सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में।

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बेटों की चाह में बार-बार अबॉर्शन कराने से महिलाओं की सेक्शुअल और रिप्रोडक्टिव लाइफ पर भी बुरा असर पड़ता है। उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ भी खराब होने लगती है। कई मनोवैज्ञानिको के अनुसार ऐसी महिलाएं लंबे समय के लिए डिप्रेशन, एंजायटी का शिकार हो जाती हैं। खुद को दोषी मानने लगती हैं। कुछ भी गलत होने पर गर्भपात से उसे जोड़कर देखने लगती हैं, जिससे अंधविश्वास को भी बढ़ावा मिलता है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि * -------आखिर हमारा समाज महिला के जन्म को क्यों नहीं स्वीकार पाता है ? * -------भ्रूण हत्या और दहेज़ प्रथा के आपको क्या सम्बन्ध नज़र आता है ?

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सरकार ने बेटी पढ़ाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत प्रत्येक पंचायत के गांव में नए पाठशाला चलाया लेकिन यह पाठशाला अधिक दिनों तक धरातल पर नहीं रहा और वह धराशाई हो गया

बिहार राज्य के जिला जमुई के प्रखंड गिद्धौर से रंजन कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि सुकन्या विवाह योजना एक ऐसी योजना है जिसके माध्यम से लड़की के जन्म होने पर माता-पिता इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। इसका लाभ उठाने के लिए लड़की का जन्म प्रमाण पत्र ,फोटो माता-पिता का आधार कार्ड ,पैन कार्ड, ड्राइवरी लाइसेंस या राशन कार्ड डाकघर में जमा कर खाता खुलवा सकते हैं। और जब वह लड़की बालिग होती है तो उसे एकमुश्त ₹300000 सरकार देती है। इस योजना का लाभ सभी लड़की के माता-पिता को उठाना चाहिए ताकि सरकार की जो सोच है या सरकार की जो इच्छा शक्ति है वह पूर्ण हो सके और माता-पिता के लिए लड़की खोज नहीं होकर वरदान साबित हो सके। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।