उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से रमजान अली ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि आज़ादी के बाद महिलाओं के साथ समानता का व्यवहार नहीं हो पा रहा है। सरकार लड़कियों को बढ़ाने और समानता की बात करती है परन्तु अब भी महिलाओं को उनका हक़ व अधिकार नहीं मिल पा रहा है। शादी के बाद जब लड़की ससुराल चली जाती है तो उन्हें पैतृक संपत्ति में हक़ नहीं मिल पाता है। बेटियों को जमीन का अधिकार कब मिलेगा ,यह एक गंभीर चुनौती है
उत्तरप्रदेश राज्य के जिला बस्ती से रमजान अली। मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि बारिश होने के कारण उनके गाँव में तीन दिनों से बिजली नहीं आयी है , जिसके कारण लोग अपना मोबाइल भी चार्ज नहीं कर पा रहे है। लोग परेशान है।
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उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से रमजान अली ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं और पुरुषों में असमानता गम्भीर समस्या बन गया है। लाख प्रयास के बावजूद आज भी महिलाओं को उनका अधिकार नहीं मिल पा रहा है। इसके लिए सरकार को कोई कड़ा कानून बनना होगा, जिससे महिलाओं को अपना अधिकार मिल सके और महिला और पुरुष में समानता आ सके। अभी तो शादी के बाद महिला का शादी के बाद पैतृक संपत्ति से नाम काट दिया जाता है। इसे सुधारने की आवश्यकता है
उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से रमजान अली ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि आजादी के बाद भूमि के मामले में महिलाओं और पुरुषों के बीच असमानता आज तक जारी है। यह उनके लिए एक बहुत ही कठिन चुनौती है। शुरुआत से ही मन में केवल यही विचारधाराएँ हैं कि लड़के के रूप में पुरुष को अधिक सम्मान मिल रहा है, और महिला को लड़की के रूप में सम्मान नहीं मिल रहा है। अभी भी ग्रामीण क्षेत्र में लड़की के पैदा होने पर ख़ुशी नहीं मनाई जाती है।आज भी समाज में यह असमानता ज़ारी है जिस कारण महिलाओं को अपना जमीन में हक़ पुरुषों के बराबर नहीं मिल पा रहा है
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उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से विजय पाल चौधरी ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि महिलाओं को भूमि में अधिकार मिलना चाहिए। महिलाओं को अर्धांगनी कहा गया है इसीलिए उन्हें संपत्ति में अधिकार मिलना चाहिए। ताकि समाज में उनका सम्मान हो। महिलाओं के पास कुछ नहीं रहता है तो समाज में उनका कोई नाम नहीं रहता है। वैसे तो संपत्ति में महिला का अधिकार है ही पर समाज ऐसा होने नहीं देता है। अभी कानून के मुताबिक महिलाओं को उनका अधिकार मिलना तय है
उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से अरविन्द श्रीवास्तव ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं का आर्थिक परिवर्तन या सामाजिक परिवर्तन भी देखा। लेकिन इन सबके बावजूद, आज भी कहीं न कहीं यह देखा जाता है कि आज भी हमारा समाज महिलाओं को भूमि का अधिकार देने से कतराता है। स्वतंत्रता आंदोलन में केवल पुरुषों ने भाग नहीं लिया था। वास्तव में, कई महिलाओं ने भी अपने प्राणों की आहुति दी और बड़ी संख्या में भाग लिया। आजादी के बाद सरकार ने अपना मन बदल लिया कि महिलाओं को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने, बदले में, महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जैसे कि शिक्षा में उनकी भागीदारी, रोजगार में उनकी भागीदारी, या समाज के उत्थान में उनकी भागीदारी। लेकिन आज भी अगर उस परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो यह स्थिति बहुत पीछे है क्योंकि महिलाओं को आज भी उचित अधिकार नहीं मिल रहे हैं। धान की बुआई चल रही है जिसमें देखा जाए तो अस्सी प्रतिशत महिलाएँ केवल धान की बुवाई का काम कर रही हैं। पुरुष कहीं न कहीं अकेले दिखाई देते हैं क्योंकि पुरुष शहर से बाहर जाते हैं और उनका सारा सुरक्षा कार्य पूरा हो जाता है। महिलाएं ये सब काम जानवरों की देखभाल के लिए कर रही हैं, लेकिन आज भी हमारा समाज उन्हें अधिकार देने से कतराता रहता है। महिलाओं को चुनाव लड़ने की स्वतंत्रता भी दी जाती है, लेकिन यह देखा गया है कि चुनाव जीतने के बाद काम पर उन महिलाओं का वर्चस्व समाप्त हो जाता है और केवल पुरुष ही उनका काम देखते हैं। अगर महिलाओं से उनके काम के बारे में पूछा जाए तो शायद ही बहुत सी महिलाओं को पता हो कि यह विडंबना अभी भी चल रही है और इसे खत्म करने के लिए समाज को आगे आना होगा
उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से रमजान अली ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लगातार बरसात होने के बाद देखा जा रहा है कि जगह जगह पर मनरेगा के तहत वृक्षारोपण कराया जा रहा है। यह कार्य लगभग सभी ग्राम सभाओं में मनरेगा मजदूरों के द्वारा कराया जा रहा है