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विजय कुमार सिंह,जिला जमुई के सिकंदरा प्रखंड से मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है की शैक्षणिक ज्ञान के साथ सांस्कृतिक ज्ञान भी जरूरी है।भारतीय आज अपनी संस्कृति को पीछे छोड़ पश्चिमी सभ्यता को अपना रहे है।युवा पीढ़ी में फैशन की ओर ज्यादा भटकाव आया है।आज के युवा पारम्परिक वस्त्र छोड़ते जा रहे है।वही देश के युवा नशे की लत में फँसते जा रहे है।आज देश में महिला हिंसा तथा अन्य घटनाओं पर काफी इजाफा हुआ है जो समाज में ठहराव उत्पन कर दिया है।इस तरह की घटनाएं समाज की विकृतियों को उजागर करता है।वही लोग अपने बच्चो को पढ़ाई के लिए प्रेरित करते है तथा अच्छी शिक्षा के लिए लाखों रुपया खर्च कर अन्य प्रदेश भेजते है परन्तु उनके रहन-सहन और जीवन शैली पर कभी गहनता से ध्यान नहीं देते है।इसलिए बच्चो को योग्य नागरिक बनाने के लिए शैक्षणिक ज्ञान के साथ संस्कारी शिक्षा भी देना जरुरी होता है।

जिला जमुई प्रखंड सिकंदरा से विजय कुमार जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि राजकीय कोल्ड स्टोरेज की आवश्यकता है।अन्न एवं आलू के भंडारण के लिए बिहार सरकार आज तक उचित प्रबंध नहीं कर सकी है।विगत वर्षो में पैक्स द्वारा खरीदी गयी गेंहू और धान के लिए प्रखंड कार्यालयो में निर्मित गोदाम छोटा पड़ गया था।इसका परिणाम यह हुआ था कि गेंहू और धान की बोरियां प्रखंड कार्यालयो में कई माह तक खुले आसमान के नीचे रह गयी थी,जिससे धान की बोरियों को कुछ ख़ास नुकसान नहीं हुआ पर हजारों किवंटल गेहूं की बोरियां बर्बाद हो गयी।सूबे में बिजली की हालत में सुधार हुआ है जिससे आनेवाले वर्षो में कोल्ड स्टोरेज में आलू रखे जाने से उसके सड़ने का अंदेशा नहीं है।बिहार सरकार को जिलों व प्रखंडों में होने वाले खेती उत्पादों को देखते हुए हर जगह पर राजकीय कोल्ड स्टोरेज की आवश्यकता है।

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विजय कुमार सिंह,जिला जमुई के सिकंदरा प्रखंड से मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि जमुई जिला मुख्यालय की सड़के अतिक्रमित हो रही है।शहर की प्रमुख सड़के पूरी तरह अतिक्रमण की भेंट चढ़ गई है।इस अतिक्रमण से शहर के लोग कराह रहे है।जगह-जगह पर पैदल चलने वाले पथ पर भी फुटपाथी दुकानदारों का कब्ज़ा है।जिसकारण लोगों को पैदल चलने में काफी परेशानी होती है।वही लोगो का कहना है की अतिक्रमण के कारण जगह-जगह सड़क की चौड़ाई काफी कम हो गई है जिसके कारण यातायात व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ता है क्योकि लोगो को प्रतिदिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है।वही एक माह पहले अतिक्रमण हटाने के लिए प्रचार-प्रसार कराया गया था लेकिन उसके बावजूद भी लोगों ने न तो स्वेच्छा से सड़क के किनारे स्थापित दुकानें हटाई और न ही अतिक्रमण हटाने के लिए कोई अभियान चलाया गया।जिसकारण शहर में अतिक्रमण की समस्या और गंभीर बनी हुई है।

विजय कुमार सिंह,जिला जमुई के सिकंदरा प्रखंड से मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि शिक्षा विभाग के आंकड़े के अनुसार जिले में प्राथमिक से लेकर हायर सेकेंडरी तक कुल सत्रह सौ चार विद्यालय संचालित है जिनमें चार लाख आठ हजार दो सौ पैतालीस बच्चे शिक्षा ग्रहण करते है लेकिन इनमें कई विद्यालयों के भवन स्वीकृत नहीं होने के कारण झोपड़ियों या शेडो में संचालित हो रही है।यहाँ की व्यवस्था कैसी होगी यह तय करने की जरुरत तो नहीं है लेकिन इन केन्द्रो में अभी भी पढ़ाई जारी है।शिक्षा विभाग प्रतिवर्ष शिक्षा के नाम पर करोड़ो रूपये खर्च करते है लेकिन उसका आंशिक असर धरातल पर देखने को नहीं मिलता है।वही अगर सर्व शिक्षा अभियान के आंकड़े के अनुसार देखा जाये तो इस वित्तीय वर्ष में शिक्षकों के मानदेय हेतु पांच करोड़ पैतालीस लाख तथा विद्यालय भवन को छोड़कर सिर्फ प्राथमिक विद्यालय और मध्य विद्यालय के विकास अनुदान हेतु इस वित्तीय वर्ष में चौदह लाख चालीस हजार तथा रख-रखाव एवं मरम्मति अनुदान के रूप में उनीस लाख पैंतीस हजार आबंटित किये गए है परन्तु उच्य विद्यालय आज भी भवन का रोना रो रहे है।वही एक ओर माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत मॉडल स्कूल खोले जाने की बात हो रही है तो वही दूसरी ओर एक विद्यालय को अपना भवन भी नसीब नहीं है।

