बिहार राज्य के मुंगेर जिले ,से विपिन कुमार जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि मुंगेर प्रखंड क्षेत्र में प्रतिमाह लाखो खर्च के बाद भी मुंगेर शहर की सफाई एवं पेयजल व्यवस्था को लेकर मुंगेर नगर निगम के दर्जनों पार्षदों ने नगर प्रशासन को सीधे तौर पर चेतावनी दी है और कहा है की यदि दस दिन के अंदर इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वो सड़क पर उतरेंगे।कई पार्षदों ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षर युक्त आवेदन देकर नगर आयुक्त से कहा है कि वर्तमान समय में निगम प्रशासन की लचर कार्यशैली के कारण मुंगेर शहर की स्थिति नारकीय बनती जा रही है।अधिकतर समरसेबल एवं चापाकल ख़राब रहने के कारण गर्मी के मौसम में लोगों को पेयजल की समस्या से भी जूझना पड़ रहा है। इस समस्या का जल्द ही निराकरण किया जाये।
बिहार राज्य के मुंगेर जिले ,से विपिन कुमार जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि मुंगेर प्रखंड क्षेत्र में गर्मी बढ़ने के साथ ही वार्ड नंबर-5 के विभिन्न इलाकों में जल संकट गहराने लगा है।इस कारण लोगो को जरुरत के अनुसार पानी नहीं मिल पा रही है। गर्मी में पानी की खपत ज्यादा होने के कारण यह समस्या विकराल रूप लेती ही जा रही है।साथ ही वार्ड नंबर-5 शेरपुर शिशु संस्कार भारती के सामने जो समरसेबल है वह पिछले तीन माह से ख़राब पड़ी हुई है।
बिहार राज्य के मुंगेर जिले से विपिन कुमार जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि मुंगेर प्रखंड क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिए जाने को लेकर शिक्षा विभाग द्वारा किये जा रहे प्रयास का असर नहीं दिख रहा है।शैक्षणिक सत्र शुरू हो जाने के बाद भी अबतक किताब उपलब्ध नहीं कराया गया है।सत्र शुरू हुए एक माह से भी अधिक समय बीत चूका है ऐसे में सरकारी स्कूलों के बच्चों का किताब के बिना पढ़ाई बाधित हो रही है। मुंगेर प्रखंड क्षेत्र के प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में लगभग 25 हजार से भी ज्यादा बच्चे है।हालांकि कुछ बच्चे पुराणी किताबों से काम चला रहे है।लेकिन पुराने किताबों के पन्ने फटे होने के कारण पढ़ाई बाधित हो रही है।साथ ही बाज़ारों में किताबें भी नहीं मिल रही है।सोचने की बात ये है की अगर बच्चों को किताबें ही नहीं मिलेगी तो उनकी पढ़ाई कैसे पूरी होगी।शिक्षा विभाग को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।
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बिहार राज्य के मुंगेर जिला से विपिन कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि देश की पचास करोड़ आबादी के लिए पांच लाख का स्वास्थ्य बीमा वास्तव में बहुत बड़ी आकर्षण योजना है। यह देखा जाता है, कि यदि कोई गरीब परिवार में कोई बीमार हो जाते हैं तो उसकी इलाज कराने में लोग अपनी जमीन घर बेच देते हैं। मगर आज भ्रष्ट आचरण के इस ज़माने में गरीब होते हुए भी गरीब साबित करना एक मुश्किल भरी बात हो जाती है। उदाहरण के लिए- राशन कार्ड योजना में जब कोई पैसे नहीं देते हैं तो उनका कार्ड नहीं बनाया जाता है। और गरीब जनता इस योजना से वंचित नजर आते हैं। उसी प्रकार यदि स्वास्थ बीमा योजना में भी ऐसी गड़बड़ियां होती है, तो इस योजना को लागु करने का कोई फायदा नहीं हो पाएगा। अतः इस योजना की सफलता केवल इसके क्रियान्वयन पर ही निर्भर है।
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बिहार मुंगेर जिला,से बिपिन कुमार जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि मुंगेर प्रखण्ड क्षेत्र में इन दिनों बैंको के द्वारा खातों में न्यूनतम राशि रखे जाने की बाध्यता तय किये जाने के बाद गरीबों को ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।दरअसल इनके खातों में ज्यादा पैसे नहीं होते है।और ये अपनी जरुरत के अनुसार छोटी-छोटी राशि निकालते और उसका उपयोग करते है।इसलिए सरकार को सोच-विचार कर न्यूनतम राशि का फैसला लेना चाहिए। क्योंकि गरीब लोगों के पास इतना पैसा कहां से आएगा।और इस फैसले की मार अमीरो पर तो नहीं लेकिन गरीबो पर ज्यादा पड़ेगी।गरीबो के पास तो इतना पैसा होता ही नहीं है की वे अपने खातों में तीन हजार रुपये छोड़ सके।इस समस्या को लेकर लोगो में बहुत ज्यादा खलबली मची है।
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