जिला मधुबनी,से रामानंद सिंह जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि मधुबनी जिले के नदियों के जलस्तर में जहाँ कमी होने की खबर मिल रही है, वहीं हरी सब्जियों सहित प्याज और आलू की कीमतें आसमान छूने लगी है।बाढ़ के कारण लोगो को ह्री सब्जियां उपलब्ध नहीं हो रही है जिस कारण अभी सभी सब्जियाँ बाज़ारों में ऊँचे दामों में बिक रही है।किसानो ने भी खरीफ धान की उत्पादन से निराशा जाहिर किया है।राजनगर के किसानो का कहना है की इस वर्ष बिचड़ा भी नहीं बचा है और रोपे गए धान भी गल चुके है। ऐसी स्थिति में खरीफ धान के उत्पादन नहीं होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।और जहाँ कहीं भी बिचड़ा मिल रहा है वह तीन से चार हजार रुपये प्रति कट्ठा मिल रहा है।इस स्थिति में किसानो का कहना है की खर्च के बाद उत्पादन से कोई लाभ नहीं होगा।यहाँ पर तीन-चार दिनों से बारिश नहीं हो रही है फिर भी टोलों-मुहल्लों में आज भी पानी जमा हुआ है।मधेपुर प्रखंड की स्थिति तो और भी ख़राब है यहाँ नाव की अनुपब्लधता के कारण घरो से निकलना समस्या बना हुआ है।यहाँ तक की शौच जाने की जगह भी कहीं नजर नहीं आ रही है।लोगो को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। हालाकिं प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ काम कर रही है।

जिला मधुबनी प्रखंड साहरघाट से राम नरेश ठाकुर जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रो के लोगो को इस बार पर्व करने में काफी परेशानियां हो रही है।मिथिलांचल में देखा जा रहा है कि घर घर में तीज और सुखी -शांति का पर्व हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता था। लेकिन बाढ़ से पीड़ित गरीब तबके के मजदूरों और किसानों को पर्व करने में आज बहुत समस्या हो रही है।लोगो के घरो में खाने तक के लिए अनाज नहीं है।साहरघाट में तीन दिनों पूर्व से सरकार ने सभी एटीएम पर लगा दिया है ताला जिससे लोग परेशान और हैरान है।बाढ़ के कारण किसानों की लगायी हुई हरी सब्ज़ियाँ बर्बाद हो गयी है जिससे मंडियों में सब्जियों के भाव गिर गए है।

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जिला मधुबनी प्रखंड मधवापुर से राजकिशोर यादव जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि मधवापुर प्रखंड के लोगों कि धान की फसल बाढ़ के पानी से बर्बाद हो गयी है।किसान अपनी कि हुई खेती का नुकसान को देखकर अपने सर पर हाथ रखकर मूर्छित हो जाते है, मायूस होकर अपने खेतो से घर चले आते है।किसानों द्वारा अपनी लागत एवं मेहनत लगाकर धान का फसल किया गया था। किसानों का दाना गया साथ ही मवेशियों का चारा भी चला गया।छोटे किसानो द्वारा कर्ज लेकर फसल किया गया था ,वे इस बाढ़ के कारण ना घर के रहे और न घाट के।अब देखना यह है कि सरकार किसान के लिए क्या कदम उठाती है।

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