उत्तरप्रदेश राज्य के मिर्जापुर जिला से शिला देवी मोबाइल वाणी के माध्यम बता रही हैं कि बेटियां बोझ नहीं होती हैं ,

दोस्तों, हमारे यह 2 तरह के देश बसते है। एक शहर , जिसे हम इंडिया कहते है और दूसरा ग्रामीण जो भारत है और इसी भारत में देश की लगभग आधी से ज्यादा आबादी रहती है। और उस आबादी में आज भी हम महिला को नाम से नहीं जानते। कोई महिला पिंटू की माँ है , कोई मनोज की पत्नी, कोई फलाने घर की बड़ी या छोटी बहु है , कोई संजय की बहन, तो कोई फलाने गाँव वाली, जहाँ उन्हें उनके मायके के गाँव के नाम से जाना जाता है। हम महिलाओ को आज भी ऐसे ही पुकारते है और अपने आप को समाज में मॉडर्न दिखने की रीती का निर्वाह कर लेते है। समाज में महिलाओं की पहचान का महत्व और उनकी स्थिति को समझने की आवश्यकता के बावजूद, यह बहुत दुःख कि बात है आधुनिक समय में भी महिलाओं की पहचान गुम हो रही है। तो दोस्तों, आप हमें बताइए कि *-----आप इस मसले को लेकर क्या सोचते है ? *-----आपके अनुसार से औरतों को आगे लाने के लिए हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है *-----साथ ही, आप औरतों को किस नाम से जानते है ?

उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिला से हमारे श्रोता मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की हमारे समाज से दहेज़ प्रथा बहुत तेज़ी से फल फूल रहा है। दहेज़ लेना कानूनी अपराध और हमें यह प्रयास करना चाहिए की समाज से हमे यह दूर करना होगा

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उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती जिला से अरविन्द श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि सरकार द्वारा हमेशा कहा जाता रहा है कि महिलाएं और पुरुष सामान्य से अधिक हैं।लेकिन महिलाओं को समान अधिकार आज भी नहीं दिया जाता है। महिलाएं लंबे समय से महिलाओं के बारे में बात कर रही हैं, और ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कों और लड़कियों के बीच का अंतर अभी भी दिखाई दे रहा है। हम आशाओं को प्रशिक्षित करने भी जाते हैं और आज भी यह देखा जाता है कि अगर लड़की रात में बीमार होती है, तो भी लोग सुबह उसके आने का इंतजार करते हैं। और यदि लड़का उसी स्थान पर बीमार हो गया है, तो उसे रात में जब तक वह चाहे रहने की व्यवस्था करके अस्पताल ले जाया जाता है। बच्चे के जन्म से पहले लड़कियों को गर्भ में मार दिया जाता है, जिसे हम भ्रूण हत्या कहते हैं। चाहे सरकार इसके लिए कितने भी कानून लागू करे लेकिन अभी भी भ्रूण हत्या जोरो पर होती है।

साल 2013-2017 के बीच विश्व में लिंग चयन के कारण 142 मिलियन लड़कियां गायब हुई जिनमें से लगभग 4.6 करोड़ लड़कियां भारत में लापता हैं। भारत में पांच साल से कम उम्र की हर नौ में से एक लड़की की मृत्यु होती है जो कि सबसे ज्यादा है। इस रिपोर्ट में एक अध्ययन को आधार बनाते हुए भारत के संदर्भ में यह जानकारी दी गई कि प्रति 1000 लड़कियों पर 13.5 प्रति लड़कियों की मौत प्रसव से पहले ही हो गई। इस रिपोर्ट में प्रकाशित किए गए सभी आंकड़े तो इस बात का प्रमाण है कि नई-नई तकनीकें, तकनीकों में उन्नति और देश की प्रति व्यक्ति आय भी सामाजिक हालातों को नहीं सुधार पा रही हैं । लड़कियों के गायब होने की संख्या, जन्म से पहले उनकी मृत्यु भी कन्या भ्रूण हत्या के साफ संकेत दे रही है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- आखिर हमारा समाज महिला के जन्म को क्यों नहीं स्वीकार पाता है ? *----- शिक्षित और विकसित होने के बाद भी भ्रूण हत्या क्यों हो रही है ? *----- और इस लोकसभा चुनाव में महिलाओ से जुड़े मुद्दे , क्या आपके लिए मुद्दा बन सकता है ??

बेटों की चाह में बार-बार अबॉर्शन कराने से महिलाओं की सेक्शुअल और रिप्रोडक्टिव लाइफ पर भी बुरा असर पड़ता है। उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ भी खराब होने लगती है। कई मनोवैज्ञानिको के अनुसार ऐसी महिलाएं लंबे समय के लिए डिप्रेशन, एंजायटी का शिकार हो जाती हैं। खुद को दोषी मानने लगती हैं। कुछ भी गलत होने पर गर्भपात से उसे जोड़कर देखने लगती हैं, जिससे अंधविश्वास को भी बढ़ावा मिलता है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि * -------आखिर हमारा समाज महिला के जन्म को क्यों नहीं स्वीकार पाता है ? * -------भ्रूण हत्या और दहेज़ प्रथा के आपको क्या सम्बन्ध नज़र आता है ?

दहेज में परिवार की बचत और आय का एक बड़ा हिस्सा खर्च होता है. वर्ष 2007 में ग्रामीण भारत में कुल दहेज वार्षिक घरेलू आय का 14 फीसदी था। दहेज की समस्या को प्रथा न समझकर, समस्या के रूप में देखा जाना जरूरी है ताकि इसे खत्म किया जा सके। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- दहेज प्रथा को लेकर आपके क्या विचार है ? *----- आने वाली लोकसभा चुनाव में दहेज प्रथा क्या आपके लिए मुद्दा बन सकता है ? *----- समाज में दहेज़ प्रथा रोकने को लेकर हमें किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है और क्यों आज भी हमारे समाज में दहेज़ जैसी कुप्रथा मौजूद है ?

उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा जिला से चंद्रकांति शुक्ल मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है की दहेज़ ना दे पाने के कारण कई माता पिता आत्महत्या करते हैं। इसलिए दहेज प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए क्योंकि कुछ ऐसे माता - पिता हैं जो कर्ज लेकर अपने बच्चो की शादी करते है