गांधी जयंति के ठीक एक दिन बाद घटे एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में सरकारी जांच एजेंसी ईड़ी ने देश के एक प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान ‘न्यूजक्लिक’ पर कार्रवाई करते हुए संस्थान से जुड़े कई लोगों के घरों में छापेमारी की, इस छापेमारी के बाद न्यूजक्लिक के प्रमोटर और उनके सीए को गिरफ्तार कर लिया गया, इसके अलावा संस्थान के कई लोगों को पूछताछ के लिए भी बुलाया गया। दो गिरफ्तारियों और तमाम लोगों से पूछताछ के अलावा करीब पचास लोगों के लैपटॉप और फोन जब्त कर लिये। ऐसा मान भी लिया जाए कि न्यूजक्लिक ने ऐसा किया है तो फिर सरकार को भी तो चीन के साथ अपने संबंधों को खत्म कर देना चाहिए, क्योंकि चीन सीमा से लेकर भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता ही रहता है, रही बात केवल फंड प्राप्त करने की तो सरकार ने कोविड के दौरान बनाए गये पीएम केयर फंड में चीन की तमाम कंपनियों से फंड प्राप्त किया। पीएम केयर में फंड देने के बाद वे सभी कंपनिया भारत में व्यापार कर रही हैं। और उनमें से ज्यादातर कंपनिया लगातार अपने व्यापार में बढ़ोत्तरी कर रही है? ऐसे में क्या सरकार को भी चीन समर्थक माना जाएगा? अगर हां तो फिर सरकार को भी इस्तीफा दे देना चाहिए, और जांच एजेंसियों को पीएम केयरफंड के नाम पर पैसा पाने वाले लोगों की भी जांच करनी चाहिए? इस मुद्दे के पक्ष या विपक्ष में अपनी राय जरूर रिकॉर्ड करें .
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भारत में पहली बार अग्रेजों की सरकार ने 1931 में में भी जातिगत जनगणना कराई थी और उसी के आधार पर आजतक जाती गत आरक्षण दिया जाता रहा है। आधुनिक आजाद भारत में समाजिक आर्थिक और जनसंख्या का पता लगाने के लिए अनेकों बार जनगणना तो होती रही है लेकिन जाति के आधार पर नागरिकों की गिनती आज तक नहीं हुई है।
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गांधी जयंती, एक महान आत्मा को याद करने का मौका है। लेकिन केवल उनको याद करना सही रहेगा या उनके बताये रास्तों पर चलना। याद है ? जब उन्हें कोई एक गाल पर मारता तो वो दूसरा बढ़ा देते थे ,और हम इसे गांधीगिरी कहते है। आइये इस गाँधी जयंती में हम सब मिलकर थोड़ी गांधीगिरी पर चर्चा करते हैं। अगर आप गाँधी जी के बारे में कुछ कहना चाहते हैं या कोई अपनी गांधीगिरी की कोई कहानी सुनाना चाहते हैं तो अपने फ़ोन पर अभी 3 दबा कर रिकॉर्ड कीजिए और हम आपकी बात बहुत सारे लोगों तक पहुचायेंगे। हमे आपकी कहानियों का इंतज़ार रहेगा। जय हिन्द !
जैसा कि आप सभी को पता ही है की आज हमलोग 2 अक्टूबर यानी कि गाँधी जयंती मना रहे है पर क्या आपको पता है की इसके साथ कुछ और भी मनाया जाता है ,याद आया नहीं'... तो चलिए हम आपको बताते है कि आज गाँधी जयंती मनाने के साथ साथ पंचायतो में ग्राम सभा का भी आयोजन किया जाता है। तो आइये ग्रामसभा के बारे में थोड़ा और जानने की कोशिश करते है। .
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ जीवदास साहू मशरूम की खेती करने के बारे में जानकारी दे रहें हैं। अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.
दोस्तों, आज झुमरू के झोले से निकली है सोरठी और बिरजाभार की प्रेम कहानी। ये लोक गीत गा रहे है सिवान के अवध चौधरी जी। अगर आप भी ऐसा कोई लोक गीत जानते है तो उसे मोबाइल वाणी पर रिकॉर्ड करें. इसके अलावा, आप रिकॉर्ड कर सकते है अपने क्षेत्र के किस्से और कहानियां.. फोन में नम्बर 3 दबाकर.
दोस्तों, एक अनुमान के मुताबिक, हर वर्ष शिक्षा करीब 10 से 12 फीसदी की दर से महंगी होती जा रही है। हर शिक्षण संस्थान प्रत्येक वर्ष अपनी फीस बढ़ाते जा रहे हैं। घर के बाकी खर्चों पर महंगाई के बोझ के मुकाबले शिक्षा के क्षेत्र में महंगाई दोगुनी गति से बढ़ रही है। द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, भविष्य में शिक्षा और महंगी ही होगी। आज ग्रामीण क्षेत्रों में भी शिक्षा का महत्व काफी तेजी से बढ़ रहा है। सरकार का जोर विशेषकर लड़कियों को शिक्षित करने पर है। इससे प्राइमरी व माध्यमिक विद्यालयों तक तो किशोरियां पढ़ लेती हैं, लेकिन आर्थिक विपन्नता के कारण वह उच्च माध्यमिक व उच्च शिक्षा से वंचित हो जाती हैं। बाकि बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ वाला नारा याद ही होगा। खैर, हमलोग नारो के देश में रहते है और नारा लगाते लगाते खुद कब एक नारा बन जायेंगे , पता नहीं। .. तब तक महँगाई के मज़े लीजिए बाकि तो चलिए रहा है ! ----------तो दोस्तों, आप हमें बताइए कि आपके गांव या जिला के शिक्षा की की स्थिति क्या है ? ----------वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? ----------इस बढ़ती महँगाई के कारण शिक्षा पर होने वाला आपका खर्चा कितना बढ़ा है ? दोस्तों इस मुद्दे पर अपनी बात को जरूर रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर या मोबाइल वाणी एप्प में ऐड का बटन दबाकर।
संसद के सदस्यों को बांटी गई प्रतियों से जो शब्द हटाये गये उनका महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि वर्तमान में जो दल सत्ता में हैं उसकी और उसके वैचारिक संगठन को हमेशा से इन शब्दों से बैर रहा है, इसका कारण कि वे देश को हिंदूराष्ट्र बनाना चाहते हैं। उनके इस विचार के फलीभूत होने में ये शब्द गाहे-बगाहे आड़े आते रहे हैं।