कोरोना महामारी और उसके बाद सम्पूर्ण भारत में ताला बंदी संगठित व असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए कहर बरपारही है, प्रवासी श्रमिक जो देश के नागरिक भी हैं अपने आँखों में उम्मीद लिए अपनों से मिलने की आस में थके हारे घर पहुँच तो गए लेकिन पहुँचने के बाद भी परेशानी पीछा नहीं छोडती नज़र आई , घर पहुचंते ही कहीं 14 दिन तो कहीं 21 दिन कोरनटाईन में रहना पर रहा है , कोरनटाईन सेंटर की अपनी ही गाथा है कहीं बासी और असमय खाना मिलना तो कहीं बिजली का आभाव तो कहीं जानलेवा मछरों के कहर के साथ अस्रुरक्षित सौचालय और गंदे पानी पीने पर मजबूर गरीब श्रमिकों ने अपनी पीड़ा मोबाइल वाणी के साथ साझा किया, सरकार ने वादा किया की कोरनटाईन सेंटर में समय गुज़ार ने के बाद जब निकलेंगे तो उन्हें मनरेगा का जॉब कार्ड दिया जाएगा, साथ ही आपका राशन कार्ड बनाकर सरकारी राशन की दुकान से सरकार द्वारा घोषित प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 10 किलो आनाज प्रति व्यक्ति मिले यह सुनिश्चित किया जायेगा साथ ही 1000 रूपये की वित्तीय सहायता राशी भी प्रदान की जाएगी. इक्षुक श्रमिकों को फिर पंचायत द्वारा चिन्हित काम में भी लगाया जाएगा ताकि वह अपना और अपने परिवार का गुज़र वसर कर सकें, आप में से बहुत से शर्मिक ऐसे होंगे जिन्हें अपने घर पर ही 14 दिनों के लिए कोरनटाईन में रहने की सलाह दी होगी आपके लिए राशन कार्ड और खाद्यान्न मिलना सुनिश्चित होना चाहिए, लेकिन क्या सच में आप को इन सभी सुविधाओं का लाभ मिला? क्या अब तक आपको मनरेगा में काम मिला और राशन उपलब्ध कराया गया या राशन की दुकान से आपने राशन प्राप्त किया? काम और राशन न मिलने की मुख्य वजह की काम की कमी या काम का उपलब्ध न होना है ? हम यह भी जानते हैं की आपको इसके अलावा और भी कई परेशानियों का सामना करना पर रह रहा होगा तो इन परेशानियों को अपने आप तक न रखें