आजाद हैं, आजाद ही रहेंगे: बनारस में ही चंद्रशेखर हो गए 'आजाद', काशी में ही पहली और अंतिम बार हुए थे गिरफ्तार मात्र 15 साल के चंद्रशेखर तिवारी काशी के संस्कृत पाठशाला में धरना देते हुए पहली और अंतिम बार अंग्रेजों के हाथ गिरफ्तार हुए थे। कोर्ट में ज्वॉइंट मजिस्ट्रेट ने जब उनका नाम पूछा तो उन्होंने जवाब दिया, आजाद, पिता का नाम स्वाधीनता और घर का पता जेल मैं आजाद हूं, दुश्मन की गोलियों का सामना हम करेंगे। आजाद हैं, आजाद ही रहेंगे। अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद ने अपने नाम के साथ आजाद इसलिए जोड़ लिया था क्योंकि वह आजाद रहते हुए जीना चाहते थे।