सोनपुर प्रखंड के एक बालू व्यापारी मुकेश रंजन ने बताया कि सरकार को यातायात नियमों में भारी जुर्माने की रकम न लेकर उसकी जगह सही तरह से शासन व्यवस्था बनाये तो यह कारगर जो सकता है।
अचानक से कोई भी कानून जनता के समक्ष ला कर रख दिया जाता है और यह उम्मीद भी करती है प्रशासन की जनता तुरंत ही इसका पालन भी करने लगे। लेकिन क्या यह संभव है। किसी भी कानून के निर्माण और उसके लागू होने से पहले जनता को जागरूक किया जाए तो किसी भी मामले में बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।
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इस बार हमने जनता की रिपोर्ट चर्चा मंच पर बात की चालान काटने की नई व्यवस्था के बारे में. जिसमें हमने लोगों से पूछा कि क्या चालान काटने सुधर जाएगी यातायात व्यवस्था? दोस्तों, यह सवाल इन दिनों देश के हर नागरिक के मन में उठ रहा है. क्योंकि बीते कुछ महीनों से देशभर में यातायात पुलिस वाहन चालकों के जोरशोर से चालान काट रही है. वैसे यह सख्ती यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए की गई लेकिन लोगों को यह समझ नहीं आ रहा है कि आखिर वाहन चालकों के कपड़े और चप्पल पहनने के तौर तरीके पर आपत्ति उठाने वाली यातायात पुलिस इसके जरिए कैसे वाहन दुर्घटनाओं पर काबू पा सकती है? यातायात पुलिस के इस रवैए पर हमने जनता से उनकी राय जानी। लोगों को नियमों का पालन करने से परहेज नहीं है, लेकिन बदले में वे अच्छी सड़कें और ट्रैफिक जाम से मुक्ति चाहते हैं। अगर आप भी इस विषय पर अपना पक्ष रखना चाहते हैं तो अपनी बात हमारे साथ साझा करें। अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में दबाएं नम्बर तीन। इसके साथ ही अन्य रोचक जानकारियों के लिए सुनते रहें मोबाइलवाणी एप।
यातायात व्यवस्था के संदर्भ में रवि कुमार का वक्तव्य
इस बार जनता की रिपोर्ट चर्चा मंच का विषय है— क्या चालान कटने से सुधर जाएगी यातायात व्यवस्था? जिसमें हम आपसे जानना चाहते हैं कि क्या यातायात पुलिस की इस सख्ती से लोगों का भला होगा, या सिर्फ पुलिस विभाग मालामाल होगा? क्या आपको नहीं लगता कि सफर को सुरक्षित करने के लिए हेलमेट और सीट बेल्ट से ज्यादा जरुरी अच्छी सड़कों का होना हैं? अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर तीन और इस कार्यक्रम को ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर करें.