मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

बनो नई सोच ,बुनो हिंसा मुक्त रिश्ते की आज की कड़ी में हम सुनेंगे महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार और हिंसा के बारे में।

यह कहानी एक लड़की की साहस और संघर्ष की है, जिसने अत्याचार को मात दिया और नये जीवन की धारा चलाई। मायके का साथ बना उसका सहारा, बेटे को बड़ा किया सच्चाई की पुकार से। उमा ने सिखाया, हिंसा से ना डरो, आगे बढ़ो, सपनों को हकीकत में बदलो। आपको लगता है कि उमा ने अपने जीवन में सही निर्णय लिया था, जब वह अपने परिवार के खिलाफ खड़ी हुई थी? उमा की कहानी आपको कैसे प्रेरित करती है और आपके विचारों में समाज में इस तरह की स्थितियों पर सहायता और बदलाव कैसे लाया जा सकता है?

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उच्च विद्यालय आलमपुर में बाल विवाह के ऊपर चर्चा की गई जिसमें जहांआरा जी ने बताया कि बाल विवाह नहीं करना चाहिए बाल विवाह होने से लड़का और लड़कियों की पढ़ाई नहीं होती है और 1 साल के अंदर लड़कियों को मां बनने की संभावना होती है और लड़कों को काम करने लगते हैं जिसमें वह बहुत कमजोर हो जाते हैं और कम उम्र में शादी करने से बच्चा और बच्चियों का भी बहुत भारी नुकसान होता है

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बिहार राज्य के जमुई जिले के चेनारी प्रखंड से मोबाइल वाणी संवाददाता आशीष कुमार ने जानकारी दी कि आज कल लड़कियों के शादी को लेकर नए प्रस्ताव दिए गए जिस पर शांति कुमारी का कहना है की लड़कियों की शादी 18 से 21 साल के बीच कर देना चाहिए क्योकि लड़कियों 18 साल की हो जाती है तब नाबालिक के जैसे दिखती है। बल्कि लड़कियों की शादी 21 साल तक करनी चाहिए। लड़कियों की शादी कम उम्र में होती है तो शारीरिक समस्या बढ़ जाती है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।