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जिला धनबाद,प्रखंड बाघमारा से बीरबल महतो जी मोबाईल वाणी के माध्यम कहते हैं कि सार्वजनिक प्रतिष्ठानों एवं निजी क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूर काफी मजबूर हो गए हैं ।बेरोजगार मजदूरों की संख्या काफी बढ़ जाने के कारण मजदूरों का काफी शोषण किया जा रहा है।यहाँ तक की सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम मजदूरी भी मजदूरों को नहीं दिया जाता है।खदानों में आजकल अधिक कॉन्ट्रैक्ट पर काम किया जा रहा है। वहाँ मजदूरों को मात्र 220-230 रुपये में आठ घंटे की जगह कभी-कभी बारह घंटे काम करवाया जाता है।और अगर कभी कोई मजदूर न्यूनतम मजदूरी की मांग करता है तो उसे काम से हटा दिया जाता है जिसके डर से मजदूर मजबूर होकर न्यूनतम मजदूरी से काफी कम पैसे में जोखिम भरा काम करते हैं ।बीरबल जी का कहना है कि ऐसा काम इनके गाँव के लगभग 15 -20 मजदूर टाटा कोलयरी सिजवा में मजदूरी का काम करते हैं ।और वे सभी मजदूर शोषण का शिकार हो रहे हैं । साथ ही ठेका मजदूरों का पीएफ के नाम पर पैसा तो काटा जाता है लेकिन एक ठेकेदार से दूसरे ठेकेदार के पास काम करने के कारण इन्हें पीएफ भी नहीं मिल पाता है।अतः न्यूनतम मजदूरी प्रत्येक मजदूर को मिले इसके लिए सरकार को ठेकेदारों पर दबाव बनाना चाहिए। और अगर किसी मजदूर को काम से हटाया जाता है,तो उसको काम से हटाने का कारण जानना चाहिए। और सभी मजदूरों से आठ घंटे काम कराना चाहिए और सही मजदूरी देनी चाहिए।

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NGO के माध्यम से निरक्षरों एवं अंधविश्वासियों पर कार्यशाला होना चाहिए

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जिला धनबाद,प्रखंड बाघमारा से बीरबल महतो जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि जब से पेंशनधारियों को बैंको के द्वारा भूगतान शुरू हुई है तब पेंशनधारियों के लिए खास कर वृद्ध एवं विकलांगों के लिए पेंशन की राशि लेना जी का जंजाल बन गया है।सरकार द्वारा वृद्ध,विकलांग एवं असहायों के लिए 1 मई 2009 से पेंशन लागु किया है। पहले पोस्ट ऑफिस के माध्यम से पेंशनधारियों को पेंशन का भूगतान कर दिया जाता था।परन्तु अब बैंकों के द्वारा दिया जाता है ,जिससे विकलांगों को शारीरिक एवं मानशिक परेशानी का सामना करना पड़ता है।इसके पीछे एक वजह यह है कि कई जगहों पर बैंक दो मंजिला माकन की ऊपरी तल्ले पर होने के कारण सीढ़ियों के द्वारा वृद्ध एवं विकलांग व्यक्तियों को बैंक जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।जिससे उन्हें शारीरिक कष्ट होता है।इतना ही नहीं कई जगहों पर बैंक कर्मियों द्वारा पेंशनधारियों को हिन् दृष्टि से भी देखा जाता है।इसके आलावा बैंक कर्मियों द्वारा कभी वोटर आईडी कार्ड तो कभी आधार कार्ड की मांग कर भी उन्हें मानशिक कष्ट दिया जाता है।अतः वे सरकार से अपील करते हैं कि सरकार द्वारा दो मंजिला बैंकों में लिफ्ट की सुविधा देना चाहिए एवं पेंशनधारियों के लिए एक अलग काउंटर बनाए जाये ताकि पेंशनधारी वृद्ध,विकलांग,असहाय एवं जरुरत मंद को किसी प्रकार का कष्ट ना हो सके।

जिला धनबाद बाघमारा से बीरबल महतो जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि तेज गति से डीजे साउंड शारीरिक एवं मानशिक हानिकारक होते हैं। संगीत को सभी वर्ग के लोग पसंद करते हैं जब भी लोग अकेले,दुखी,ख़ुशी या किसी की याद आती है तो संगीत सुन लेते हैं। संगीत की सामान्य आवाज 60 डीबी होती है और 80 डीबी की आवाज हम सभी के लिए हानिकारक होते हैं। अधिक संगीत की आवाज होने पर सुनने की क्षमता बहुत कम हो जाती है। सरकार द्वारा पहले ही उच्च ध्वनि पर रोक लगाई गई है, पर आज के युवा पीढ़ी डीजे साउंड को ही अधिक महत्व दे रहे हैं। इससे ध्वनि प्रदूषण के साथ-साथ सभी वर्ग के लोगो को कई दिक्क्तों का भी सामना करना पड़ता है।छात्र-छात्राओं के पढाई में कई बाधा आ जाती है।अतः सभी वर्ग के लोगों को इसके खिलाफ आवाज उठा कर युवाओं को जागरूक कर डीजे साउंड की आवाज को कम करना चाहिए।

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