सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सेना के जवान केवल तभी विकलांग पेंशन के हकदार होंगे, जब सैन्य सेवा के कारण विकलांगता हुई हो या इस तरह की सेवा से और बढ़ गई हो और ऐसी स्थिति 20 प्रतिशत से अधिक हो।न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के उस आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें सेना के जवानों को विकलांगता पेंशन दी गई थी। सर्वोच्च अदालत ने अतिरिक्त सालिसिटर जनरल के एम नटराज की इस दलील से सहमति जताई कि सशस्त्र बलों के एक सदस्य को लगी चोटों और सैन्य सेवा के बीच उचित संबंध होना चाहिए। पीठ ने सैन्य कर्मी के छुट्टी स्टेशन पर पहुंचने के दो दिन बाद घायल होने के दावे को खारिज करते हुए कहा, 'जब तक विकलांगता सैन्य सेवा के कारण या बढ़ जाती है और 20 प्रतिशत से अधिक हो जाती है, तब तक विकलांगता पेंशन का अधिकार नहीं बनता है।' कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामले में कर्मी के छुट्टी स्टेशन पर पहुंचने के दो दिन बाद वह एक सार्वजनिक सड़क पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। पीठ ने कहा, 'सैन्य सेवा और प्रतिवादी द्वारा लगी चोटों के बीच बिल्कुल कोई संबंध नहीं है। कोई कारण संबंध भी नहीं है। ट्रिब्यूनल ने इस पहलू को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है जो मामले की जड़ तक जाता है। इसलिए, प्रतिवादी विकलांगता पेंशन का हकदार नहीं है।विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।
बिहार राज्य के दानापुर जिले से दिलीप कुमार ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि उनकी बहन जमुई जिले के सोनो प्रखंड स्थित एक अस्पताल में भर्ती थी, तबियत ज़्यादा खराब होने की वजह से उनको जमुई जिला स्थित सरकारी अस्पताल में रेफर कर दिया गया। बताते है की सदर अस्पताल में मौके पर कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं था और मरीज की हालत गंभीर थी। फिर दिलीप ने बिहार मोबाइल वाणी के संवादाता रजनीश कुमार से बात की तथा उनके पहल से अस्पताल के सिविल सर्जन नौसाद अहमद से बात करने के बाद मरीज की जांचकी गई तथा निशुल्क ऑक्सीजन मुहैया करवाया गया अंत में मोबाइल वाणी के संवादाता की वजह से मरीज की जान बचा ली गई
जिला जमुई ,प्रखण्ड सोनो से विकास कुमार जी मोबाईल वाणी के माध्यम से कह रहे है कि बिहार के मुख्यमंत्री माननीय नितीश कुमार जी बाल विवाह एवं दहेज़ प्रथा के खिलाफ अभियान चलाया है। लेकिन इसके साथ-साथ बाल श्रम पर भी इन्हे ध्यान देना चाहिए।क्यूंकि आजकल के लड़के बच्चे किसी होटल या किसी भी जगह पैसे के लालच में काम करते है।और जिसके कारण इन्हे शिक्षा के महत्व के बारे पता नहीं चल पता है। बाल श्रम पर ज्यादा ध्यान दिया जायेगा तभी बाल विवाह पर रोक लग सकता है।साथ-ही-साथ दहेज़ प्रथा पर भी रोक लग सकता है।क्योंकि लडके पढ़े-लिखे होंगे तभी उनकी सोच आगे बढ़ेगी और वो भी आगे बढ़ेंगे।और शादी करने के समय उनकी उम्र 21-22 वर्ष पूरा हो जायेगा।अगर अगर वे पढ़े-लिखे होंगे तो समझदार भी हो जाएंगे और उन्हें लड़की भी पढ़ी-लिखी मिलेगी।साथ ही शिक्षित होने की वजह से उन्हें ये समझ आएगा की दहेज़ लेना कानूनन अपराध है।और इसी सोच की वजह से वो अपने जीवन में आगे बढ़ सकता है।
Transcript Unavailable.
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