बिहार राज्य के जिला नालंदा के हिलसा ब्लॉक से कुमारी आकांक्षा की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से उर्मिला देवी से हुई। उर्मिला देवी यह बताना चाहती है कि वह अपनी जमीन अपनी आवाज़ कार्यक्रम सुनकर यह फैसला लिया है कि वह अपनी बेटी की शादी में दहेज़ के नाम पर जमीन में हिस्सा देंगी। दहेज़ में पैसा देने पर पैसा ख़त्म हो जाता है। इसीलिए वह बेटी को जमीन में हिस्सा देंगे।
बिहार राज्य के नालंदा ज़िला के चंडी प्रखंड के धरमपुर ग्राम से रूपा की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से कांति देवी से हुई। ये एक आशा दीदी है और कहती है कि लड़कियों को शिक्षित होना ज़रूरी है। क्योंकि महिलाएँ आगे चल रही है ,पढ़ी लिखी होना ज़रूरी है। अगर महिला शिक्षित होती है तो उसका परिवार ,बच्चे शिक्षित होता है। कहते है जब लड़का पढता है तो वो अकेले शिक्षित होता है पर अगर लड़की शिक्षित होती है तो वो आगे अपने परिवार को शिक्षित करती है। इसीलिए महिला को हर वर्ग में बढ़ना ज़रूरी है। आगे चल के वो परिवार को अच्छे से चलाएगी ,खुद भी विकसित होगी
बिहार राज्य के नालंदा जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता संगीता कुमारी ने चंडी रेफरल अस्पताल के युनिसेफ के प्रखंड प्रतिनिधि अतुल से बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि महिलाओं को बिल्कुल शिक्षित होना चाहिए। जो महिला आगे पढ़ाई करना चाहती हैं, उन्हें भी जरूर पढ़ने का मौका मिलना चाहिए। जो पढ़ने लिखने में कमजोर हैं, उन्हें आगे बढ़ने के लिए एनजीओ और जीविका समूह से जोड़ना चाहिए। इन सभी जगहों पर महिलाओं को कई तरह के हुनर सिखाये जाते हैं। जिसकी सहायता से महिला अपने आप को आर्थिक रूप से सशक्त कर सकती हैं। जो महिला शिक्षित हैं, उनके लिए तो खुला आसामान है। वो कभी भी काईन से भी शुरुआत कर सकती हैं। पहले के अपेक्षा आज महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बहुत ज्यादा हैं। क्योंकि अब लड़का और लड़की में कोई अंतर नहीं रहा है। महिलाओं के नाम पर कोई जमीन नहीं होनी चाहिए। क्योंकि इससे पारिवारिक विवाद बढ़ेगा
बिहार राज्य के नालंदा ज़िला के चंडी प्रखंड के माधवपुर बाजार से रूपा की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से मनोज कुमार जयसवाल से हुई। ये कहते है कि आज के समय में महिलाओं के लिए शिक्षा ज़रूरी है। घर गृहस्थी सँभालने के साथ साथ बाहर के काम भी ज़रूरी है। आज के समय में अगर बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलाते है तो स्कूल में भी यह पूछा जाता है कि माँ शिक्षित है या नहीं। क्योंकि अगर महिला शिक्षित होगी तो घर अच्छे से चलेगा। महिलाओं के नाम से जमीन नहीं होना चाहिए ,घर के मुखिया ,पुरुष के नाम से जमीन होना चाहिए। कुछ महिलाएँ ऐसी होती है जो जमीनी अधिकार मिलने पर उनका व्यवहार अलग रहता है। इससे नुक्सान भी होता है
बिहार राज्य के नालंदा ज़िला के नगरनौसा प्रखंड से शम्भू प्रसाद ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि बच्चों को बचपन से सीखना अच्छा लगता है ।शानू और छोटू की कहानी सीख देनी वाली कहानी है। अगर माता पिता बच्चों को बचपन से ही जीवन जीना सिखाएंगे ,संघर्षपूर्ण जीवन में आगे बढ़ने की सीख देंगे ,उसकी जिम्मेदारियों के लिए तैयार करेंगे तो आगे चल कर बच्चे अच्छे से बढ़ेंगे है।बच्चे धीरे धीरे जिम्मेदार बनेंगे। यह कहानी से बच्चों और माता पिता दोनों को सीख लेनी चाहिए क्योंकि बच्चों को बचनपन से ही सीखना अच्छा लगता है। इस कहानी के द्वारा माता पिता को अच्छी सीख मिलती है।
