उत्तर प्रदेश राज्य के जिला हरदोई से मोबाइल वाणी के माध्यम से मुकेश पाल बता रहें हैं की पेड़ो की कटाई बहुत तेजी से हो रही है। पेड़ नहीं रहेंगे तो बारिश कैसे होगी और बारिश नहीं होगी तो प्रकृति कैसे सही रहेगा। इसलिए पेड़ पौधों का नहीं काटना चाहियें

हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।

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बदलते मौसम के आज की कड़ी में हम सुनेंगे जैव-विविधता के बारे में

बदलते मौसम के आज की कड़ी में हम सुनेंगे की जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान को हम कैसे कम कर सकते हैं। कैसे हमारे छोटे-छोटे प्रयासों से पर्यावरण में बदलाव आ सकता है

बदलते मौसम के आज की कड़ी में हम सुनेंगे की जलवायु परिवर्तन से किसानों को किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है और इन समस्याओं से किसान कैसे बच सकते हैं

बदलते मौसम के आज की कड़ी में हम जानेंगे की जलवायु परिवर्तन से कैसे हम सभी का व्यक्तिगत जीवन और आजीविका को कैसे प्रभावित करता है।

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जलवायु परिवर्तन एक महत्वपूर्ण विषय है जो हम सभी के लिए गंभीर चिंता का कारण है। यह विश्वभर में जलवायु में बदलाव की प्रक्रिया है। लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है और इसके क्या नुकसान और परिणाम हो सकते हैं, ये सब जानेंगे हम अपने कार्यक्रम बदलते मौसम में तो जरूर सुनें

दीपावली दियों से या धमाकों से? अबकि दीवाली पर हमें यह सोचना ही होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे शहरों की हवा हमारे इस उत्साह को शायद और नहीं झेल पा रही है। हवा इतनी खराब है कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। भारत की राजधानी दिल्ली इस मामले में कुछ ज्यादा बदनाम है। दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित जगहों में शामिल दिल्ली में प्रदूषण इतना अधिक है कि लोगों का रहना भी यहां दूभर हो रहा है।