बिहार राज्य के नालंदा जिला के एकंगरासरया प्रखंड से राहुल कुमार जीविका मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है,की मैं तमिल नही जानता था तो मुझे बहुत दिक्क्तों का सामना करना पड़ता था। मैं शुरू में जब वहा गया तो रहने,खाने,पानी और अच्छे काम का समस्या हुआ। लेकिन मैं उन से रिलेशन बना कर धिरे-धिरे तमिल सीखा,और अब हमारी दिकते कम हुई।
कृष्णदेव शर्मा ने जीविका मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है,की यहाँ से बाहर हम अपने परिवार को छोड़ कर जाते है,वहाँ से पैसा भेजते है,उसी से परिवार का देख रेख होता है,जहाँ हम रहते है,वहाँ का आवासीय नही रहने से वहाँ के योजनाओ का लाभ नही मिल पाता है,हम बाहर रहते है और परिवार तक जानकारी नही पहुचने के कारण सरकार द्वारा चल रही योजनाओं का लाभ परिवार नही उठा पता है।
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मधुबनी जिला के खुटौना प्रखंड से संतोष कुमार जी कहते हैं रेनू कुमारी जी के साक्षात्कार पता चलता कि मुंबई में भी आज बड़ी उम्मीदें के साथ लोग पहुंचते हैं लेकिन जब वहां पहुंचने के बाद इसकी सपने चकनाचूर हो जाता है या तो वह अच्छी नौकरी नहीं कर पाते हैं अगर अच्छी नौकरी मिलती है तो काम ज्यादा करवाते हैं जिसके कारण उत्तर भारतीय अपनी मेहनत के बल पर मोटी रकम को कर पाते हैं लेकिन उन्हें तरह-तरह की भाषा के दूसरों पर भी किया जाता है दूसरी तरफ उत्तर भारतीय को लगता है कि अगर शहर हम पहुंच गए तो कुछ अच्छी कमाई करके जाए जिसके लिए अनाप-शनाप रेट पर वहां पर काम करने लगते हैं जिसका यहां जो वहां के लोग मुकदमे को लगता है भाषा के साथ साथ दूसरी यात्रा भी देते हैं इसका नतीजा होता है उसे शहर छोड़ कर गांव की तरफ आ जाना अगर सरकार दिन में सपने सजी हुई रह जाती है और फिर अपने वतन को वापस आ जाते हैं तो मैं सरकार से गुजारिश करता हूं कि कल कारखाना एवं गांव में उचित रोजगार मुहैया कराए जाएं तो रेनू कहती है कि उनसे अच्छा दूसरा वेतन नहीं होता है धन्यवाद
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