सुषमा जी,बोकारो से मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना जो मुख्य रूप से किसानों के लिए बनाई जाती है जिससे किसानों को लाभ और राहत मिल सके। लेकिन बहुत से गावँ के कृषकों को फसल बीमा भी योजना के बारे में कोई सुचना नहीं दी जाती पंचायत स्तर से गांव में फसल बीमा पर कोई चर्चा नहीं की जाती है।जिससे सरकार की योजना महज योजना ही बन कर रह जाती है। पंचायत के प्रतिनिधियों द्वारा ना ही बैठक करके कृषकों को कोई जानकारी दी जाती है और ना ही जागरूक किया जाता है। जब सरकार द्वारा जाँच की जाती है तो जनता को बुला कर दिखाने के लिए चर्चा किया जाता है। पंचायत या प्रखंड अधिकारी किसानों को योजना का लाभ देने के लिए उनसे पैसों की माँग करते हैं।जो व्यक्ति पैसा देता है योजना का लाभ भी सिर्फ उन्हें मिल पाता है,अगर पैसे नहीं दिए जाते हैं तो उन्हें यह कह क्र टाल दिया जाता है की अगले लिस्ट में आपका नाम होगा।इस प्रकार कई किसान लाभ से वंचित हो जाते हैं। यदि भूख से गरीब की मौत हो जाए तो अधिकारी खुद को बचाने के लिए उनकी मौत किसी बिमारी से हुई है बता देते हैं।इसलिए सरकार से अनुरोध है की वो योजनाओं का परीक्षण करें एवं योजनाओं का लाभ भी उनको ही दे जिनको इनकी जरूरत हैं।

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जिला बोकारो पेटरवार से सुषमा कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि 18 वर्ष से कम उम्र में विवाह करना बाल विवाह एवं हिंसा कहलाता है।क्योकि विवाह करने के बाद लड़कियों को अनेक प्रकार से ताना सुनना,मारपीट करना,दहेज़ प्रताड़ना,आजादी छिन्न जाना एवं अनेक प्रकार के हिंसा से जूझना पड़ता है और बाल विवाह होने के बाद दहेज़ की मांग पूरी नहीं होने पर उनकी हत्या कर दी जाती है, या परिवार वाले दहेज़ देने में असमर्थ होते हैं तो लड़की तंग आ कर आत्महत्या कर लेती है।परिणाम आज देश में लड़कियों की संख्या में कमी देखि जा रही है।प्रशासन कानून के होने के बाद भी आए दिन हत्या की खबर आती है। अतः बाल विवाह हो रोकना अतिआवश्यक है। बेटियों को शादी के बजाय बेहतर शिक्षा दें ताकि आगे जा कर बेटियां खुद पर होते हिंसा का सामना आसानी से कर सके।

जिला बोकारो तेनुघाट से सुषमा कुमारी जी मोबाईल वाणी के माध्यम से कहती हैं कि सरकार द्वारा लागू की गई योजनाओ के बाद भी राज्य में गरीबों के स्थिति में सुधार नहीं हुआ है।इसके पीछे मुख्य वजह है कि इन योजनाओ में बिचौलियाँ पूरी तरह हावी हैं। वे कमीशन लेकर किसी भी योजना का लाभ सुखी संपन्न व्यक्तियों को दे देते हैं और इस तरह से सही लाभुकों को किसी भी योजनाओ का लाभ नहीं मिल पाता है।वे कहती है कि कोई भी योजना लागू होने से पहले ही कमिशन की रकम तय हो जाती है। साथ ही लाभुकों को किसी भी योजना के बारे में कोई भी जानकारी सही तरीके से नहीं दी जाती है। और इस तरह से सही जानकारी के आभाव में एक लाभुक योजना के लाभ लेने से वंचित रह जाता है। साथ ही गाँव में किसी भी योजना के चयन के लिए न तो सही से सर्वे होता है,और न ही डोर टू डोर गणनना नहीं होती है।पंचायत के प्रतिनिधि कुछ गिने चुने लोगों के साथ बैठ कर योजना का चयन कर लेते हैं। इस कारण से खाद्य सुरक्षा अधिनियम का लाभ गरीबों तक नहीं पहुँच पा रहा है।

जिला बोकारो पेटरवार से सुषमा कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि वर्तमान समय में बाल विवाह एक अभिशाप है। जिस उम्र में बच्चों को पढ़ना,लिखना,खेलना,कूदना और नए-नए विचारों का आदान-प्रदान का समय रहता है, उस वक्त बाल विवाह करा दिया जाता है। यह एक खतरनाक और भयभीत पल स्थिति होती है। उम्र के लिहाज से बच्चों का बाल विवाह अनुचित है, बाल उम्र में बच्चों की मानशिक और शारीरिक स्थिति ख़राब होती है। शरीर कमजोर और उम्र छोटी होती चली जाती है।बच्चों को शरीर कमजोर,मानशिक, सामजिक और दहेज़ प्रताड़ना का भी शिकार होना पड़ता है और जनसँख्या में भी वृद्धि होती चली जाती है।

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जिला बोकारो पेटरवार से सुषमा कुमारी जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि बैंक द्वारा कृषकों को रबी फसल के लिए सस्ते दरों में बीज मुहैया नहीं कराई जाती है। ऐसे में जो किसान , खेती कार्य करतें हैं वे इन सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं।इसका मुख्य वजह यह है कि कृषक बैंक को कमीशन नहीं दे पातें हैं।जिस वजह से किसान सस्ते दरों में मिलने वाले सभी सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं।कई बैंकों में यह देखा जाता है कि बैंक में बिचौलिया बैठे रहते हैं,जो किसानों का हक़ मार लेते हैं । और जब जाँच की बात आती है, तो प्रबंधक द्वारा भी बैंक को ही जाँच का जिम्मा सौंप दिया जाता हैं।जब रबी फसल लगाने का समय आता है तो सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधाओं से वंचित किसान मजबूर और बेबस नज़र आते हैं। कृषक अत्यधिक संवेदनशील होते हैं जिसके कारण बिचौलिया और बैंक इसका लाभ उठाते हैं।वे कहती हैं कि कई पंचायतों में सरकार द्वारा सिचाई के लिए कोई सुविधा नहीं दी गई है जिससे किसानों को अपने स्तर से कुआँ और तालाब का निर्माण कर खेती करना पड़ता है।आए दिन यह सुनने को मिलता है कि सरकार द्वारा किसानो को रबी फसल में हुई नुकसान का मुआवजा दिया जाएगा।लेकिन ऐसा कुछ होते नजर नहीं आता है। और गौर करने वाली बात हैं कि किसानों को अपने नुकसान की भरपाई लेने के लिए कार्यालयों की चक्कर काटने पड़ते हैं। साथ ही इसमें किसानों का जितना नुकसान नहीं होता उससे कहीं ज्यादा पैसा उस नुकसान को कार्यालयों से प्राप्त करने में खर्च हो जाता है।