पेटरवार. दर्जा प्राप्त मंत्री योगेंद्र प्रसाद महतो से उनके पेटरवार स्थित आवासीय कार्यालय में कुड़मालि भाखि-चारि आखड़ा के एक प्रतिनिधि मंडल ने भेंट की. प्रतिनिधि मंडल ने राज्य के मुख्यमंत्री के नाम एक मांग पत्र दर्जा प्राप्त मंत्री श्री महतो को सौपा. सौपे गए मांगपत्र में कुड़मालि भाषा को संविधान की 8वीं सूची में शामिल करने की मांग की गई. मांगपत्र में कहा गया कि कुड़मालि आदिकाल से कुड़मि जनजाति द्वारा सृजित एवं व्यवहृत की जाने वाली प्राचीन मातृभाषा है. यह भाषा आदिकाल से ही वाचिक स्वरूप में अत्यंत समृद्ध है तथा लिखित स्वरूप में 17 वीं शताब्दी से साहित्य के रूप में भी विद्यमान है और वर्तमान में कुड़मालि भाषा पर 1962 से लेकर अभी तक सैकड़ों शोधपत्र प्रकाशित हुए है तथा झारखंड एवं पश्चिम बंगाल के सात विश्वविद्यालयो में कुड़मालि की स्नातकोत्तर स्तर तक पठन- पाठन की जा रही है. कुड़मि के पारंपरिक प्रथागत व शासन व्यवस्था के अंतर्गत बाइसी प्रगनैत व्यवस्था के अधीन संचालित है. कहा कि इस समुदाय पर हिन्दू विवाह अधिनियम तथा हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम लागू नही होता है. 12 मासेक 13 परब तथा जनम मरण के संस्कार कुड़मालि नेगा चारि से होता है. कुड़मी की संख्या एक करोड़ से अधिक है. जागरूकता के अभाव में पुरखैनी मातृभाषा कुड़माली को जनगणना डाटा में भी समुचित रूप से दर्ज नहीं किया जा सका है. कुड़माली को द्वितीय राजभाषा के रूप में मान्यता दिए जाने के बाद भी पल्ल्वीत पुष्पीत होने का समुचित अवसर प्राप्त नहीं हो पाया है. कुड़माली के सर्वागीन विकास के लिए इसे संविधान की 8वीं सूची में शामिल करने की मांग की है. इस मौके पर दीपक पुनरिआर, अखिलेश्वर केशरियार, अनंत कँहाड़आर, जगरनाथ महतो, माथुर महतो, जगेश्वर महतो, तालेश्वर महतो, मणिलाल बसरियार, गंगाधर महतो, दुर्गाचरण कडुआर, रामु महतो, कृष्णा महतो, मिथुन कुमार महतो, प्रहलाद महतो, रूपलाल महतो सहित रांची, रामगढ, बोकारो के प्रतिनिधि उपस्थित थे.
