उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लैगिंक असमानता को व्यक्तिगत समुदाय और समग्र रूप से राष्ट्र की प्रगति में बाधा माना जाता है।इसलिए इस सामाजिक समस्या को रोकने के लिए आवश्यक उपाय किए जाने चाहिए।कमजोर वर्गों से संबंधित व्यक्तियों को यह समझने की आवश्यकता है कि लड़कियां भी परिवार और समुदाय की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं और उन्हें अपने पुरुष समक्ष की तुलना में समान अधिकार और अवसर दिए जाने चाहिए।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से काजल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बेरोजगारी एक प्रमुख आर्थिक संकेतक है। यह लाभकारी काम प्राप्त करने और अर्थव्यवस्था के उत्पादन में योगदान करने के लिए श्रमिकों की क्षमता या अक्षमता को दर्शाता है। श्रमिक का अर्थ है कम आर्थिक उत्पादन, तेजी से बढ़ती आबादी, शिक्षा और जागरूकता की कमी, लोगों में वैज्ञानिक सोच और रचनात्मकता की कमी

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से काजल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जल संरक्षण मुख्य रूप से जल और इसके संसाधनों के उपयोग की रक्षा, संरक्षण और नियंत्रण को संदर्भित करता है। जल को सिंचाई के लिए उपयोग करना। भूजल का पुनर्भरण और अपव्यय को रोकना। जल प्रबंधन के साथ-साथ भूजल संचयन एवं पुनर्भरण पर भी विशेष ध्यान देने कि आवश्यकता है।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से काजल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पर्यावरण शब्द 'परि + आवरण' के संयोग से बना है। 'परि' का आशय चारों ओर तथा 'आवरण' का आशय परिवेश है। दूसरे शब्दों में कहें तो पर्यावरण अर्थात वनस्पतियों, प्राणियों, और मानव जाति सहित सभी सजीवों और उनके साथ संबंधित भौतिक परिसर को पर्यावरण कहतें हैं वास्तव में पर्यावरण में वायु, जल, भूमि, पेड़-पौधे, जीव-जन्तु , मानव और उसकी विविध गतिविधियों के परिणाम आदि सभी का समावेश होता है।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से काजल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लैंगिक समानता तभी प्राप्त की जा सकती है। जब पुरुषों और महिलाओं दोनों के साथ समान व्यवहार किया जाए लेकिन भेदभाव एक सामाजिक खतरा है जो विभाजन पैदा करता है। यह भेदभाव अधिकारों का हनन करता है, समाज में भागीदारी को सीमित करता है

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारतीय समाज में लैंगिक असमानता के कई कारण हैं। महिलाओं को घरेलू काम के लिए उपयुक्त माना जाता था। घर में महिलाओं का मुख्य काम भोजन की व्यवस्था करना और बच्चों की परवरिश करना है। अक्सर यह देखा जाता था कि घर में जाने वाली मॉडलों में भी महिला की कोई भूमिका नहीं है और महिलाओं के मुद्दों से संबंधित विभिन्न सामाजिक संगठनों में भी महिलाओं की न्यूनतम संख्या में लैंगिक असमानता के सबसे विकराल रूप को व्यक्त किया जाता है। आर्थिक क्षेत्र में भी कामकाजी महिलाओं और पुरुषों की परिधि में अंतर है। औद्योगिक क्षेत्र में महिला को अक्सर पुरुषों की तुलना में कम वेतन दिया जाता है। इसके साथ ही रोजगार के अवसरों में भी पुरुषों को ही प्राथमिकता दी जाती है

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि वर्तमान भारतीय समाज में सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक प्रगति के बावजूद आज महिलाओं को एक दायित्व के रूप में देखा जाता है। उनके पास सामाजिक और व्यावसायिक रूढ़ियों के कारण विकास के सीमित अवसर हैं। जो उन्हें अपने व्यक्तित्व को पूरी तरह से विकसित करने से रोकते हैं। महिलाओं को पारिवारिक संपत्ति का अधिकार नहीं है क्योंकि उनके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया जाता है।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिला श्रम बल की भागीदारी आर्थिक विकास को गति देती है। शोध से पता चलना चाहिए कि केवल महिलाओं के लिए काम की गारंटी देना ही पर्याप्त नहीं है। वेतन और सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करना भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए। नौ दशमलव छह प्रतिशत पुरुषों की तुलना में केवल 61 प्रतिशत कामकाजी उम्र की महिलाएं श्रम बल में हैं। इसके अलावा, दुनिया भर में लगभग साठ प्रतिशत महिलाएं अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में हैं। यह आंकड़ा कम आय वाले देश में नब्बे प्रतिशत से अधिक है। महिलाओं के लिए कुशल सभ्य नौकरियों में निवेश करने से समाज को व्यापक लाभ होता है जो न केवल लैंगिक असमानता को बढ़ावा देता है बल्कि सभी के लिए स्थायी आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देता है।

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से प्रियंका सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लिंग आधारित हिंसा दुनिया भर में सबसे व्यापक मानवाधिकार उल्लंघन है। जो हर तीन में से एक महिला को प्रभावित करती है। महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा से निपटना स्थिर समाज बनाने की कुंजी है। जब महिलाएं सुरक्षित महसूस करती हैं तो वे अर्थव्यवस्था में भाग लेने और अपने समुदाय के विकास में योगदान करने के लिए तैयार रहती हैं। महिलाओं को सशक्त बनाकर महिलाओं के अधिकारों और गरिमा की रक्षा के लिए बदलाव जरुरी है

उत्तर प्रदेश राज्य के बलरामपुर जिला से काजल सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि शिक्षित होने के बावजूद पढ़ने या लिखने में सक्षम नहीं है, इन्हें हम शिक्षित नहीं मान सकते हैं। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।