समाज कि लड़ाई लड़ने वाले लोगों के आदर्श कितने खोखले और सतही हैं, कि जिसे बनाने में उनकी सालों की मेहनत लगी होती है, उसे यह लोग छोटे से फाएदे के लिए कैसे खत्म करते हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब कोई प्रभावशाली व्यक्ति ने इस तरह काम किया हो, नेताओं द्वारा तो अक्सर ही यह किया जाता रहा है। हरियाणा के ऐसे ही एक नेता के लिए ‘आया राम गया राम का’ जुमला तक बन चुका है। दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं? आपको क्या लगता है कि हमें अपने हक की लड़ाई कैसे लड़नी चाहिए, क्या इसके लिए किसी की जरूरत है जो रास्ता दिखाने का काम करे? आप इस तरह की घटनाओं को किस तरह से देखते हैं, इस मसले पर आप क्या सोचते हैं?
भारत में जहां 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं। इन चुनावों में एक तरफ राजनीतिक दल हैं जो सत्ता में आने के लिए मतदाताओं से उनका जीवन बेहतर बनाने के तमाम वादे कर रहे हैं, दूसरी तरफ मतदाता हैं जिनसे पूछा ही नहीं जा रहा है कि वास्तव में उन्हें क्या चाहिए। राजनीतिक दलों ने भले ही मतदाताओं को उनके हाल पर छोड़ दिया हो लेकिन अलग-अलग समुदायो से आने वाले महिला समूहों ने गांव, जिला और राज्य स्तर पर चुनाव में भाग ले रहे राजनीतिर दलों के साथ साझा करने के लिए घोषणापत्र तैयार किया है। इन समूहों में घुमंतू जनजातियों की महिलाओं से लेकर गन्ना काटने वालों सहित, छोटे सामाजिक और श्रमिक समूह मौजूदा चुनाव लड़ रहे राजनेताओं और पार्टियों के सामने अपनी मांगों का घोषणा पत्र पेश कर रहे हैं। क्या है उनकी मांगे ? जानने के लिए इस ऑडियो को सुने
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बिहार राज्य के रोहतास ज़िला के चेनारी प्रखंड के सिंघपुर ग्राम से राजवंती कुमार ,मोबाइल वाणी के माध्यम से यह जानना चाहती है कि उन्हें व्यवसाय करना है तो इसके लिए एससी एसटी का लोन कैसे मिलेगा ?
नारायणपुर पंचायत के चोरही गांव के निवासी राम केश्वर पंडित 2 वर्षों से इस ब्लॉक में रसीद कटवाने के लिए दौड़ रहे हैं इनका अधिकारी बात नहीं सुन रहे हैं राशिद नहीं कटने से परेशानी इनको बढ़ गया है और ब्लॉक पर दौड़ते दौड़ते थक गए हैं अभी भी इनका कार्य नहीं हो रहा है धन्यवाद मोबाइल वाणी में मैं प्रिंस कुमार
कोविड की दूसरी लहर का प्रकोप कम होते ही एक बार फिर से जो सवाल मुंह उठा रहा है वह है गरीब की थाली के भोजन का. सरकार ने एलान किया है कि गरीबों को दिवाली तक नि:शुल्क राशन दिया जाएगा पर सवाल ये है कि पुरानी व्यवस्था में भी बहुत से गरीब परिवार भूख से बिलखते रह गए। साथियों, अगर आप भी नि:शुल्क राशन पाने वालों की श्रेणी में आते हैं तो हमें बताएं कि क्या जब से कोविड ने देश में पांव पसारे हैं तब से आपको नियमित रूप से सरकारी राशन मिल रहा है? अगर नहीं तो डीलर राशन देने से मना क्यों कर रहे हैं? जो लोग नया राशन कार्ड बनवाना चाहते हैं क्या उन्हें राशन कार्ड बनवाने में दिक्कतें आ रही हैं? अगर दिक्कतें हैं तो वे क्या हैं और क्या इस बारे में प्रखंड आपूर्ति अधिकारी या जिला अधिकारी की लिखित रूप से शिकायत की है? सरकार राशन ना मिल पाने की स्थिति में आप कैसे अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं? क्या कोविड के दौरान आपके परिवार को या आपको राशन ना होने पर भूखे पेट सोना पडा है? अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.
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शेखपुरा जिला के अरियरी प्रखंड अंतर्गत हजरतपुर मंडरो के वृदांवन सिमरन टोला के निवासी दिव्यांग अनुज कुमार मांझी ने मीडिया चैनल पर आपबीती सुनाई ।