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दिल्ली एन.सी.आर के कापसहेड़ा से दिगंबर सिंह साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि वो कंपनी मशीन मेकेनिक का कार्य करते हैं। उनका आठ महीनें पी.एफ कटा और अब कंपनी बंद हो चुकी हैं। कंपनी उनका यूएएन नंबर एक्टिवेट कर रखी हैं।कंपनी से इस बारे बात करने पर अधिकारी कहते हैं कि कंपनी बंद हो गया हैं,अब कुछ नहीं हो सकता।पी.एफ कैसे निकाले।इसकी जानकारी चाहिए।

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आपके पास पीएफ और यूएएन नंबर है, तो कंपनी के इनकार करने के बाद भी आप पीएफ हासिल कर सकते हैं, इसके लिए आप जितना जल्दी हो सके पीएफ दफ्तर में संपर्क करके शिकायत दर्ज करवाएं क्यों कि अक्सर देखा गया गया है कि कंपनियां बंद होने की स्थिति में श्रमिकों के पीएफ के मामले उलझ जाते हैं, लेकिन समय पर पीएफ दफ्तर में संपर्क करके आप आपना पीएफ हासिल कर सकते हैं।
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Nov. 7, 2018, 2:30 p.m. | Tags: govt entitlements   int-PAJ   workplace entitlements  

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राजधानी दिल्ली के उत्तम नगर से दिनेश कुमार जो की विकलांग व्यक्ति है वे साझा मंच मोबाइल वाणी के माधयम से जानकरी चाहते है कि पीएफ में उनका उपनाम गलत कर दिया गया है तो वे आपने उपनाम को कैसे सुधार करें।

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बताना चाहेंगे इस संबंध में आप नेम चेंज करेक्शन का एक फार्म जो कि पीएफ विभाग की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है, या फिर आप ऑनलाइन भी इसे भर सकते हैं और अपने नियोक्ता से इसे साइन करवा कर जमा करवा सकते हैं। इसके बाद आपके नाम या सरनेम में सुधार हो जाएगा।
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Oct. 15, 2018, 5:38 p.m. | Tags: int-PAJ  

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उत्तर प्रदेश राज्य के शुभम सिंह साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से जानकारी चाहते है कि उन्हें अगर दिव्यांग प्रमाणपत्र बनवाना या फिर दिव्यांग प्रमाणपत्र के द्वारा कोई सुविधा नहीं मिल रही है ,तो क्या दिव्यांग प्रमाणपत्र के लिए आधार कार्ड जरुरी है।

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Nov. 28, 2018, 11:34 a.m. | Location: 1129: Not Known | Tags: int-PAJ   disability   UID  

वेतन के मामले में 1993 के बाद का समय राजनेताओं के लिए बेहतरीन रहा है। इस दौरान देश के विधायकों से लेकर सांसद और वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर मैनेजर तक की सैलरी में सामान्य कर्मचारियों की तुलना में दोगुना इजाफा हुआ है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की एक रिपोर्ट में ये बातें सामने आई हैं। नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन के डाटा पर बनी रिपोर्ट में बताया गया है कि 1993 से लेकर 2012 के दौरान सांसदों, विधायकों, वरिष्ठ अधिकारियों और मैनेजरों के वास्तविक औसत वेतन में 98% की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, इन दो दशकों के अंतराल में फैक्ट्री और प्लांट में काम करने वाले कर्मचारियों की सैलरी में महज 44 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं और पुरुषों का दैनिक औसतन वेतन में भी अंतर है। कम कौशल वाले रोजगारों में महिला-पुरुष के वेतन का अनुपात काफी खराब है। इस श्रेणी में महिलाओं का वेतन पुरुषों के वेतन का सिर्फ 69 प्रतिशत है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कम वेतन वाले रोजगारों में अनुसूचित जातियों की तादाद ज्यादा है।

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