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झारखण्ड राज्य के बोकारो ज़िला के पेटरवार ज़िला के उत्तासरा से किशोरी नायक ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जितने भी आँगनबाड़ी क्षेत्र है वहाँ गर्भवती महिलाओं व बच्चों को पोषाहार दिया जाता था। पर दो तीन महीने से सरकार ने पोषाहार देना बंद कर दिए है। कोरोना महामारी के दौरान ऐसा पोषाहार बंद कर देने से बहुत समस्या होगी ।
हाई वे मोदी सेवा केंद्र में प्रवासी श्रमिकों को दिया गया पेयजल एवं बिस्कुट
झारखण्ड राज्य के बोकारो ज़िला के पेटरवार प्रखंड से नागेश्वर महतो की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से सुनील कुमार से हुई। सुनील ने बताया कि वो दुकानदार है। लॉक डाउन होने से लोगों की स्थित काफ़ी ख़राब हो गयी है। राशन की समस्या हो रही है। जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उन्हें ज़्यादा परेशानी आ रही है। दैनिक कर्मचारियों व दुकानदारों की आय बंद हो गई है। प्रवासी श्रमिक जो फँसे है दूसरे राज्य में उन्हें अपने ही स्थल पर रहना चाहिए ताकि संक्रमण बढ़ने का ख़तरा कम रहे।
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झारखण्ड राज्य के बोकारो ज़िला के पेटरवार प्रखंड से नागेश्वर महतो ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पेटरवार प्रखंड अंतर्गत आने वाले चरगी पंचायत ग्राम स्थित रुकाम डैम के जीर्णोद्धार नहीं होने से रुकाम सहित आसपास के विभिन्न गांव के किसानों को कृषि कार्य करने में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। आदिवासी बहुल ग्राम रुकाम में ग्रामीण कृषि व मज़दूरी कर अपना जीवन बसर करते है। रोज़गार के अन्य साधनों का भारी अभाव है। यह डैम आज से क़रीब छह दशक पूर्व अम्बा गढ़ा नाला पर चेक डैम बना था। इस डैम के जीर्णोद्धार नहीं होने से जल संचय नहीं हो पा रहा है। जल संचय नहीं होने के कारण किसान खेती बाड़ी करने में असमर्थ महसूस कर रहे है। अगर इस डैम का जीर्णोद्धार हो जाता तो डैम के जल से सैकड़ों एकड़ की सिंचाई कर कृषक बारह महीनें कृषि कार्य कर अपनी आजीविका चला सकते थे
झारखण्ड राज्य के बोकारो ज़िला के पेटरवार प्रखंड से नागेश्वर महतो ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पेटरवार बोकारो ज़िले का एक प्रमुख कृषि प्रधान प्रखंड है। इस क्षेत्र में कल-कारखाना व उद्योगों धंधो का अभाव है। अधिकांश लोगों की आजीविका का एकमात्र संसाधन कृषि ही है। हालाँकि कृषकों के लिए सिंचाई की सुविधा उपलब्ध नहीं है। प्रतिवर्ष किसान अपने खेतों के लिए मानसून पर निर्भर रहते हैं परन्तु इस साल हालात और भी बुरा रहा। सभी गांव में वर्षा की बेरुखी के कारण धान का रोपा नहीं हो पाया। धान के बिहन डालने में ही किसानों की कमाई बर्बाद हो गई साथ ही उनके खेत भी खाली रह गए। इस कारण पेटरवार प्रखंड के किसानों के खेत और खलिहान इस वर्ष सूना ही रह गया। जिससे किसानों के चेहरों मायूसी झलक रही हैं। प्रखंड में पलायन होना आम बात है लेकिन इस वर्ष पलायन में काफ़ी बढ़ोतरी आ गई है।बेरोज़गारी की मार झेलने के लिए किसान विवश हैं।मजबूरन बेरोज़गारी की मार झेल रहे जनता व मज़दूर वर्ग के लोग पलायन करने की तैयारी में लगे हैं ।
झारखण्ड राज्य के बोकारो ज़िला के पेटरवार प्रखंड से नागेश्वर महतो ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पेटरवार प्रखंड के चरगी पंचायत के अंतर्गत आने वाले चारगी ग्राम में दो से ढ़ाई वर्ष पूर्व पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा सौर ऊर्जा से संचालित होने वाला लघु जल मीनार की व्यवस्था की गई थी। इसका उद्देश्य ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल मुहैय्या करवाना था। ग्राम में उपस्थित लगभग 300 परिवारों को पेयजल की सुविधा मिलना था । परन्तु क़रीब एक वर्ष होने को आया हैं ,यह जल मीनार ख़राब अवस्था में पड़ा हुआ हैं। इस कारण ग्रामीणों को बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा हैं। गर्मी के मौसम में महिलाएँ बहुत कठिनाईयों का सामना कर पानी की व्यवस्था करती हैं। ग्रामीणों के अनुसार , जल मीनार में ख़राबी आ जाने के कारण पानी ऊपर नहीं चढ़ पा रहा हैं। नल का अभाव के कारण ग्रामीण प्रातः मशीन चालु कर सीधे पानी निकालते हैं। इस प्रक्रिया में महिलाओं को बहुत देर प्रतीक्षा करने के बाद पानी नसीब होता हैं। कभी कभार महिलाओं के बीच नोकझोक भी हो जाती हैं। अधिकारियों को इस समस्या से अवगत भी कराया गया एवं जल मीनार की मरम्मति के लिए आग्रह भी किया गया। परन्तु इस समस्या से ग्रामीणों को निजात अबतक नहीं मिल पाया हैं।
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झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला के पेटरवार प्रखंड के तेनुघाट अनुमंडल से सुषमा कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि वर्षों से जंगल में रह रहे आदिवासी समुदाय का जीवन प्रकृति पर निर्भर करती आ रही हैं। लेकिन आज उन्हीं आदिवासियों को जंगल छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण कर तरह-तरह की लालसा दे कर जंगल छोड़ने पर मजबूर किया जा रहा है।आदिवासी समुदाय पेड़-पौधों और प्रकृति को बचाने की पूरी कोशिश करते आ रहे हैं। वहीँ दूसरी ओर आदिवासियों के अलावा और ऐसा कोई नहीं है जो पेड़-पौधों के साथ-साथ प्रकृति को बचाए रखने पर ध्यान दिया हो। आज कई क्षेत्रों में हजारों की संख्या में पेड़ों को काट कर बड़ी-बड़ी इमारते बनाई जा रही है। जो आने वाले समय में ख़तरनाक रूप ले सकता है। अतः सभी लोग को एक जुट हो कर पेड़ों एवं जंगलो की रक्षा के लिए आने की जरुरत है।