झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री के ओएसडी और नौकर के घर और अन्य स्थानों से भारी मात्रा में नकदी बरामद की गई। इस मामले में नागरिक जागरूकता की सबसे अधिक आवश्यकता है क्योंकि यह जांच एजेंसियों की दक्षता का भी सवाल है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?

कोई भी राजनीतिक दल हो उसके प्रमुख लोगों को जेल में डाल देने से समान अवसर कैसे हो गये, या फिर चुनाव के समय किसी भी दल के बैंक खातों को फ्रीज कर देने के बाद कैसी समानता? आसान शब्दों में कहें तो यह अधिनायकवाद है, जहां शासन और सत्ता का हर अंग और कर्तव्य केवल एक व्यक्ति, एक दल, एक विचारधारा, तक सीमित हो जाता है। और उसका समर्थन करने वालों को केवल सत्ता ही सर्वोपरी लगती है। इसको लागू करने वाला दल देश, देशभक्ति के नाम पर सबको एक ही डंडे से हांकता है, और मानता है कि जो वह कर रहा है सही है।

एडीआर संस्था ने अपनी एक और रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में राजनीतिक पार्टियों की कमाई और खर्च का उल्लेख है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे राजनीतिक पार्टियां अपने विस्तार और सत्ता में बने रहने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च करती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के सबसे बड़े सत्ता धारी दल ने बीते वित्तीय वर्ष में बेहिसाब कमाई की और इसी तरह खर्च भी किया। इस रिपोर्ट में 6 पार्टियों की आय और व्यय के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सीपीआई एम और बीएसपी और एनपीईपी शामिल हैं। दोस्तों, *---- आपको क्या लगता है, कि चुनाव लडने पर केवल राजनीतिक दलों की महत्ता कितनी जरूरी है, या फिर आम आदमी की भूमिका भी इसमें होनी चाहिए? *---- चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई खर्च की सीमा के दायेंरें में राजनीतिक दलों को भी लाना चाहिए? *---- सक्रिय लोकतंत्र में आम जनता को केवल वोट देने तक ही क्यों महदूद रखा जाए?

तमाम गैर सरकारी रिपोर्टों के अनुसार इस समय देश में बेरोजगारी की दर अपने उच्चतम स्तर पर है। वहीं सरकारें हर छोटी मोटी भर्ती प्रक्रिया में सफल हुए उम्मीदवारों को नियुक्त पत्र देने के लिए बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन कर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों को भी आमंत्रित कर रही हैं, जिससे की बताया जा सके कि युवाओं को रोजगार उनकी पार्टी की सरकार होने की वजह से मिल रहा है।

गिद्धौर। एक और जहां शिक्षा विभाग जिले के सभी विद्यालय में क्षतिग्रस्त भवन निर्माण मरम्मती कर दुरुस्त करने का कवायद संवेदक के जिम्मे सौपा गया।ताकि पढ़ने वाले नेनिहालो बच्चो को मजबूत शिक्षा की छत मिल सके, और उस भवन में शिक्षा ग्रहण कर सके। वही गिद्धौर प्रखण्ड के रतनपुर पंचायत के सोहजाना उत्क्रमित मध्य विद्यालय में विभागीय अधिकारियों के निर्देश पर संवेदक के द्वारा भवन निर्माण मरम्मती कार्य का जिम्मे दिया गया है। लेकिन संवेदक के मनमाने रवैया से पूरे भवन मरम्मती निर्माण कार्य में 10 एम एम सरिया के जगह पर 8 एम एम सरिया बिछा कर ढलाई कार्य कर लिपा पोती कर राशि को बंदरबांट में लगे हैं। ऐसे में विद्यालय भवन मरम्मती कितना टिकाऊ होगा वो तो आने वाले समय मे ही बताएगा। बरहाल जिस तरह से विद्यालय भवन का मरम्मती कार्य किया जा रहा है। यह निर्माण कार्य भ्रष्टचार की पोल खोल कर रख दिया। इस बाबत शिक्षा विभाग के जेईई पंकज कुमार से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि विद्यालय मरम्मती निर्माण कार्य का एस्टीमेट 8 एम एम सरिया का ही बनाया गया है।

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मूल्य से अधिक दर में खाद की बिक्री पर किसान ने अनुमंडल कृषि पदाधिकारी को लिखा पत्र

जमुई जिले में आज भी दलित एवं महादलित वह अत्यंत गरीब परिवार के लोग प्रधानमंत्री आवास योजना से काफी दूर नजर आ रहा है उसका कारण है पदाधिकारी का ग्रामीण क्षेत्रों तक नहीं पहुंचाना जिसके कारण गरीब परिवारों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है