उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर ज़िला से नीलू ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि अगर लैंगिक समानता चाहिए तो सामाजिक असमानता को दूर करना होगा। शिक्षा के साथ और कानून की सहायता से सामाजिक असमानता दूर किया जा सकता है। इससे एक ऐसा समाज बनाया जा सकता है जहाँ पुरुषों और महिलाओं को बराबर का सम्मान मिले

उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर ज़िला से नीलू ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि महिलाओं को बहुत कुछ सहना पड़ता है। समाज में भी उन्हें बुरा भला कहा जाता है तब भी महिलाएं आगे बढ़ती है और कामियाबी प्राप्त करती है

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से काजल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लैंगिक असमानता के कारण महिलाओं को आज भी एक ज़िम्मेदारी समझा जाता है। महिलाओं को सामाजिक और पारिवारिक रुढ़ियों के कारण विकास के कम अवसर मिलते हैं, जिससे उनके व्यक्तित्व का पूर्ण विकास नहीं हो पाता है। सबरीमाला और तीन तलाक जैसे मुद्दों पर सामाजिक मतभेद पितृसत्तात्मक मानसिकता को प्रतिबिंबित करता है।हम 21वीं शताब्दी के भारतीय होने पर गर्व करते हैं जो एक बेटा पैदा होने पर खुशी का जश्न मनाते हैं और यदि एक बेटी का जन्म हो जाये तो शान्त हो जाते हैं यहाँ तक कि कोई भी जश्न नहीं मनाने का नियम बनाया गया हैं। लड़के के लिये इतना ज्यादा प्यार कि लड़कों के जन्म की चाह में हम प्राचीन काल से ही लड़कियों को जन्म के समय या जन्म से पहले ही मारते आ रहे हैं, यदि सौभाग्य से वो नहीं मारी जाती तो हम जीवनभर उनके साथ भेदभाव के अनेक तरीके ढूँढ लेते हैं।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से काजल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता देने के लिए कार्यक्रम में वर्तमान भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा महिलाओं को पुरुष के बराबर अवसर प्रदान करने के प्रयास किया। जो सुरक्षा के पाँच पहलुओं पर आधारित एक व्यापक मिशन है। ये पाँच पहलू है- माँ एवं शिशु की स्वास्थ्य सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, वित्तीय सुरक्षा, शैक्षणिक एवं वित्तीय कार्यक्रमों के माध्यम से भविष्य की सुरक्षा तथा महिलाओं की सलामती। इस प्रकार हम पाते हैं कि जब भी राष्ट्र को सशक्त करने की बात आती है तो महिला सशक्तीकरण के पहलू को अनदेखा नहीं किया जा सकता।किसी संस्कृति को अगर समझना है तो सबसे आसान तरीका है कि उस संस्कृति में नारी के हालात को समझने की कोशिश की जाए। किसी भी देश के विकास संबंधी सूचकांक को निर्धारित करने हेतु उद्योग, व्यापार, खाद्यान्न उपलब्धता, शिक्षा इत्यादि के स्तर के साथ ही इस देश की महिलाओं की स्थिति का भी अध्ययन किया जाता है। नारी की सुदृढ़ एवं सम्मानजनक स्थिति एक उन्नत, समृद्ध तथा मज़बूत समाज की द्योतक है।वर्तमान में नारियाँ प्रत्येक क्षेत्र में अपना वर्चस्व स्थापित कर रही हैं। शिक्षा एवं आर्थिक स्वतंत्रता ने महिलाओं में नवीन चेतना भर दी है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका में वृद्धि हो रही है।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत में महिलाओं के लिए बहुत से संवैधानिक सुरक्षात्मक उपाय बनाए हैं। पर जमीनी हकीकत इससे बहुत अलग है। इन सभी प्रावधानों के बावजूद देश में महिलाओं के साथ आज भी द्वितीय श्रेणी नागरिक के रूप में व्यवहार किया जाता है। पुरुष उन्हें कामुक इच्छाओं की पूर्ति का साधन मानते हैं। महिलाओं के साथ अत्याचार अपने खतरनाक स्तर पर है। कन्या भ्रूण हत्या और दहेज प्रथा समाज में देखा जा रहा है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पितृसत्तात्मक व्यवस्था में यह सोच बहुत गहरे तक बैठी है कि जमीन पुरुषों के नाम ही होनी चाहिए।नौकरी के लिए पुरुष के शहरी क्षेत्र में प्रवास के बाद पुरे एरिया में कृषि क्षेत्र में महिला की संख्या बढ़ी है। बावजूद इसके अभी भी जमीन का मालिकाना हक़ नही के बराबर है। यही नही विवाहित महिला से उनके पीहर पक्ष द्वारा निरंतर दबाव बनाया जाता है कि वो पैतृक सम्पत्ति पर अपना अधिकार छोड़ दें। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाएं अर्थव्यवस्था की विपरीत लहार आते ही रोजगार खो देती हैं। भूमि का अधिकार विश्व के अधिकांश देशों में आर्थिक स्थिरता का सबसे मजबूत समाधान माना गया है। विभिन्न देशों में हुए अध्ययन बताते हैं कि जहां भी महिलाओं के पास भूमि सम्बंधित अधिकार होते हैं वहां पर उनके परिवार पर प्रभाव होता है। वो अपने विचारों को आत्मविश्वास के साथ रख पाती हैं। साथ ही वो घरेलू हिंसा की भी बहुत कम शिकार होती हैं। यह स्वाभाविक भी है। जिनके पास अचल सम्पत्ति के अधिकार होते हैं उनका प्रभुत्व परिवार और समाज में कहीं अधिक होता है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर ज़िला से प्रियंका सिंह ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि महिलाऐं अर्थव्यवस्था की विपरीत लहर आते ही अपना रोजगार खो देती है। भूमि का अधिकार विश्व के अधिकांश देश में आर्थिक स्थिति का सबसे मज़बूत साधन माना गया है। विभिन्न देश में हुए अध्यन्न बताते है कि जहाँ महिलाएँ के पास भूमि सम्बंधित अधिकार होता है वहाँ उनके परिवार पर प्रभाव होता है। वे अपने परिवार को आत्मविश्वास के साथ रख पाती है साथ ही वो घरेलु हिंसा की भी कम शिकार होती है। जिसके पास संपत्ति का अधिकार होता है उनका प्रभुत्व परिवार और समाज में अधिक होता है

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए महिला को सशक्त बनाने की आवश्यकता है। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निजी और सार्वजानिक स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया तथा संसाधन तक पहुँच पुरुषों के पक्ष में न हो.ताकि महिला और पुरुष में उत्पादक और प्रजनन जीवन में समान भागीदारी के रूप में पूरी तरह से भाग ले सकें।लैंगिक असमानता वाले समाजों में एक जुटता कम होती है। उनमे सामाजिक व्यवहार और हिंसा की दर अधिक होती है। लैंगिक समानता वाले देश अधिक जुड़े हुए हैं और उनके लोग स्वास्थ्य होते हैं। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि संवैधानिक सूची के साथ-साथ सभी प्रकार के भेदभाव या असमानताएं चलती रहेंगी लेकिन वास्तिविक बदलाव तो तभी संभव हैं जब पुरुषों की सोच को बदला जाये। ये सोच जब बदलेगी तब मानवता का एक प्रकार पुरुष महिला के साथ समानता का व्यवहार करना शुरु कर दे न कि उन्हें अपना अधीनस्थ समझे।