बिहार राज्य के नालंदा ज़िला के नगरनौसा प्रखंड से शम्भू प्रसाद ,मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि महिलाओं को भूमि का अधिकार देने का कानून तो बहुत पहले ही बन गया था पर यह धरातल पर नहीं उतरा था जिस कारण अभी महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को दिक्कत हो रही है। क्योंकि अगर उन्हें पैतृक संपत्ति का अधिकार मिल जाता तो वो सशक्त हो कर पारिवारिक गतिविधियों को संभाल लेती। अगर उन्हें जमीनी अधिकार मिलता तो उन्हें मायके और ससुराल में दिक्कत नहीं होता। आजकल समाज में महिला जलाई जा रही है क्योंकि उनके पास कुछ नहीं रहता है। पिता निश्चिंत रहते है कि उन्होंने दहेज़ देकर शादी लड़की का करा दिए ,अब सब ठीक है। परन्तु देश में अधिकतर अपराध दहेज़ के कारण ही हो रहा है। अगर महिला को पैतृक संपत्ति में अधिकार मिलने लगता तो यह अपराध भी कम होने लगता।
बिहार राज्य के नालंदा जिला के नगरनौसा प्रखंड से शम्भू शरण प्रसाद ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं को संपत्ति में उनका हक़ मिलना चाहिए। मालिकाना हक़ मिलने से महिलाओं का सशक्तिकरण होगा। साथ ही उन्हें अधिकार मिलने से जीवनशैली में आगे बढ़ने में बहुत सहायता मिलेगा। आजकल पुरुष और स्त्री में कोई अंतर नहीं है, दोनों एक ही गाड़ी के दो पहिये है। महिलाओं को कानूनी हक़ तो मिला है लेकिन जमीन पर वे अधिकार महिलाओं को नहीं मिल रहे है। अधिकार बहुत हद तक लगाम से जुड़ा हुआ है लेकिन उन्हें आज तक जमीन सही नहीं मिली क्योंकि पुरुष वर्ग आज तक समझता है या उनके पिता या भाई समझते हैं कि अगर हमारे दो बेटे हैं, तो केवल दो बेटों के पास संपत्ति का हिस्सा है। अगर बेटी है तो उसे संपत्ति का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए। संपत्ति के अधिकार के बारे में एक कहावत है कि जब तक आपके पास पैसा है तब तक आपको सभी पूछेंगे, लेकिन जब आपके पास पैसा नहीं होगा तो आपको कोई पूछने वाला भी नहीं रहेगा। इसी प्रकार संपत्ति के साथ भी है। महिला के पास अगर संपत्ति रहेगा तो माइका में महिला को लोग पूछेंगे, अगर उनके पास कुछ नहीं रहेंगे तो महिलाओं को कोई पसुह्ह्ने वाला भी नहीं रहेगा
बिहार राज्य के नालंदा जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता संगीता कुमारी जानकारी दे रही हैं कि मोबाइल वाणी पर चल रहा कार्यक्रम बहुत अच्छा है। इससे महिलायें जागरूक हो रही हैं। महिलायें जानती हैं और समझती हैं की उन्हें अगर जमीन पर हक मिल जाए तो वो अपने जीवन को बेहतर बना लेंगी। लेकिन फिर भी वो अपने अभिभावक या भाई को इस बारे में कुछ कह नहीं पाती है। अगर किसी महिला के साथ ससुराल में अप्रिय घटना हो जाए और उनके पास जमीन पर मालिकाना हक हो तो वो आसानी से कोई व्यवसाय कर आत्मनिर्भरता के साथ अपना और अपने बच्चे का भरण-पोषण कर सकती हैं। इसलिए महिलाओं को जमीन पर अधिकार मिलना चाहिए। ताकि उनका आगे का जीवन सुगम और सुखमय हो। समाज का नजरिया बदलने के लिए लोगों को जागरूक करना जरुरी है। लोगों की सोच बदलेगी तब ही महिलाओं को मान सम्मान भी मिलेगा
बिहार राज्य के नालंदा ज़िला के चंडी से रूपा की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से अर्चना कुमारी से हुई। ये बताती है कि महिलाओं का अधिकार संपत्ति पर होना चाहिए। लेकिन अगर माता पिता का संपत्ति में जो अधिकार भाई जो जाना चाहिए उससे पचास प्रतिशत अधिकार ले लें तो यह गलत होगा। क्योंकि शादी के बाद लड़की ससुराल चली जाती है और भाई ही होता है जो माँ पिता की सेवा करते है। ऐसे में भाई से संपत्ति लेना सही नहीं रहता है। ऐसे में माँ बाप के संपत्ति में भाई का ही अधिकार होना चाहिए क्योंकि आगे चल कर उन्हें ही अपने माता पिता की सेवा करनी होती है। संपत्ति में बँटवारा से ज्यादा इन्हे भाई के साथ अपना रिश्ता रखने में भरोसा है
बिहार राज्य के नालंदा ज़िला के चंडी से रूपा की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से रविंद्र कुमार चौधरी से हुई। ये कहते है कि महिलाओं का जमीन पर अधिकार होना चाहिए। जिस तरह पुरुष को अधिकार है जमीन पर उस तरह महिलाओं को अभी अधिकार होना चाहिए। पति के पीछे बाल बच्चों का ध्यान देने व उन्हें बढ़ाने के लिए महिला का भी जमीन पर अधिकार होना चाहिए। जमीन रहेगा तब महिला सशक्त रहेगी। उन्हें सताया नहीं जाएगा