झारखण्ड राज्य के देवघर जिले के हरदकोल गाँव से शशि भूषण राय मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की उन्हें ऑनलाइन बनाए गए राशन कार्ड में एक नए सदस्य का नाम जोड़ना है

झारखण्ड राज्य के देवघर जिले अकुल गाँव से शशि भूषण मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि इन दिनों लोग गर्मी से छुटकारा पाना चाहते हैं और पानी का किला चाहते हैं। ऐसी कई चपलाएँ भी खराब हैं, सरकार को इसका ध्यान रखना चाहिए, सरकार को ऐसी चपलाएँ खराब करनी चाहिए, जिन्हें जल्द से जल्द चालू किया जाना चाहिए। ताकि लोगों को पीने के पानी, पानी लेने, आसानी से नहाने की समस्या न हो और गर्मी के दिनों में यह समस्या बहुत हो।

मेरा नाम टिंकू है मैं गढ़वा जिले के कांडे प्रखण्ड बलियारी पंचायत से बोल रहा हूँ मुझे बिजली की बहुत समस्याएँ हैं, दुख की बात है कि गाँव में बिजली नहीं मिल पा रही है, बहुत समस्याएँ हैं।

झारखण्ड राज्य के रामगढ़ से डॉ आशीष कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि नकारी कॉलोनी के नागरिकों को पीने का पानी नहीं दिया जा रहा है जिससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है

कोई भी राजनीतिक दल हो उसके प्रमुख लोगों को जेल में डाल देने से समान अवसर कैसे हो गये, या फिर चुनाव के समय किसी भी दल के बैंक खातों को फ्रीज कर देने के बाद कैसी समानता? आसान शब्दों में कहें तो यह अधिनायकवाद है, जहां शासन और सत्ता का हर अंग और कर्तव्य केवल एक व्यक्ति, एक दल, एक विचारधारा, तक सीमित हो जाता है। और उसका समर्थन करने वालों को केवल सत्ता ही सर्वोपरी लगती है। इसको लागू करने वाला दल देश, देशभक्ति के नाम पर सबको एक ही डंडे से हांकता है, और मानता है कि जो वह कर रहा है सही है।

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एडीआर संस्था ने अपनी एक और रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में राजनीतिक पार्टियों की कमाई और खर्च का उल्लेख है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे राजनीतिक पार्टियां अपने विस्तार और सत्ता में बने रहने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च करती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के सबसे बड़े सत्ता धारी दल ने बीते वित्तीय वर्ष में बेहिसाब कमाई की और इसी तरह खर्च भी किया। इस रिपोर्ट में 6 पार्टियों की आय और व्यय के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सीपीआई एम और बीएसपी और एनपीईपी शामिल हैं। दोस्तों, *---- आपको क्या लगता है, कि चुनाव लडने पर केवल राजनीतिक दलों की महत्ता कितनी जरूरी है, या फिर आम आदमी की भूमिका भी इसमें होनी चाहिए? *---- चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई खर्च की सीमा के दायेंरें में राजनीतिक दलों को भी लाना चाहिए? *---- सक्रिय लोकतंत्र में आम जनता को केवल वोट देने तक ही क्यों महदूद रखा जाए?

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तमाम गैर सरकारी रिपोर्टों के अनुसार इस समय देश में बेरोजगारी की दर अपने उच्चतम स्तर पर है। वहीं सरकारें हर छोटी मोटी भर्ती प्रक्रिया में सफल हुए उम्मीदवारों को नियुक्त पत्र देने के लिए बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन कर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों को भी आमंत्रित कर रही हैं, जिससे की बताया जा सके कि युवाओं को रोजगार उनकी पार्टी की सरकार होने की वजह से मिल रहा है।