उत्तरप्रदेश राज्य के जिला आलोक यादव ,मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि जब उन्होंने अशोक यादव से बात किया तब उन्होंने बताया कि महिला को हक़ मिलना चाहिए। महिला और पुरुष में कोई अंतर नहीं है। महिला सभी कार्यों में अपना योगदान देती है।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली ,मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि जब वह लोगों से शिक्षा और अन्य मुद्दों पर लोगों से बात किए तो यह बात सामने आया की महिला को अधिक से अधिक शिक्षा की जरूरत है। बिना शिक्षा के महिला आगे नहीं बढ़ सकती है।वह शिक्षित होगी तभी वह जमीन पर अधिकार ले पाएंगी।

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उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से संस्कृति श्रीवास्तव ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि जमीन को शुरू से ही पैतृक संपत्ति माना जाता है। पिता के बाद बेटे फिर बेटे के बेटे को दिया जाता है। इस बीच महिला का नाम आता ही नहीं है। अभी कहा जा रहा है कि महिलाओं को भी भूमि देना चाहिए लेकिन लोगों में यह सोच नहीं है। जिसके पास भूमि रहता है तो वो आर्थिक रूप से थोड़ा निश्चिन्त रहते है। शुरू से पुरुषों के नाम पर ही जमीन रहता है ,महिलाओं के नाम क्यों नहीं जमीन रहता है। क्यों नहीं महिलाओं के पास स्थायी संपत्ति हो जिसके सहारे वो आर्थिक रूप से मज़बूत रह सके। पुरुषों और महिलाओं के बीच सामान रूप से संपत्ति बाँटी जाना चाहिए

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से राहुल यादव , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहती है कि महिलाओं को हिस्सेदारी हर काम में मिलना चाहिए। उनको नौकरी भी मिलना चाहिए।

उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बलरामपुर से रमजान अली की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से अंगद चौबे से हुई।अंगद चौबे यह बताना चाहते है कि महिलाओं को पूरा हक़ मिलना चाहिए। महिला के नाम से जमीन होना चाहिए। महिलाओं को समस्या का सामना करना चाहिए।

उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से संस्कृति श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जैसा कि हम सभी जानते हैं, देश, दुनिया तेजी से आगे बढ़ रहा है, लोग नई चीजें बना रहे हैं, नई चीजें इस्तेमाल हो रही हैं। आजकल आप सब कुछ करने के लिए एक शॉर्टकट है। आपके पास एक तरीका है जिससे आपका काम मिनटों में किया जा सकता है, यह हमारी सुविधा के लिए बनाया गया है। सबसे पहले हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि यह सभी चीज़ें केवल हमारी सुविधा के लिए है और हम उन चीजों में इतने फंस जाते हैं कि हम अपने भारत की वास्तविक संस्कृति, अपनी चीजों को भूल जाते हैं। विस्तारपूर्वक खबर सुनने के लिए क्लिक करें ऑडियो पर