दिल्ली एनसीआर फरीदाबाद से बहादुर सिंह साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि सरकार द्वारा जारी किया गया 2019 अंतरिम बजट गरीब जनता एवं निजी क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों के लिए अधिक लाभकारी नहीं है। यह बजट मध्यम वर्ग के लोगों के लिए ही लाभदायक है। जिस प्रकार सरकार द्वारा किसानों को प्रतिदिन 17 रूपए प्रतिदिन के हिसाब से दिए जाने की घोषणा की गई है, इससे किसानों को कितना लाभ मिलेगा। साथ ही ढाई लाख रूपए इनकम टेक्स के रूप में जमा करना था उसे पांच लाख रुपया कर दिया गया है। कई बार यह देखा जाता है की प्राइवेट सेक्टर में जो मजदुर कार्य करते हैं, उनके लिए कम्पनी के द्वारा कार्ड बना कर ठेकेदार मंडल में रख दिया जाता है। दोबारा छः माह बाद कार्ड को रेनुवल करवा कर जॉइनिंग दिखा दिया जाता है। साथ ही चार से छः माह बाद मजदुरों को वेतन दिया जाता है। ऐसी स्थिति में मजदूरों को क्या करना चाहिए।

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सवाल बजट का है। तो ये सवाल‌ कुछ यूँ है कि थाली से रोटी गायब है और हम सलाद की गुणवत्ता पर सवाल उठा रहे हों। यहाँ न्यूनतम् वेतन नहीं ‌मिल रहा है, चाहे वह मज़दूर हो या खेतिहर ‌मज़दूर। 17 रुपये हों या 1700 अगर मिलेंगे भी तो ज़मींदार किसान को, भूमिहीन खेतिहर ‌मज़दूर को नहीं।मज़दूरों की असंगठन और डर की वजह से ठेकेदारी की समस्या नासूर हो चुकी है। मज़दूर लड़ने से परहेज करने लगा है इसलिए व्यवस्था मे बैठे लोग सरेआम कानून की धज्जियाँ उड़ाते हैं।"रिज्वानिंग की हेराफेरी" एक बड़ी समस्या बन चुकी है।मज़दूरों को इसके खिलाफ़ लेबर आॅफिस मे चिट्ठी लिखनी चाहिए। RTI से उन चिट्ठियों पर जवाब मांगना चाहिए। लेबर कोर्ट मे केस डालना चाहिए। हाईकोर्ट मे रिट डालनी चाहिए। यह सब संगठन बनाने से और आसान हो जाता है।कानून मे ठेकेदारी पर रोक है। "रिज्वानिंग की हेराफेरी" कानूनन निषिद्ध है।
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March 7, 2019, 10:44 p.m. | Tags: int-PAJ   wages