बिहार राज्य के जिला नालंदा से अशोक चौहान , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि नेता लोग ऐसी हैं जो जी. एस. टी. के नाम पर, किसी और के नाम पर और किसी और पिछड़ी जाति के नाम पर, फिर ये लोग आपस में फूट डालते हैं और फिर यहाँ से वोट की राजनीति शुरू होती है। तो एक तरफ जातिवाद को खत्म करने की बात है और दूसरी तरफ जातिवाद का सर्वेक्षण किया जा रहा है और फिर उन्हें अलग करने और अलग से बाहर लाने की कोशिश की जा रही है क्योंकि वहां जातिवाद के प्रवेश दर को मिलाने का क्या मतलब है? आपको समझ नहीं आता कि जिस गरीब व्यक्ति को आरक्षण दिया गया है, वह गरीब व्यक्ति क्यों है जिसे आरक्षण दिया गया है और अन्य आम जातियां गरीब क्यों नहीं हैं। भले ही कई लोग गरीब हों, लेकिन कई लोगों के लिए उनकी आय भी कम हो सकती है, तो उन्हें आर्थिक देश के नाम पर आरक्षण क्यों दिया जाता है।

बिहार राज्य के जिला नालंदा से शम्भू प्रसाद , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि राजनीतिक दल अपने वोट बैंक का उपयोग करके जनता को धोखा देते हैं। वोट देने के बाद कोई भी कोई काम नहीं करता है , राजनीतिक दल केवल वोट लेने तक सीमित हैं। व्यवस्था इस तरह होना चाहिए की बाहर से आये लोगों को नागरिकता उचित तरीके से मिले।

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बिहार राज्य से शहीद , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि 4 जून को रिजल्ट आने वाला है कि चुनाव कौन जीतेगा।

बिहार राज्य के नालंदा ज़िला के नगरनौसा से शम्भू प्रसाद ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि हमारे नालंदा लोकसभा क्षेत्र में सातवां चरण का चुनाव चल रहा है, मतदाताओं से सजग लोकतंत्र के लिए मतदान करने की अपील करते हैं। एक अच्छा चुनाव करें और लोगों की बात न सुनकर और अच्छे प्रतिनिधियों पर ध्यान न देकर अपना काम करें।

भारत में जहां 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं। इन चुनावों में एक तरफ राजनीतिक दल हैं जो सत्ता में आने के लिए मतदाताओं से उनका जीवन बेहतर बनाने के तमाम वादे कर रहे हैं, दूसरी तरफ मतदाता हैं जिनसे पूछा ही नहीं जा रहा है कि वास्तव में उन्हें क्या चाहिए। राजनीतिक दलों ने भले ही मतदाताओं को उनके हाल पर छोड़ दिया हो लेकिन अलग-अलग समुदायो से आने वाले महिला समूहों ने गांव, जिला और राज्य स्तर पर चुनाव में भाग ले रहे राजनीतिर दलों के साथ साझा करने के लिए घोषणापत्र तैयार किया है। इन समूहों में घुमंतू जनजातियों की महिलाओं से लेकर गन्ना काटने वालों सहित, छोटे सामाजिक और श्रमिक समूह मौजूदा चुनाव लड़ रहे राजनेताओं और पार्टियों के सामने अपनी मांगों का घोषणा पत्र पेश कर रहे हैं। क्या है उनकी मांगे ? जानने के लिए इस ऑडियो को सुने

किसी भी समाज को बदलने का सबसे आसान तरीका है कि राजनीति को बदला जाए, मानव भारत जैसे देश में जहां आज भी महिलाओं को घर और परिवार संभालने की प्रमुख इकाई के तौर पर देखा जाता है, वहां यह सवाल कम से कम एक सदी आगे का है। हक और अधिकारों की लड़ाई समय, देश, काल और परिस्थितियों से इतर होती है? ऐसे में इस एक सवाल के सहारे इस पर वोट मांगना बड़ा और साहसिक लेकिन जरूरी सवाल है, क्योंकि देश की आबादी में आधा हिस्सा महिलाओं का है। इस मसले पर बहनबॉक्स की तान्याराणा ने कई महिलाओँ से बात की जिसमें से एक महिला ने तान्या को बताया कि कामकाजी माँओं के रूप में, उन्हें खाली जगह की भी ज़रूरत महसूस होती है पर अब उन्हें वह समय नहीं मिलता है. महिलाओं को उनके काम का हिस्सा देने और उन्हें उनकी पहचान देने के मसले पर आप क्या सोचते हैं? इस विषय पर राय रिकॉर्ड करें

बिहार राज्य के नालंदा जिले से रिंकू कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती है की नेता वैसा होना चाहिए जो हमारे शिक्षा, रोजगार के बारे में सोचे अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें और पूरी जानकारी सुनें

दोस्तों, प्रधानमंत्री के पद पर बैठे , किसी भी व्यक्ति से कम से कम इतनी उम्मीद तो कर ही सकते हैं कि उस पद पर बैठने वाला व्यक्ति पद की गरिमा को बनाए रखेगा। लेकिन कल के भाषण में प्रधानमंत्री ने उसका भी ख्याल नहीं रखा, सबसे बड़ी बात देश के पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ खुले मंच से झूठ बोला। लोकतंत्र में आलोचना सर्वोपरि है वो फिर चाहे काम की हो या व्यक्ति की, सवाल उठता है कि आलोचना करने के लिए झूठ बोलना आवश्यक है क्या? दोस्तों आप प्रधानमंत्री के बयान पर क्या सोचते हैं, क्या आप इस तरह के बयानों से सहमत हैं या असहमत, क्या आपको भी लगता है कि चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जाना अनिवार्य है, या फिर आप भी मानते हैं कि कम से कम एक मर्यादा बनाकर रखी जानी चाहिए चाहे चुनाव जीतें या हारें। चुनाव आयोग द्वारा कोई कार्रवाई न करने पर आप क्या सोचते हैं। अपनी राय रिकॉर्ड करें मोबाइलवाणी पर।