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झारखंड राज्य के बोकारो ज़िला के पेटरवार प्रखंड के तेनुघाट से सुषमा कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि झारखण्ड सरकार के द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं पर करोड़ो रूपए खर्च करने के बावजूद भी महिलाओं को प्रसव हेतु काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए झुमरा पहाड़ स्थित गांव की एक गर्भवती महिला को खाट पर लाद कर उसी स्थिति में सड़क तक लाया गया और निजी वाहन से 60 किलोमीटर दूर अस्पताल ले जाया गया। तो ऐसी स्थिति में यह प्रश्न उठता है कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना कहाँ लागु हुई है।
झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला के पेटरवार प्रखंड से किशोरी नायक मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि जो परिवार सुख एवं सामर्थ हैं उन्हें सरकार द्वारा राशन कार्ड जमा करने का निर्देश दिया गया है। पर कई प्रखंडों में यह भी देखने को मिल रहा है कि जिनके पास दो पहिया वाहन है उन्हें भी राशन मिल रहा है। और सबसे बड़ी बात जो गौर करने वाली है वह यह कि क्या वैसे परिवार गरीबी रेखा में आते हैं। कई लोग निःशुल्क राशन लेकर अन्य जगहों में जा कर उस अनाज को दोगुनी दामों में बेचते हैं। साथ ही उनके बैंक खाते में भी कई रकम मौजूद रहता है। अतः सरकार से अनुरोध है कि सम्पर्ण परिवार का कार्ड बंद कर गरीबों का कार्ड बनाया जाए और योजना का लाभ सही लाभुक को दिया जाए। क्योंकि सरकार अपने अफसरों पर भरोशा कर योजना की जिम्मेदारी दे रहे हैं। पर दूसरी ओर योजना का गलत ढंग से इस्तेमाल किया जाता है। सरकार द्वारा स्वच्छता अभियान के तहत जिन घरों में शौचालय नहीं है उसे जल्द से जल्द बनाने का निर्देश दिया गया था। किन्तु आज कई परिवार ऐसे हैं जिनके घरों में आज तक शौचालय नहीं बनाया गया है। मजबूरन लोगों को खुले में शौच के लिए जाना पड़ रहा है। अतः सरकार द्वारा सभी योजनाओं का अच्छे से जाँच करना चाहिए
झारखंड राज्य के बोकारो जिला से हमारे श्रोता मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि उनकी पत्नी एक आशा के रूप में कार्य करती हैं। लेकिन उन्हें अबतक कोई सुविधा मुहैया नहीं किया गया है। उनके मानदेय के रूप में केवल दो हजार रूपए प्रतिमाह दिया जाता है जिससे उनका घर परिवार चलता है। कम वेतन मिलने के कारण आशा अपने बच्चो को उचित शिक्षा नहीं दे पाती हैं। अतः निस्वार्थ भाव से अपनी सेवा देने वाली आशा को न्यूनतम वेतन दिया जाना चाहिए।अपनी मांगों को लेकर बिहार में जिस तरह से आशा कार्यकर्त्ता हड़ताल की हैं वह जायज है।
झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला के पेटरवार प्रखंड तेनुघाट से सुषमा कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं, कि स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चों के बीच छात्रवृत्ति की राशि वितरण करना अति आवश्यक है। क्योंकि यह राशि उन गरीब बच्चों को दिए जाने का प्रवधान है जो अपनी जरुरत के वस्तुओं को खरीदने में असक्षम होते हैं। लेकिन कई जगहों में यह देखने को मिलता है कि बच्चों को तीन साल,दो साल में राशि का वितरण किया जाता है। और कभी-कभी कई बच्चे राशि लेने से वंचित रह जाते हैं। कई कॉलेजों में पढ़ने वाले बच्चों को छात्रवृत्ति फॉर्म भरने में कई सारी प्रक्रिया करना पड़ता है। यदि किसी प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी हो जाए