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देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हमसे अपील कर रहे हैं कि देश के एक—एक नागरिक को सेहतमंद बनाना है. भारत को इतना सेहतमंद बनाना है कि, यहां लोगों को स्वास्थ्य पर सबसे कम खर्च करना पड़े. इस सोच में कोई दिक्कत नहीं है पर जो सवाल है वो ये है कि जिस देश में भुखमरी के हालात बन रहे हैं, रोजगार का संकट मंडरा रहा है वहां लोग खुद को सेहतमंद कैसे बनाएं? ग्लोबल हंगर इंडेक्स की बीते कुछ सालों की रिपोर्ट पर नजर डालें तो पता चलता है कि भारत भुखमरी से निपटने के मामले में लगातार पीछे जा रहा है. दुनिया में भुखमरी के सबसे बुरे हालातों में पहुंच चुके 119 देशों में से भारत 103वें स्थान पर है. इसके पहले साल 2014 में भारत 99वें स्थान पर था. साल 2015 में 93वें स्थान पर जा पहुंचा. इसके बाद साल 2016 में 97वें और साल 2017 में 100वें पायदान पर पहुंच गया. अब हम 103वें पायदान पर है, यानि हालात बद से बदतर हो रहे हैं. और राजनेता चाहते हैं कि भारत फिट बने. यह वाकई सोचने और बोलने वाला मसला है.तो साथियों इस बार जनता की रिपोर्ट चर्चामंच पर पूछ रहे हैं कि भूखमरी के बीच कैसे फिट होगा इंडिया!...क्या आपको नहीं लगता कि देश की जनता से अपनी सेहत का ख्याल रखने वाले राजनेताओं को पहले उन्हें भरपेट भोजन देना चाहिए? जिस देश के लोग दो वक्त के खाने का इंतजाम करने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं, वहां फिट इंडिया जैसे जुमले कितने फिट बैठते हैं? आपके हिसाब से सबसे जरूरी क्या है, भरपेट भोजन करने वालों को फिट करना या भूखमरी से दम तोड़ रहे लोगों को दो वक्त का भोजन मुहैया करवाना? आप सरकार के इस नए विचार से कितना सहमत हैं? हमारे साथ अपनी राय साझा करें. अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में दबाएं नम्बर 3.