उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द श्रीवास्तव की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से कृष्ण प्रताप प्रेमचंद से हुई।कृष्ण प्रताप प्रेमचंद कहते है कि समाज में जागरूकता की कमी के कारण महिला शिक्षा में बाधा है। पुरुष प्रधान देश में महिला को पढ़ाया नहीं जाता है। अगर लोग जागरूक हो कर लड़कियों को पढ़ाए तो समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा। महिला सशक्त होगी ,समाज में महिला पुरुषों के साथ कन्धा से कन्धा मिला कर चलेगी। रोजगार करेगी तो वो अपने स्वास्थ्य की देखरेख अच्छे से कर पाएंगी। महिला शिक्षित होगी तो समय से अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रख कर इलाज करवा पाएगी । शिक्षा ही ऐसा साधन है जिससे उनका स्वास्थ्य अच्छा होगा ,आर्थिक दशा सुधरेगी और समाज में सकारात्मक बदलाव होगा। भारत सरकार या राज्य सरकार का सिलेबस में कानूनी शिक्षा को शामिल किया जाए ,जगह जगह नुकड़ नाटक,प्रखंड ,जिला स्तर में महिला जागरूकता को लेकर कार्यक्रम चलाया जाना चाहिए

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द श्रीवास्तव की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से राकेश श्रीवास्तव से हुई। राकेश कहते है कि शहरी क्षेत्र में परिवार वाले लड़कियों को शिक्षा के प्रति जागरूक करते है और उन्हें आगे बढ़ाने में प्रोत्साहित करते है। वही ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल दूर होने के कारण लड़कियों को पढ़ने नहीं भेजा जाता है और उन्हें घर के कार्य करने तक ही सीमित रखते है। उनकी सोच है कि लकड़ियों को घर देखना है पढाई कर के करेंगी ही क्या। सरकार की ओर से कई सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जा रही है लेकिन अभिभावकों को जागरूक करना ज़रूरी है। ताकि वो बच्चियों को पढ़ाई में आगे बढ़ाए। सरकारी योजना की जानकारी होनी चाहिए ताकि वो इसका लाभ कैसे ले पाए। क्योंकि वो जागरूकता के अभाव में सरकारी सुविधा तक पहुँच नहीं पाते है। ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियों के लिए सरकार को थोड़ा ओर व्यवस्था करनी चाहिए क्योंकि ग्रामीण बच्चियाँ प्रतिभाशाली होती है लेकिन सुविधा की अभाव में प्रतिभा खत्म हो जाता है। आर्थिक सुविधा में सरकार स्वयं सहायता समूह शुरू किया है जिसमे महिला कार्य करती है। लेन देन कर रोजगार करती है ,लेकिन इसके विस्तार की आवश्यकता है क्योंकि सभी महिला कोयह सुविधा नहीं मिल पा रहा है

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से अरविन्द श्रीवास्तव , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि महिला की शिक्षा में बहुत अंतर देखने को मिलता है। अब लड़कियों को भी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया जाता है और परिवार द्वारा भी भेजा जाता है क्योंकि आज का समाज महिलाओं का है। यह उच्च स्तर तक पहुंचने के लिए उत्सुक है और यह तैयारी केवल शहरी क्षेत्रों में देखी जा सकती है। अगर ग्रामीण क्षेत्रों को ध्यान में रखा जाए तो आज भी बहुत अंतर है। लोग लड़कों को आसानी से बहार शिक्षा प्राप्त करने भेज देते है लेकिन लड़कियों को इंटर अथवा दसवीं करा कर घर के कामों में लगा दिया जाता है। लड़कियों की शादी भी बहुत कम उम्र में कर दी जाती है। लड़का और लड़कियों में भेद - भाव किया जाता है। महिला का अगर स्वास्थय अच्छा रहेगा तभी वह अपने परिवार का बोझ उठा सकेगी और अपने आप को समाज में ऊंचा उठा सकेगी। महिला को समय - समय पर जांच और टीकाकरण कराते रहना चाहिए। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए महिलाओं को आगे आने होगा।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से रमज़ान अली की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से प्रियंका से हुई। प्रियंका कहती है कि महिलाओं के आगे बढ़ने के लिए सबसे उचित संसाधन शिक्षा है। इसके माध्यम से महिला आगे बढ़ विकास कर सकती है। इसके साथ ही मौलिक अधिकारों की जानकारी भी ज़रूरी है। मौलिक अधिकार ही बताता है कि उनके कर्तव्य और जिम्मेदारियाँ क्या है। महिला अगर किसी क्षेत्र में जा रही है ,वहां उन्हें अगर अनुभव और ज्ञान नहीं होगा तो अपना 100 प्रतिशत योगदान नहीं दे पाएंगी। इसके लिए महिलाओं को उच्च स्तरीय शिक्षा ग्रहण करना ज़रूरी है।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से संस्कृति श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जैसा कि हम सभी जानते हैं, देश, दुनिया तेजी से आगे बढ़ रहा है, लोग नई चीजें बना रहे हैं, नई चीजें इस्तेमाल हो रही हैं। आजकल आप सब कुछ करने के लिए एक शॉर्टकट है। आपके पास एक तरीका है जिससे आपका काम मिनटों में किया जा सकता है, यह हमारी सुविधा के लिए बनाया गया है। सबसे पहले हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि यह सभी चीज़ें केवल हमारी सुविधा के लिए है और हम उन चीजों में इतने फंस जाते हैं कि हम अपने भारत की वास्तविक संस्कृति, अपनी चीजों को भूल जाते हैं। विस्तारपूर्वक खबर सुनने के लिए क्लिक करें ऑडियो पर