तो उन्हें योजना से वंचित रहना पड़ जाता है। इस लिए बहुत से छात्र-छात्राएँ छात्रवृत्ति फॉर्म भरते हैं लेकिन उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पाता है । सरकार द्वारा एक कदम उठा कर स्कूल कॉलेजों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के बीच प्रत्येक वर्ष राशि देकर उनके पढ़ाई में आने वाले कमियों को दूर करना चाहिए। ताकि विद्यार्थियों को अपना भविष्य बनाने में कोई परेशानी ना आए। दशवीं पास विद्यार्थी पैसे की कमी के कारण अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पातीं हैं। उनके लिए छात्रवृत्ति की राशि पाना बहुत ही मायने रखता है।
झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला के पेटरवार प्रखंड से किशोरी नायक मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि प्रधान मंत्री जी के नेतृत्व में स्वछ भारत अभियान चला कर देश वासियों को साफ-सफाई के प्रति जागरूक किया गया। जो आज बहुत ही अच्छा और सुंदर प्रयास प्रतीत हो रहा है। आज हर पंचायत में जगह-जगह डस्टबिन को रखा गया है। जहाँ लोग अपने घर के कूड़े-कचड़े को डस्टबिन में डाल सकें हैं। लेकिन जब डस्टबिन भर जाता है तो उसे हटाने वाला कोई नहीं होता। आज पंचायत में जितने भी डस्टबिन रखा गया है वह केवल एक शोभा बन कर रह गया है। डस्टबिन की सुचारु रूप से देख भाल नहीं होने के कारण आस-पास सड़क पर ही पूरा कचड़ा जमा होता जा रहा है। मजबूरन लोग डस्टबिन को जला देते हैं ताकि लोगों को कचड़े से और बदबू से थोड़ी राहत मिल सके। अतः प्रसाशन जल्द से जल्द इस ओर ध्यान दे। साथ ही लोगों को जागरूक करने का कार्य करे।
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झारखण्ड राज्य के बोकारो ज़िला के पेतरवार से नागेश्वर महतो झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि स्वछता और स्वास्थ्य एक दूसरे के पूरक हैं। अपने मन,घर के साथ गांव व पर्यावरण को भी स्वच्छ रखना सभी का दायित्व हैं। इन दायित्व का ईमानदारी पूर्वक निर्वाहन करने पर ही स्वच्छ शरीर और समाज की कल्पना की जा सकती हैं। जीवन में स्वछता के साथ स्वस्थ रहना एक बड़ा वरदान हैं। परन्तु यह खुद पर निर्भर करता हैं कि स्वछता के साथ स्वस्थ जीवन किस अनुसार व्यतीत करें। स्वस्थ शरीर में ही स्वच्छ मस्तिष्क का निवास होता हैं। वर्त्तमान में सरकार द्वारा लोगों में स्वछता की लौ जलाने के लिए कई जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।परन्तु आधे से अधिक संख्या में लोग स्वछता व स्वास्थ्य से अनभिज्ञ हैं। देखा जा रहा हैं कि लोग अंधा-धुंद पेड़ो की कटाई कर रहे हैं,कूड़ा-कचड़ा इधर उधर फैला रहे हैं एवं खुले में शौच कर रहे हैं। इससे मालूम पड़ता हैं की लोग अभी भी स्वछता एवं अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक नहीं हैं।अधिकारी झाड़ू उठा कर स्वछता की भावना लोगों में उत्पन कराने का स्वांग भरते हैं। सरकार द्वारा मिलने वाली शौचालय की सुविधा हर जरूरतमंद परिवारों तक अभी तक नहीं पहुँच पाई हैं।अधिकारी व जनता अपने स्वास्थ्य व स्वछता के प्रति निष्ठापूर्वक लगातार प्रतिद्वध रहे हैं। अगर सरकार का सहयोग व जागरूकता मिशन सही दिशा में चले तब ही पीढ़ी दर पीढ़ी में स्वास्थ्य व स्वछता के प्रति जागरूकता क़ायम रहेगी। पर्यावरण की सुरक्षा हेतु वन पर्यावरण अधिनियम का अनुपालन करते हुए "पेड़ लगाओ और जीवन बचाऒ के तर्ज़ पर लोगों को आगे बढ़ना चाहिए।
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