बिहार के जमुई जिला के सिकंदरा प्रखंड से विजय कुमार सिंह जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि सिकंदरा प्रखंड के सभी चौदह पंचायतों में विभिन्न प्रकार के पेंशनरों का पेंशन सही ढंग से नहीं मिल पाने के कारण इनके बीच शंका बनी हुई है।लोगों का कहना है की पेंशन कहीं बंद तो नहीं कर दिया गया ? पहले पंचायत स्तर पर पंचायत सेवक माध्यम से पेंशन हर माह मिल जाती थी। किन्तु जबसे खाता के माध्यम से पेंशन देने की बात हुई है, तब से पेंशन मिलने में काफी गड़बड़ी देखि जा रही है। किसी को दो से तीन बार मिल चूका है , तो किसी को एक बार और किसी को आज तक नहीं मिल पाया है। पेंशनधारियों को लगातार बैंको का चक्कर लगाते देखा जाता है।लोगों का कहना है की यह सिस्टम ठीक नहीं है।बुढ़ापे में बैंक का चक्क्र लगाने में ये असमर्थ है।साथ ही ये कहते है की बैंक खाता के माध्यम से मिलने से अच्छा तो पहले ही था जो डाकघर के माध्यम से पेंशन मिल जाती था। सरकार को इसपर विचार कर सुधार करना चाहिए।

बिहार के जमुई जिला के सिकंदरा प्रखंड से विजय कुमार सिंह जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि सिकंदरा प्रखंड सहित पुरे जिले भर में सैकड़ों की संख्या में बिना वैध लाइसेंस के निजी क्लिनिक एवं नर्सिंग होम का संचालन मनमाने तरीके से हो रहा है।जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के उच्च पदाधिकारियों के लापरवाही के कारण झोलाछाप डॉक्टर फर्जी डिग्री लेकर बड़े-बड़े बोर्ड लगाकर रोग से पीड़ित व्यक्तियों को ठगने के लिए हमेशा तत्पर रहते है।मालूम हो की जिन्हे अंग्रेजी का ठीक से ज्ञान भी नहीं है, वैसे-वैसे फर्जी डॉक्टर ऑपरेशन तक करते है।खासकर ग्रामीण इलाके में रहने वाले अनपढ़ लोग वैसे फर्जी डॉक्टर के चंगुल में फंस जाते है।और कम पैसे का लालच देकर मरीजों का ऑपरेशन कर उनकी जिंदगी से खिलवाड़ करते है।अक्सर इस तरह की घटनाये रोज समाचार पत्रों में आते रहती है।किन्तु इसपर प्रशासन का कोई खास ध्यान नहीं रहता है। इससे इस तरह के लोगो का मनोबल बढ़ जाता है और ऐसे कार्यों को अंजाम देते रहते है।

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बिहार के जिला जमुई के सिकंदरा से विजय कुमार सिंह जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि मकर सक्रांति के अवसर पर तिलकुट के इस्तेमालका का अपना एक विशेष महत्व है।और इसी वजह से मकर संक्रांति को तिल संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है।तिलकुट विक्रेताओं के अनुसार दूसरे प्रदेश में रहने वाले अपने सगे-संबंधियों के लिए भी जिले में बनने वाले अलग-अलग तिलकुट को सन्देश के रूप में ले जाते है।विद्वानों की माने तो मकर संक्रांति के अवसर पर तिल या तिल से बने सामग्रियों के इस्तेमाल के पीछे कई प्रकार की कहानियां प्रचलित है। लेकिन मूल रूप से वैज्ञानिक कारण यह है की तिल, गुड़ और चीनी का तासीर गर्म होती है।इसलिए इसके मिश्रण से बनने वाले तिलकुट या अन्य सामग्री शरद ऋतु में स्वास्थ्य के लाभदायी होता है।जानकारों की माने तो विगत तीस से पैंतीस वर्ष पूर्व से ही लोगों के द्वारा मकर संक्रांति के अवसर पर तिलकुट का इस्तेमाल किया जा रहा है।

बिहार के जिला जमुई के सिकंदरा प्रखंड से ज्योति कुमारी जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रही है कि भोजन की बर्बादी एक बहुत बड़ी समस्या और सवाल है। हमारे द्वारा जाने-अनजाने बर्बाद किये जा रहे भोजन की बर्बादी को समझने की हमे जरुरत है।मेहनत मजदूरी करने वाले गरीब परिवारों की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट होना अतिआवश्यक है। जो अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए कठिन परिश्रम करने में लगे रहते है।दो जून की रोटी के लिए लोग दिनरात एक कर देते है ताकि उनके परिवार को भरपेट भोजन मिल सके।

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