नौकरी जाने की ख़ुशी हम मज़दूरों को नौकर शब्द से आज़ाद करती है आखिर इन्सान क्यों किसी का नौकर हो?साथ ही हम मज़दूरों के लिये बेरोजगारी भत्ते का दरवाज़ा खोलती है और सरकार को एक और सब्सिडी का ग़म दे सकती है जहाँ बेरोज़गारों की बढ़ती तादाद के बदले सरकार को पैसा तो देना ही होगा।रफ़ी की डायरी के इस पन्ने को विस्तारपूर्वक सुनने के लिए क्लिक करे ऑडियो पर....