जिला जमुई प्रखंड सिकंदरा से विजय कुमार जी मोबाइल वाणी के माध्यम से जानकारी दे रहे है कि आज जिले में राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जा रहा है।भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन पर यह दिवस मनाया जाता है।मेजर ध्यानचंद जो अपने अविश्वश्नीय हॉकी जादूगर कौशल के लिए जाने जाते है।इनका जन्म 29 अगस्त 1905 में हुआ था।वर्ष 2012 में भारत सरकार ने उनके जन्मदिवस को इस राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया था।और तब से हर वर्ष पुरे भारत वर्ष में 29 अगस्त को महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद को सम्मानित करने के लिए राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है।इसी दिन भारत के राष्ट्रपति भारत के विभिन्न खेलों में उपलब्धि हासिल करने वाले खिलाड़ियों और कोचों को सम्मानित करते है।

बिहार के जिला जमुई,प्रखण्ड सिकंदरा से विजय कुमार सिंह जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि सिकंदरा प्रखण्ड के मंजुष गाँव में अवस्थित प्राथमिक स्वाथ्य उपकेंद्र जर्जर अवस्था में थी।सरकार के प्रयास के बाद अस्पताल के भवन की सुंदर व्यवस्था तो हुई।परन्तु सालो बीतने को है अभी तक स्वाथ्य केंद्र में कोई भी कर्मचारी दिखाई नहीं दिया।भवन हाथी के दाँत साबित हो रहे है।यहाँ के लोगों को हर छोटी-बड़ी समस्या के समाधन के लिए गाँव के झोलाछाप डॉक्टर पर निर्भर रहना पड़ता है।जो मरीजों का खून चूसने का काम करते है।आखिर अस्पताल बन जाने के बाद भी विभाग इस अस्पताल की सुधी क्यों नहीं लेता है।विभागीय पदाधिकारी केवल कार्यालय में बैठ कर जन-कल्याण की बातें सोचते है।केंद्र के नाम पर आवंटन भी होता है किन्तु सब चिकित्सा पदाधिकारी के पेट में चला जाता है।बार-बार अखबार की सुर्ख़ियों में रहने के बाद भी आज तक इस अस्पताल के माध्यम से यहाँ के ग्रामीणों को किसी प्रकार की स्वास्थ्य सेवा का लाभ नहीं मिल पा रहा है।जिला में अधिकांश स्वास्थ्य केन्द्र की हालत यही है।

बिहार के जिला जमुई,प्रखण्ड सिकंदरा से विजय कुमार सिंह जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि हाईकोर्ट के सख्त आदेश के बावजूद भी अभी तक पुरे प्रदेश में कुल दो हजार पचास शिक्षकों ने अपने मन से त्याग पत्र दिया।ज बकि सूबे में कुलमिलाकर 40 प्रतिशत फर्जी शिक्षक कर्यरत है।और प्रतिमाह करोड़ो का राजस्व उनके वेतन पर खर्च हो रहा है। शिक्षा विभाग की गलत नीतियों के कारण ही इस तरह की गलत नीतियाँ इस विभाग में होती रहती है। और पदाधिकारी इस बात को नजरअंदाज करते रहते है। इस तरह के क्रियाकलाप में दण्ड के भागी केवल शिक्षक बनते है जो की निंदनीय है।दण्ड उस पदाधिकारियों को भी मिलनी चाहिए जो शीर्ष पदों पर बैठे हुए है। सरकार की गलत नीतियों के कारण आज शिक्षा विभाग में वैसे शिक्षकों की भर्ती कर दी गयी है जो शिक्षक की मर्यादा को तार-तार कर रहे है।शिक्षक और छात्र के बीच की मर्यादा समाप्त हो गयी है।पढ़ाई की व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गयी है।विद्यालय केवल प्रोत्साहन राशि और मिड डे मिल का जरिया बन कर रह गयी है। सरकार शिक्षकों की हड़ताल से अपनी कुर्सी को बचाने के लिए वेतनमान देकर अपना पिंड छुड़ाती है।इससे शिक्षा का कभी भला नहीं हो सकता। यही कारण है की बिहार के जो बच्चे सरकारी विद्यालयों में पठन-पाठन करते है वो अन्य निजी विद्यालयों के बच्चों से लगातार पिछड़ रहे है।