रोजी-रोजगार की तलाश में परदेश गए एक व्यक्ति की मौत दुर्घटना ग्रस्त हो जाने से परदेश में हो गयी. घर का एकमात्र कमाऊ व्यक्ति के मौत की खबर मिलते ही मृतक के परिजनों का रो -रो कर बुरा हाल हो गया है. पूरे गांव का माहौल काफी गमगीन हो गया और गांव में मातमी सन्नाटा पसर गया. बताया जाता है कि पेटरवार प्रखंड अंतर्गत कोह पंचायत के लेपो गांव निवासी स्व.परणू महतो का पुत्र नरेश महतो (52 वर्ष) रोजी- रोजगार की तलाश में मुंबई के भिवंडी में काम करने के लिए एक सितंबर को गया था. वहां पर ठीकेदार के अधीन आरसीसी फिटर के रूप में कार्य कर रहा था. इसके पूर्व भी वहाँ पर वह काम किया करता था. गत 10 सितंबर को कार्य करने के दौरान वह गिरकर गंभीररूप से घायल हो गया था. उसे सर सहित शरीर के अन्य हिस्से में चोटे लगी थी. गंभीररूप से घायल होने के बाद उसे भिवंडी के एक अस्पताल में इलाज के लिये भर्ती कराया गया था. जहां वह जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करते हुए उसकी मौत 11 सितंबर को हो गयी. वह अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए रूपये कमाने की बड़ी आशा के साथ घर से निकला था. परिवार को भी आशा बंधाया और यह कह कर निकला था कि कुछ रूपये कमाने के बाद जल्द ही घर वापस आ जाउंगा. जा कर काम ज्वायन भी कर लिया था पर नियति को यह पसंद नहीं था और काम के दौरान गिर कर गंभीर रूप से घायल हो गया और अंततः इलाज के दौरान मौत हो गयी. परिजनों को रोता-बिलखता छोड़ कर स्वर्ग सिधार गया. बताया गया कि शव वहाँ से ठीकेदार ले कर आ रहा है. संभवत: रात में शव गाँव पहुंचेगा. इस क्षेत्र से रोजी रोज गार की तलाश में लोगों का पलायन करना विवशता है. कमाने की आशा ले कर बाहर जाते हैं और बाहर से रोजी-रोजगार की तलाश में परदेश गए एक व्यक्ति की मौत दुर्घटना ग्रस्त हो जाने से परदेश में हो गयी. घर का एकमात्र कमाऊ व्यक्ति के मौत की खबर मिलते ही मृतक के परिजनों का रो -रो कर बुरा हाल हो गया है. पूरे गांव का माहौल काफी गमगीन हो गया और गांव में मातमी सन्नाटा पसर गया. बताया जाता है कि पेटरवार प्रखंड अंतर्गत कोह पंचायत के लेपो गांव निवासी स्व.परणू महतो का पुत्र नरेश महतो (52 वर्ष) रोजी- रोजगार की तलाश में मुंबई के भिवंडी में काम करने के लिए एक सितंबर को गया था. वहां पर ठीकेदार के अधीन आरसीसी फिटर के रूप में कार्य कर रहा था. इसके पूर्व भी वहाँ पर वह काम किया करता था. गत 10 सितंबर को कार्य करने के दौरान वह गिरकर गंभीररूप से घायल हो गया था. उसे सर सहित शरीर के अन्य हिस्से में चोटे लगी थी. गंभीररूप से घायल होने के बाद उसे भिवंडी के एक अस्पताल में इलाज के लिये भर्ती कराया गया था. जहां वह जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करते हुए उसकी मौत 11 सितंबर को हो गयी. वह अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए रूपये कमाने की बड़ी आशा के साथ घर से निकला था. परिवार को भी आशा बंधाया और यह कह कर निकला था कि कुछ रूपये कमाने के बाद जल्द ही घर वापस आ जाउंगा. जा कर काम ज्वायन भी कर लिया था पर नियति को यह पसंद नहीं था और काम के दौरान गिर कर गंभीर रूप से घायल हो गया और अंततः इलाज के दौरान मौत हो गयी. परिजनों को रोता-बिलखता छोड़ कर स्वर्ग सिधार गया. बताया गया कि शव वहाँ से ठीकेदार ले कर आ रहा है. संभवत: रात में शव गाँव पहुंचेगा. इस क्षेत्र से रोजी रोज गार की तलाश में लोगों का पलायन करना विवशता है. कमाने की आशा ले कर बाहर जाते हैं और बाहर से शव वापस आता है जिससे परिजनों की स्थिति और भी बदतर हो जाती है. शव वापस आता है जिससे परिजनों की स्थिति और भी बदतर हो जाती है.
