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गुजरात मे हो रहे श्रम अत्याचार को लेकर,जो बात कहि गई,शायद नया अंदाज में ,हमारे समाज मे इस तरह सोचने वाले दीदी भी है हमे आज महसूस हुआ कि बिहार के सम्मान के खातिर सभी को एक जुट होंकर लड़ना पड़ेगा

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग ज़िला से टेकनारायण प्रसाद झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि जो मज़दूर दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं, वहाँ उनके साथ शोषण व अत्याचार किया जाता हैं और जाति के नाम पर भी उनके साथ भेदभाव होते हैं। इसके कारण प्रवासियों को काफ़ी कठिनाइयाँ आती हैं। अन्य राज्य जाने से उनमें असहजता की भावना आ जाती हैं जिसके कारण वो भेदभाव,शोषण आती होने के भय में अपने जीवन व्यतीत करते हैं। हर राज्य के सरकार को उन्ही के राज्य में रोजगार के माध्यम को बढ़ाना चाहिए ताकि मज़दूर अपने स्थान में अपने लोगों के बीच में कम मज़दूरी में ही सही पर सुरक्षित रह कर शांतिपूर्ण ढंग से कार्य कर सके।

दिल्ली एन.सी.आर के कापसहेड़ा से पुजारी तिवारी साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि देखा जाता हैं कि मज़दूर पलायन कर रोजगार की तलाश में दूसरे राज्य जाते हैं जहा पर उनका शोषण होता हैं। सरकार इस पर ध्यान दे। हर एक राज्य के सरकार अपने राज्यों में रोजगार के साधन उपलब्ध करवाए। उचित वेतन रखे ताकि मज़दूरों को रोजगार के अभाव में पलायन न करना पड़े और अपने ही राज्य में रोजगार पाए।

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बिहार राज्य के जमुई जिला के सिकंदरा प्रखंड से मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि किसी भी सरकार को गांव की ज़रूरत के हिसाब से निति व योजना बनानी चाहिए। जिससे उन्हें अधिक से अधिक लाभ मिल सकें क्योंकि शहरों एवं गांव की ज़रूरतें अलग अलग होती है। इसलिए गांव की ज़रूरतों को ध्यान अवश्य रखना चाहिए। गांव के लोग मज़बूरी में घर और परिवार को छोड़ कर रोजी-रोटी के तलाश में अन्य शहरों में जाते है। रोजगार के लिए अपने गांव से पलायन करने को विवस विभिन्न शहरों में जाते है। लेकिन इस पर किसी का नहीं रहा । गांव में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए ठोस निति बनायीं नहीं जा रही है। रोजगार के लिए पलायनवादी संस्कृति को रोकने की सख्त ज़रूरत है।

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