उत्तर प्रदेश राज्य के श्रवस्ती जिला से पूनम वर्मा मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि जब महिलाएं शिक्षित होंगी तभी समाज में और जागरूकता आएगी। स्त्री को अपने बच्चों को शिक्षित करना होगा, यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वह अपने बच्चों की शिक्षा के बारे में अच्छी तरह से सोच पाएगी और बालिका बाल विवाह से दूर रह पाएगी।

उत्तर प्रदेश राज्य के श्रवस्ती जिला से पूनम वर्मा मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि लैंगिक असमानता बहुत बड़ी चुनौती बनती जा रही है

उत्तर प्रदेश राज्य के मिर्जा पुर जिला से आकाश बिन्द मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि बेटियों की संख्या दिनों दिन घटती जा रही है ऐसे में हमे बेटियों पर खास ध्यान देना होगा बेटों के जैसे ही बेटियों को पढ़ाई करवानी होगी और बाकी अधिकार भी समान रूप से देना होगा

उत्तर प्रदेश राज्य के मिर्जापुर जिला से हमारे श्रोता मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि महिलाओं को भी पुरूषों की तरह अधिकार मिलने चाहिए

उत्तरप्रदेश राज्य से पूनम वर्मा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं के अपने अधिकार हैं। अधिकार दिए जाने चाहिए और उन्हें वही दिया जाना चाहिए जिसके वे हकदार हैं और कहीं न कहीं महिलाओं को भी बहुत सम्मान दिया जाता है और उन्हें सर्वोच्च सम्मान मिलता है।

उत्तर प्रदेश राज्य के मिर्जापुर जिला से नीतू मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव को खत्म करने के लिए उन्हें अपने हुनर को पहचानना होगा, अपने कौशल को पहचानना होगा,हम उन क्षेत्रों को देखकर बहुत अच्छा काम कर सकते हैं जिनमें हम आगे बढ़ सकते हैं और हम पुरुषों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं जैसे कि हमारे देश में महिलाओं को समाज में समान होना चाहिए।आज शिक्षा के प्रभाव से एक साथ बैठकर पुरुष और महिलाएँ अच्छे पदों पर एक साथ काम कर रहे हैं, पुरुष लिंगवाद और असमानता को समाप्त करने के लिए, हमें पहले शिक्षित होने की आवश्यकता है, और दूसरा, हमें पुरुषों की तुलना में बेहतर होने के लिए कौशल विकसित करने की आवश्यकता है।

उत्तर प्रदेश राज्य के बस्ती जिला से हमारे श्रोता मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि जहां तक समानता की बात है, यह सही बात है, यह हमारे लिए कहीं न कहीं एक बड़ी चुनौती है, यह समाज के लिए एक बड़ी चुनौती है और इस पर गहराई से विचार किया जाना चाहिए कि यह लैंगिक समानता कब समान होगी। अब पिछली जनसंख्या जनगणना को देखें, पुरुषों और महिलाओं का अनुपात एक हजार महिलाओं के मुकाबले नौ सौ सत्तानवे था।समाज को इसके बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है। यहाँ भी ये लोग जो बच्चे पैदा करना चाहते हैं, मान लीजिए कि लड़कियाँ लगातार पैदा हो रही हैं, लड़के पैदा नहीं हो रहे हैं, तो जनसंख्या भी उसकी इच्छा में बढ़ जाती है और उसकी भी यह असमान परत है जिसे जनसंख्या कहा जाता है। पुरुषों और महिलाओं के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए, लेकिन यह कहीं न कहीं भेदभाव है, चाहे वह सामाजिक हो,इसमें हर वर्ग में पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता की भावना होनी चाहिए, चाहे वह पुरुष हो या महिला। और समानता लैंगिक समानता एक बहुत बड़ी चुनौती है,

उत्तरप्रदेश राज्य के ग्राम सभा बल्ली परव ब्लॉक मिर्जापुर से विष्णु प्रसाद बिंद मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ पर जानकारी अच्छा लगा साथ ही उन्होंने बताया उनकी भी दो बच्चे हैं और वे अपने बेटों और बेटियों को समान मानते हैं उन्हें समान शिक्षा देते हैं

उत्तर प्रदेश राज्य के ग्राम लक्ष्मणपुर से पूनम देवी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि पुरुषों की अपेक्षा लड़कियों के पास ज्यादा काम रहता है। शादी होने के बाद लड़कियाँ घर के साथ काम भी संभालती हैं

महिलाओं को अक्सर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी जैसे क्षेत्रों में भेदभाव का सामना करना पड़ता है। यह भेदभाव उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने से रोकता है। महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, दहेज हत्या और बाल विवाह जैसी हिंसा लैंगिक असमानता का एक भयानक रूप है। यह हिंसा महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाती है और उन्हें डर और असुरक्षा में जीने के लिए मजबूर करती है। लैंगिक असमानता गरीबी और असमानता को बढ़ावा देती है, क्योंकि महिलाएं अक्सर कम वेतन वाली नौकरियों में काम करती हैं और उन्हें भूमि और संपत्ति जैसे संसाधनों तक कम पहुंच होती है। दोस्तों, आप हमें बताइए कि *-----लैंगिक असमानता के मुख्य कारण क्या हैं? *-----आपके अनुसार से लैंगिक समानता को मिटाने के लिए भविष्य में क्या-क्या तरीके अपनाएँ जा सकते हैं? *-----साथ ही, लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए हम व्यक्तिगत रूप से क्या प्रयास कर सकते हैं?