मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

बनो नई सोच ,बुनो हिंसा मुक्त रिश्ते की आज की कड़ी में हम सुनेंगे महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार और हिंसा के बारे में।

baal vivah pr rok ko lekar kagrukta or poster chipkayo aviyaan chalaya gya

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यह कहानी एक लड़की की साहस और संघर्ष की है, जिसने अत्याचार को मात दिया और नये जीवन की धारा चलाई। मायके का साथ बना उसका सहारा, बेटे को बड़ा किया सच्चाई की पुकार से। उमा ने सिखाया, हिंसा से ना डरो, आगे बढ़ो, सपनों को हकीकत में बदलो। आपको लगता है कि उमा ने अपने जीवन में सही निर्णय लिया था, जब वह अपने परिवार के खिलाफ खड़ी हुई थी? उमा की कहानी आपको कैसे प्रेरित करती है और आपके विचारों में समाज में इस तरह की स्थितियों पर सहायता और बदलाव कैसे लाया जा सकता है?

झारखंड में आज भी बाल विवाह की प्रथा जारी, पिछले पांच वर्षों में 34 प्राथमिकी दर्ज और 70 लोगों की हुई गिरफ्तारी

कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन और सहयोगिनी बहादुरपुर की ओर से पेटरवार प्रखंड अंतर्गत उत्तासारा गांव में मंगलवार को समूह की महिलाओं के साथ जिला को बाल विवाह मुक्त बनाने को लेकर शपथ ग्रहण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सहयोगिनी की फील्ड मोबिलाइजर मंजू देवी ने  कहा कि संस्था द्वारा बोकारो जिले के 150 गांवों को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है

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झारखण्ड राज्य के गिरिडीह जिला से सोनी कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से यह कहना चाह रही है कि नोबेल पुरस्कार कैलाश सत्यार्थी के द्वारा संचालित संस्था कैलाश सत्यार्थी चिल्डर्न्स फाउंडेशन ऑफ़ अमेरिका के तहत गाँव गाँव में बाल मंच का गठन किया जा रहा है। वनवासी विकशा आश्रम सचिव सुरेश कुमार शक्ति ने बताया की गिरिडीह जिला में बाल शोषण के ड्रॉप आउट निरंतर हो रहा है , जिससे किस प्रकार बालिकाओ का काम उम्र में शादी ,बाल मजदूरी एवं मानव तस्करी का शिकार हो रहे है।