जन्म के कुछ दिनों बाद से ही माता बच्चों को इशारों से हमेशा कुछ ना कुछ सीखने का प्रयास करती है और जो माता इन कार्यों को निरंतर करते रहती है वह बच्चा निश्चित रूप से खेल खेल के माध्यम से सीख जाता है और उसके ऊपर मानसिक दबाव भी नहीं पड़ता है क्योंकि मां जानती है कि बच्चों को किस वक्त सीखना चाहिए किसी वक्त उसे खिलाना चाहिए किसी वक्त से सुलाना चाहिए जो मां तेज चालाक होती है वह बच्चों को 5 वर्ष होते-होते काफी चीज सिखा देती है जो उसे आगे चलकर बहुत ही काम आता है