बोकारो जिला के अनुमंडल मुख्यालय तेनुघाट से सुष्मा कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ सभी, जरुरत मंद लोगो को नहीं मिल पा रहा है। आवास वैसे लोगों को मिल रहा है जिनका पहले से आवास है या जो रिश्वत दे रहे हैं । स्वंसेवक ,पंचायतसेवक ,वार्ड सदस्य मिल कर रिश्वत के रूप में 5000 से 25000 रुपए ले रहे हैं।नहीं देने पर उनको कह दिया जाता है कि उनको आवास अगली बार मिलेगा।

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जिला बोकारो पेटरवार से सुषमा कुमारी जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बाल बिवाह पर आधारित एक गीत प्रस्तुत कर रहीं हैं।

जिला बोकारो पेटरवार से सुषमा कुमारी जी मोबाइल वाणी के माध्यम से एक कविता प्रस्तुत कर रहीं है जिसका शीर्षक है-बाल विवाह बन गई अभिशाप।

जिला बोकारो पेटरवार से सुषमा कुमारी जी मोबाइल वाणी के माध्यम से एक कविता प्रस्तुत कर रहीं है जिसका शीर्षक है-बाल बिवाह।

जिला बोकारो पेटरवार से सुषमा कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि यह तो सभी जानतें हैं कि बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है। यह भारत में कुछ समाज में प्रचलित सामाजिक प्रक्रियाओं से जोड़ा जाता है। कानून द्वारा विवाह का उम्र लड़कों के लिए 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष निर्धारित है, परन्तु इस कानून के बावजूद बाल विवाह के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं। इस तरह के अधिकांश मामले ख़राब सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में देखने को मिलता है। अशिक्षा भी बाल विवाह का एक मुख्य कारण है।भारत के कुछ क्षेत्रों में बाल विवाह के अधिक मामले देखने को मिलता है। इसका नकारात्मक प्रभाव लड़के और लड़की दोनों में देखने को मिलता है।इसके फलस्वरूप शारीरिक विकास एवम मानसिक तथा भावनात्मक स्थिति शिक्षा पर पड़ता है। कम उम्र में शादी के फलस्वरूप जो बच्चे पैदा होते हैं वे अत्यधिक कमजोर होते हैं। सरकार बाल विवाह को रोकने के लिए कई कदम उठा रही है, शिक्षा में विस्तार के जरिये,विभिन्न संचार के माध्यम से,नुक्क्ड़ नाटक,विज्ञापन एवं कार्यशाला आदि के जरिये होने वाले हानियों के बारे में बताया जा रहा है।

जिला बोकारो पेटरवार से सुषमा कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि बाल विवाह एक प्रकार का कम उम्र का विवाह तथा कुरीति है। इसे अभिशाप भी माना गया है। लड़कियों के बाल विवाह होने से उन्हें आर्थिक,सामाजिक तथा मानसिक विकास पर अवरोध एवं प्रभाव पड़ता है। और लड़कियों के मानसिक संतुलन ख़राब होता जाता है।उनकी पूरी जिंदगी तनाव भरा होता है साथ ही उनके शिक्षा दीक्षा पर भी ख़राब प्रभाव पड़ता है।जिससे लड़कियां अंदर ही अंदर कुढ़ कर रह जाती है।वे चाह कर भी शिक्षा ग्रहण नहीं कर पातीं हैं और उन्हें चार दिवारी के अंदर रहना पड़ता है पढाई पूरी नहीं होने के कारण लड़कियां अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाती हैं और इससे उनका रोजगार का मार्ग बंद हो जाता है।घर पर रह कर उन्हें अनेक प्रकार के कष्टों का भी सामना करना पड़ता है, घर परिवार बसना,बच्चे की परवरिश की चिंता सताने लगता है। आर्थिक तंगी से जूझ पड़ता है विवश में आ कर समाज और परिवार से घिर कर प्रताड़ना का शिकार बनती जातीं हैं ऐसी स्थिति में आ कर लड़कियां आत्महत्या करने पर भी मजबूर होती जाती हैं। अतः बाल विवाह पर रोकथाम करें तथा उन्हें भी बेहतर शिक्षा दें।

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