किसी भी राजनीतिक पार्टी और नेता के पास आदिवासी एजेंडा व एकशनप्लान नहीं है. चुनाव कोई भी जीते आदिवासी समाज को हारना निश्चित है आजादी के बाद से अब तक आदिवासी समाज हार रहा है. अब तक धार्मिक आजादी से वंचित है -उक्त बातें आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने सोमवार को पेटरवार स्थित न्यू प्रभात होटल परिसर में एक प्रेस वार्ता में पत्रकारों से कही. उन्होंने कहा कि सरना धर्म कोड आंदोलन केवल धार्मिक आजादी का आंदोलन नहीं बल्कि भारत राष्ट्र के भीतर आदिवासी राष्ट्र के निर्माण का आंदोलन है. आदिवासी हासा, भाषा, जाति, धर्म, रोजगार, इज्जत, आबादी और संविधान -कानून प्रदत्त अधिकारों को बचाने का आंदोलन है. उन्होंने कहा कि सेंगेल का नारा है आदिवासी समाज को बचाना है तो पार्टियों की गुलामी मत करो, समाज की बात करो और काम करो. जो सरना धर्म कोड देगा आदिवासी उसको वोट देगा. कहा आदिवासी सेंगल अभियान की ओर से सरना धर्म कोड मान्यता के लिए आगामी 30 दिसंबर को भारत बंद की घोषणा हो चुकी है. इसको जन आंदोलन बनाने के लिए 2011की जन गणना में 50 लाख सरना धर्म लिखने वाले प्रकृति पूजक आदिवासियों सहित सरना धर्मकोड समर्थक नेता व सांगठनों एवं झारखंड विधान सभा में 11नवंबर 2020 को धर्म कोड समर्थक सभी पार्टी व कार्य कार्यकर्ताओं से भी सहयोग की अपील की है. मौके पर केंद्रीय संयोजक सुमित्रा देवी, प्रदेश अध्यक्ष देवनारायण मुर्मू, प्रदेश संयोजक करम चंद हांसदा, रामजीत बेसरा, गोपीनाथ मुर्मू, हरिश्चन्द्र मुर्मू,ललिता सोरेन सहित अन्य उपस्थित थे.