से हुई। मोहम्मद फरहान यह बताना चाहते है कि अपनी जमीन अपनी आवाज़ कार्यक्रम को सुनकर यह फैसला लिया है कि अपनी पैतृक जमीन में अपनी बेटी को भी हिस्सा देना चाहिए । जिससे वह अपनी परिवार को अच्छी तरीके से रख सके और समाज में आर्थिक रूप से मजबूत रहे।
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से बब्बू मिश्रा से हुई। बब्बू मिश्रा यह बताना चाहते है कि पिता बेटा और बेटी को एक निगाह से देखता है। लेकिन माँ बेटे के पक्ष में ज्यादा रहती है। शादी के बाद बेटी को उसके ससुराल में ही संपत्ति का अधिकार मिलना चाहिए।
उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द श्रीवास्तव की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से रमेश वर्मा से हुई। रमेश कहते है कि बहन को हिस्सा देने पर भाई ऐतराज़ करेगा पर बहन को हिस्सा मिलना चाहिए। अगर महिला के पास जमीन होगा तो उनपर होने वाली सताहट कम होगा। बेटा और बेटी एक सामान है तो बहन को बराबर का हिस्सा दे देना चाहिए। अगर महिला को हिस्सा नहीं होगा तो वो बेसहारा ही है। कानून तो बना है लेकिन उसपर लगने वाला शर्ते हटा देनी चाहिए।हर घर में बेटी को हिस्सा देनी चाहिए। कानून को ऐसा होना चाहिए की बेटी को जमीन में हिस्सा मिलना ही है तभी हर एक बेटी को अधिकार मिल पाएगा।
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से अरविन्द श्रीवास्तव की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से गुड़िया से हुई। गुड़िया यह बताना चाहती है कि महिलाओं को लोग दबा का रखना चाहते है। अगर महिला को जमीन में अधिकार दिया जाए तो उनका आत्म सम्मान बढ़ जायेगा। जिससे वह अपने अधिकार के लिए लड़ सकती है। वह जमीन में खेती कर सकती है और इससे महिलाओं के उत्पीड़न में भी कमी आएगी। समाज में उनका स्थान और ऊपर हो जायेगा। आज महिलाओं को पढ़ाया जा रहा है और वह पढ़ - लिख कर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी महिला को पढ़ाया नहीं जाता है। कई चीज़ों का अधिकार पुरुषों को ही दिया जाता है। जिसके कारण पुरष महिला पर हावी हो जाते है। जिससे महिला असहाय हो जाती है। अगर उनको ससुराल से निकाला जाता है तो वह अपने मायके भी नहीं जा सकती है। इसीलिए महिलाओं को जमीन में अधिकार मिलना चाहिए।
उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द श्रीवास्तव की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से कृष्ण प्रताप प्रेमचंद से हुई।कृष्ण प्रताप प्रेमचंद कहते है कि समाज में जागरूकता की कमी के कारण महिला शिक्षा में बाधा है। पुरुष प्रधान देश में महिला को पढ़ाया नहीं जाता है। अगर लोग जागरूक हो कर लड़कियों को पढ़ाए तो समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा। महिला सशक्त होगी ,समाज में महिला पुरुषों के साथ कन्धा से कन्धा मिला कर चलेगी। रोजगार करेगी तो वो अपने स्वास्थ्य की देखरेख अच्छे से कर पाएंगी। महिला शिक्षित होगी तो समय से अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रख कर इलाज करवा पाएगी । शिक्षा ही ऐसा साधन है जिससे उनका स्वास्थ्य अच्छा होगा ,आर्थिक दशा सुधरेगी और समाज में सकारात्मक बदलाव होगा। भारत सरकार या राज्य सरकार का सिलेबस में कानूनी शिक्षा को शामिल किया जाए ,जगह जगह नुकड़ नाटक,प्रखंड ,जिला स्तर में महिला जागरूकता को लेकर कार्यक्रम चलाया जाना चाहिए
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से मोहम्मद अज़ीज़ से हुई। मोहम्मद अज़ीज़ यह बताना चाहते है कि उनके गाँव में लोग इंटर और हाई स्कूल के बाद लड़कियों की शादी करने लग जाते है। जिस तरह पुरुषों को उच्च शिक्षा का अधिकार है , उसी तरह महिलाओं को भी उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार होना चाहिए। माहौल को देखते हुए लोग बच्चियों को शिक्षा प्राप्त करने हेतु ज्यादा दूर नहीं भेजना चाहते है इसीलिए सरकार द्वारा जगह - जगह विद्यालय की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि गाँव की बच्चियां भी पढ़ - लिख सके।
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से अरविन्द श्रीवास्तव की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से बोइना मोदी से हुई। बोइना मोदी यह बताना चाहती है कि लड़कियां शिक्षा लेना चाहती है लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण अभिभावक उनको अच्छे स्कूल में नहीं पढ़ा सकते है। सरकारी स्कूल में अच्छी पढ़ाई नहीं हो पाती है। महिला चाहती है की उनको अच्छी शिक्षा प्राप्त हो लेकिन परिवार वाले उन्हें घर से निकलने नहीं देते है। महिला शिक्षित होगी तभी वह आगे की जिंदगी में कामयाब होगी। महिला सरकारी अस्पतालों में नहीं जाना चाहती है। वह सिर्फ प्राइवेट अस्पतालों में ही जाना चाहती है। महिलाओं के लिए एक संस्था बनानी चाहिए जो उनको प्रेरित कर सके। परिवार के लोग लड़कियों को उच्च शिक्षा नहीं दिलाना चाहते है। लड़कियों को मीट्रिक और इंटर तक पढ़ाई करवा कर शादी कर दी जाती है। महिला दवाईयों का सेवन नहीं करना चाहती है। डॉक्टर के द्वारा अधिक दवाई लिख देने पर वह दवा नहीं खरीद पाती है। शिक्षा विभाग के तरफ से भी पहले सखी पढ़ाती थी। लेकिन अब इसकी भी व्यवस्था नहीं है।
उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द श्रीवास्तव की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से राकेश श्रीवास्तव से हुई। राकेश कहते है कि शहरी क्षेत्र में परिवार वाले लड़कियों को शिक्षा के प्रति जागरूक करते है और उन्हें आगे बढ़ाने में प्रोत्साहित करते है। वही ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल दूर होने के कारण लड़कियों को पढ़ने नहीं भेजा जाता है और उन्हें घर के कार्य करने तक ही सीमित रखते है। उनकी सोच है कि लकड़ियों को घर देखना है पढाई कर के करेंगी ही क्या। सरकार की ओर से कई सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जा रही है लेकिन अभिभावकों को जागरूक करना ज़रूरी है। ताकि वो बच्चियों को पढ़ाई में आगे बढ़ाए। सरकारी योजना की जानकारी होनी चाहिए ताकि वो इसका लाभ कैसे ले पाए। क्योंकि वो जागरूकता के अभाव में सरकारी सुविधा तक पहुँच नहीं पाते है। ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियों के लिए सरकार को थोड़ा ओर व्यवस्था करनी चाहिए क्योंकि ग्रामीण बच्चियाँ प्रतिभाशाली होती है लेकिन सुविधा की अभाव में प्रतिभा खत्म हो जाता है। आर्थिक सुविधा में सरकार स्वयं सहायता समूह शुरू किया है जिसमे महिला कार्य करती है। लेन देन कर रोजगार करती है ,लेकिन इसके विस्तार की आवश्यकता है क्योंकि सभी महिला को यह सुविधा नहीं मिल पा रहा है