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मानसून शुरू होते ही बस्ती जिले की विद्युत व्यवस्था पूरी तरीके से बेपटरी होकर लड़खड़ा रही है जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से विजय पाल चौधरी ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते कि वृक्षों की कटाई बढ़ रही है। इनके क्षेत्र में सड़क के दोनों तरफ के वृक्षों की कटाई हो गई है। सड़क पर भारी धूप रहता है कि लोग आराम के लिए छाव नहीं ले पा रहे है। यातायात के साधनों में वृद्धि हो रही है साथ ही लगातार वृक्षों की कटाई होने से गर्मी बढ़ रही है। अगर वृक्षों की कटाई हो रही है तो वृक्ष लगाना भी ज़रूरी है। वृक्ष अधिक रहेगा तो गर्मी भी कम होगी

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उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से विजय पाल चौधरी ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते कि महिलाओं की आर्थिक स्थिति बेहतर बनाने के लिए जमीन में हक़ ज़रूरी है। महिलाएं भी किसी की बेटी,पत्नी,बहु होती है। इसीलिए उनका हक़ भी ज़मीन पर होना चाहिए। बहुत जगह में महिलाओं को घर तक ही सीमित रखा जाता है। उन्हें कोई अधिकार नहीं दिया जाता है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। महिलाओं को भी जमीन पर अधिकार मिलना चाहिए

उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर ज़िला से अरविन्द श्रीवास्तव ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि आधुनिक युग में पेड़ों की कटाई तेज़ी से हो रही है जिससे ग्लोबल वर्मिन में वृद्धि हो रही है। इस साल हीटवेव से लोग परेशान है। अब तक इससे राहत नहीं मिली है। मानसून अब तक आया नहीं है। पेड़ों को काटने से जलवायु परिवर्तन ,ग्रीनहॉउस गैसों का उत्सर्जन ,जीवों का लुप्त होना ,मिट्टी का कटान जैसी समस्या हो रही है। पेड़ों की कटाई से मानव जाति ,जीव जंतु पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। पेड़ों की कटाई जीवन के लिए नुक्सान दायक हो गया है। पेड़ों की कटाई लगातार हो रही है पर पेड़ों को लगाने में ध्यान नहीं दिया जा रहा है। विकास कार्य के लिए ,सड़क चौड़ीकरण के नाम पर कई पेड़ काट दिया गया। इससे ऑक्सीजन की कमी लोगों को महसूस होने लगा है। अगर पेड़ काट रहे है तो वृक्षारोपण पर भी ध्यान देना चाहिए

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से प्रशांत से हुई। ये कहते है कि बहुत अधिकारों से महिलाएं वंचित थी। जैसे शादी के पहले महिलाओं की संपत्ति पर अधिकार था पर शादी के बाद महिला का हक़ नहीं रहता था। अब नए कानून के तहत महिलाओं का संपत्ति पर अधिकार है। अगर वो चाहे तो अपना अधिकार वो ले सकती है

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द श्रीवास्तव ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि भूमि हर जगह एक स्थायी संपत्ति मानी जाती है। किसी भी परिस्थिति में भूमि का उपयोग कर सकते है। कृषि प्रधान होने के नाते हमारा देश के पचास प्रतिशत लोग कृषि कार्य में जुटे है। जमीन हमारे पास है तो हमे सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। महिलाएं खेत में काम करती तो है पर उन्हें कृषक नहीं माना गया है। पितृ सत्ता होने के कारण सारा अधिकार पुरुष को दिया गया है। अब समाज को जागरूक होने की ज़रुरत है। महिलाओं में भी उनके अधिकारों के प्रति उनको जागरूक करना होगा। ताकि वो खुद अपने अधिकारों का रक्षा और इस्तेमाल करेंगी। जहाँ शिक्षा का स्तर ऊँचा है वहाँ पुरुष महिला साथ मिल कर काम करती है और समाज में आर्थिक रूप से उन्हें सशक्त माना जाता है। इसीलिए महिलाओं को भूमि अधिकार के बारे में बताना होगा।

उत्तप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से अरविन्द ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि महिलाओं का जमीनी हक़ के लिए सरकार ने भी कानून बनाया है। पहले महिला की शादी नहीं होती थी तब तक पैतृक संपत्ति का अधिकार था। शादी के बाद महिला का जमीन पर न मायके में रहता था न ही ससुराल में। पति की मृत्यु हो जाने के बाद पत्नी को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता था। पर अब ऐसा नहीं है। अब महिला को भी जमीन का अधिकार है। अब पति की मृत्यु के बाद पत्नी का भी बराबर हक होगा। ऐसे होने पर महिला आर्थिक रूप से मज़बूत है। कृषि योग्य भूमि बना रही है और जमीन रहने पर व्यापार का भी द्वार खुला हुआ है। जो महिला जागरूक नहीं है ,वो ही अपने अधिकार का इस्तेमाल सही से नहीं कर पाती है

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