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से संस्कृति श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जहाँ हम दिन-प्रतिदिन देख रहे हैं, अधिक से अधिक चीजें शिक्षा की ओर बढ़ रही हैं। नई-नई चीजें सामने आ रही हैं, शिक्षा के नए प्रकार शुरू हो रहे हैं। आजकल हर कोई शिक्षा के बारे में बहुत जागरूक है। हर कोई चाहता है कि उसके बच्चे पढ़ाई करें और अच्छा काम करें। अगर हम महिला शिक्षा की बात करें तो देखते हैं कि आजकल लड़कियों को भी लोग भेज रहे हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है कि उन्हें पढ़ने-लिखने की अनुमति दी जा रही है, लेकिन आज भी अगर हम अपने देश की बात करें तो कई गाँवों में कई छोटी-छोटी जगहें हैं जो अभी भी लड़कियों को घर पर रह कर खाना पकाने के लायक ही समझा जाता हैं। महिलाओं को घर का काम और पुरुषों को बाहर का काम इसलिए सौंपा जाता था कि संतुलन बना रहे, इसलिए नहीं कि महिलाएं कमज़ोर हैं।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से संस्कृति श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि हमारा देश दिन-प्रतिदिन पूरी दुनिया में विज्ञान व तकनिकी में आगे बढ़ रहा हैं। हर दिन नए आविष्कार हो रहे हैं, कुछ नई चीजें आ रही हैं, घर बनाने के नए तरीके, कमरों से लेकर इंसान तक सब कुछ। हर दिन नए-नए नवाचार किए जा रहे हैं। जहां हम बात करते हैं कि हमारा देश और दुनिया हमेशा हर दिन आगे बढ़ रही है। हम अर्थव्यवस्था में आगे बढ़ रहे हैं, हम शिक्षा नीति में भी आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन हम महिलाओं की सुरक्षा में पीछे रह जाते हैं। अगर हमें देश को आगे लेकर जाना है तो महिलाओं की शिक्षा, सुरक्षा बहुत जरूरी है। महिलाओं को घर से बाहर निकलने के लिए किसी का सहारा लेना पड़ता है। ऐसे समय में हमें बेटियों को सशक्त बनाना बहुत जरूरी है। उनका मनोबल मजबूत बनाएँ, सबसे बड़ी बात यह है कि उन्हें यह महसूस न हो कि वे कमजोर हैं।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से विजय पाल चौधरी की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से रामानंद से हुई। ये कहते है कि महिलाओं को आर्थिक रूप से मज़बूत करने के लिए सरकार को छोटे रोजगार करने के लिए महिलाओं को प्रेरित करना चाहिए। कम ब्याज पर पैसा उपलब्ध करना चाहिए। स्वरोजगार के लिए महिलाओं को प्रशिक्षित करना चाहिए। जो महिला गरीबी से जूझ रही है उनके लिए सरकार को सशक्तिकरण के लिए बढ़ावा देना चाहिए। शिक्षित और अशिक्षित महिलाओं को उनके अनुसार रोजगार उपलब्ध करवाया जाना चाहिए ,महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रशासन को सतर्क रहना होगा। साथ ही महिलाओं को जमीनी अधिकार मिलना चाहिए।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से शालिनी श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं और नौकरी कर रही हैं। वह कमा रही है और अपने पैरों पर खड़ी है। इस समय भूमि और संपत्ति साझा करने की चर्चा हो रही है, जिसके लिए वे कहना चाहती हैं कि यह महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, यह बहुत अच्छी बात है कि उन्हें किसी से कुछ नहीं पूछना है या वे अपने खर्च खुद उठा सकते हैं, वे अपने बच्चों की भी अच्छी तरह से देखभाल कर सकते हैं, लेकिन भूमि राजस्व में हिस्सा मिलने से उन्हें अधिक आत्मविश्वास मिलेगा। और आत्मनिर्भरता होगी और घरेलू हिंसा में भी कुछ कमी आएगी। अगर महिलाओं के पास जमीन जायदाद में हिस्सा नहीं रहता है ,तो उनका समाज में कोई सम्मान व पहचान नहीं होता है। इसीलिए ये इस बात की पक्ष में है कि महिलाओं को भी भूमि में अधिकार मिलना चाहिए

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से मोहम्मद इमरान ,मोबाइल वाणी के माध्यम से अमित द्विवेदी से बातचीत कर रहे है। ये बताते है कि महिलाओं को अभी तक अधिकार ना मिलने का सबसे बड़ा कारण पुरुष समाज का समान्त वादी होना सबसे बड़ा कारण रहा है।सामंतवादी के कारण पुरुषों को आगे बढ़ाया गया , उन्हें परिवार का मुखिया बनाया गया और महिलाओं का आर्थिक और सामाजिक शोषण होते रहा। पर अब कानून बदल रहा है , महिलाओं को भूमि सम्बन्धी अधिकार दिलवाने के प्रयास किया जा रहा है । अब महिलाओं में जागरूकता भी बढ़ी है। शिक्षा प्राप्त कर अब महिलाएं देश में आगे बढ़ रही है ,कई क्षेत्रों में अच्छा मुकाम हासिल कर रही है। महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने के लिए पुरुषों को आगे आना चाहिए। महिलाओं को आज़ादी दें और उनपर भरोसा रखे। पुरुषों को समांतिवादी विचारधारा से बाहर आने की ज़रुरत है