भारत बनेगा विश्व शिक्षा का केन्द्र ,जामिया ने 90 देशों को भेजा विशेष विदेशी दाखिला आवेदन पत्र. कभी ऐसा वक्त था की भारत विश्व गुरू कहलाता था भारत दुनिया में शिक्षा का केद्र था भारत अपनी गौरव को फिर से बहाल करना चाहता है इसी क्रम में केंद्र सरकार की पहल पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने विदेशी विद्यार्थियों को भारत से जोड़ने के लिए 90 देशों को दाखिला आवेदन पत्र भेजे हैं। आप को बता दे कि विश्वविद्यालय की योजना है 29 अक्तूबर 2020 को जब जामिया अपनी 100वीं वर्षगांठ मना रहा हो तो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 100 की सूची में उसका नाम हो। इसी के तहत 90 देशों के दिल्ली में स्थित दूतावास के माध्यम से पहली बार विदेशी विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से तैयार दाखिला आवेदन पत्र भेजा गया है। विदेशी विद्यार्थी को भारत में उच्च शिक्षा के प्रति जोड़ने और लुभाने के लिए रजिस्ट्रार की अध्यक्षता में नोडल टीम भी तैयार की गई है। जामिया के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, पहली बार जामिया ने विदेशी विद्यार्थियों के लिए अलग से ऑनलाइन दाखिला आवेदन पत्र तैयार किया है। इसमें जामिया के इतिहास से लेकर, विदेशी विद्यार्थियों की संख्या, देशों के नाम, सुविधाएं, कोर्स समेत प्लेसमेंट के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। जामिया का लक्ष्य खाड़ी देश, दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया के अलावा अमेरिका, अफ्रीका के विद्यार्थियों को भी भारत से जोड़ने की है।

रायपुर धरसीवां के मुख्य कार्यपालक अधिकारी लखनलाल से बातचीत को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक कर सुनें पूरी खबर को।

ब्रिटेन: महिलाओं ने लिया बच्चे न पैदा करने का फैसला, जलवायु परिवर्तन को लेकर दुनिया भर में चिंता चताई जा रही है. इसको लेकर कई तरह के कदम भी उठाए जा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद अभी तक कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया हैं. लिहाजा ब्रिटेन में जलवायु परिवर्तन के लिए काम करने वाले एक संगठन की महिलाओं ने बच्चा पैदा नहीं करने का फैसला लिया है. इनका कहना है कि वह नहीं चाहती हैं कि आने वाली पीढ़ियों को ग्लोबल वॉर्मिंग से कोई नुकसान उठाना पड़े. इस संगठन में शामिल महिलाओं ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन गंभीर समस्या बनती जा रही है. उन्हें दुनिया में सूखे, अकाल, बाढ़ और ग्लोबल वार्मिंग का डर सता रहा है. ऐसे में वो चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवन की गुणवता बेहतर हो.

कृष्णदेव शर्मा ने जीविका मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है,की यहाँ से बाहर हम अपने परिवार को छोड़ कर जाते है,वहाँ से पैसा भेजते है,उसी से परिवार का देख रेख होता है,जहाँ हम रहते है,वहाँ का आवासीय नही रहने से वहाँ के योजनाओ का लाभ नही मिल पाता है,हम बाहर रहते है और परिवार तक जानकारी नही पहुचने के कारण सरकार द्वारा चल रही योजनाओं का लाभ परिवार नही उठा पता है।

एजाज आलम

मधुबनी जिला के खुटौना प्रखंड से संतोष कुमार जी कहते हैं रेनू कुमारी जी के साक्षात्कार पता चलता कि मुंबई में भी आज बड़ी उम्मीदें के साथ लोग पहुंचते हैं लेकिन जब वहां पहुंचने के बाद इसकी सपने चकनाचूर हो जाता है या तो वह अच्छी नौकरी नहीं कर पाते हैं अगर अच्छी नौकरी मिलती है तो काम ज्यादा करवाते हैं जिसके कारण उत्तर भारतीय अपनी मेहनत के बल पर मोटी रकम को कर पाते हैं लेकिन उन्हें तरह-तरह की भाषा के दूसरों पर भी किया जाता है दूसरी तरफ उत्तर भारतीय को लगता है कि अगर शहर हम पहुंच गए तो कुछ अच्छी कमाई करके जाए जिसके लिए अनाप-शनाप रेट पर वहां पर काम करने लगते हैं जिसका यहां जो वहां के लोग मुकदमे को लगता है भाषा के साथ साथ दूसरी यात्रा भी देते हैं इसका नतीजा होता है उसे शहर छोड़ कर गांव की तरफ आ जाना अगर सरकार दिन में सपने सजी हुई रह जाती है और फिर अपने वतन को वापस आ जाते हैं तो मैं सरकार से गुजारिश करता हूं कि कल कारखाना एवं गांव में उचित रोजगार मुहैया कराए जाएं तो रेनू कहती है कि उनसे अच्छा दूसरा वेतन नहीं होता है धन्यवाद

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