*समस्तीपुर की दो बेटियों को मिला राज्य स्तरीय सम्मान, किया नाम रौशन बाल विवाह मुक्त भारत अभियान का हिस्सा बनकर* जवाहर ज्योति बाल विकास केन्द्र, क्राई-चाइल्ड राइट्स एंड यू, बचपन बचाओ आंदोलन और कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के प्रयास से सरायरंजन प्रखंड के अख्तियारपुर गांव की अंजना कुमारी और उजियारपुर प्रखंड के चांदचौर रामनगर की प्रियंका कुमारी को महिला एवं बाल विकास निगम, समाज कल्याण विभाग, बिहार सरकार द्वारा बिहार सरकार के समाज कल्याण मंत्री माननीय मदन सहनी के हाथों किया गया सम्मानित। मौका था राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर बिहार सरकार के द्वारा बाल विवाह से मुक्त होकर स्कूल जानें वाले बच्चों का हौंसला बढ़ाने के लिए आयोजित सम्मान समारोह का। अख्तियारपुर गांव की अंजना कुमारी और चांदचौर रामनगर गांव की प्रियंका कुमारी बनी ब्रांड एम्बेसडर जिन्होंने अपनीं पढ़ाई पुरी करनें के लिए बड़ी बहादुरी का परिचय देते हुए कम उम्र में होनें वाली शादी को नकार दिया। महिला और बाल विकास निगम, समाज कल्याण विभाग, बचपन बचाओ आंदोलन के द्वारा समझ में बिहार के ऐसे आयोजित राज्यस्तरीय सम्मान समारोह में बिहार के ऐसे 9 लड़कियों और 2 लड़कों को सम्मानित किया गया। मौके पर उपस्थित समाज कल्याण विभाग, बिहार सरकार के माननीय मंत्री मदन सहनी, महिला एवं बाल विकास निगम की प्रबंध निदेशक वंदना प्रेयसी, कार्यपालक निदेशक अलंकृता पाण्डेय, निदेशक राजीव शर्मा, समाज कल्याण विभाग के सचिव प्रेम सिंह मीणा, बचपन बचाओ आंदोलन के स्टेट हेड डॉ संतोष कुमार दूबे, स्टेट कार्डिनेटर अरजित अधिकारी, स्टेट कन्वेनर मुख्तारुल हक, यूनिसेफ, पटना के बंकु सरकार और जवाहर ज्योति बाल विकास केन्द्र की ओर से पप्पू यादव, वीभा कुमारी, सुवंश कुमार ठाकुर, सुनयना कुमारी तथा दोनों बहादुर बेटियों के माता-पिता अर्जून पासवान, कमली देवी, कारो देवी व रघुवीर दास उपस्थित थे। अंजना कुमारी नें समारोह को संबोधित करते हुए अपनीं आपबीती सुनाई और कहीं कि जवाहर ज्योति बाल विकास केन्द्र के अथक प्रयास से हीं हमारे माता-पिता संवेदनशील हुए और मेरी कम उम्र में जब मैं नौंवी कक्षा में पढ़ाई कर रही थी तब मेरी शादी होने वाली थी, आज हमारी मां गांव की दूसरे बेटियों को भी बाल विवाह के कुप्रभावों के बारें में बताकर उन्हें जागरूक करती हैं। कमली देवी नें बताया कि उनकी शादी भी बहुत हीं छोटी उम्र में हो गई थी, कम उम्र की शादी का दर्द और परिणाम की खुद हीं भुक्तभोगी रहीं। फिर भी समाज में गहराई से व्याप्त अशिक्षा, गैर-बराबरी और गरीब वंचित परिवार की लड़कियों के प्रति बड़े लोगों की नजरिया हम गरीब परिवारों को बाल विवाह के लिए मजबूर कर देती है। बेटियों के साथ अक्सर होनें वाली हिंसा, किसी अनहोनी के भय से हम बेटियों को कम उम्र में शादी कर देते हैं। लेकिन जवाहर ज्योति बाल विकास केन्द्र जैसी खुशहाल बचपन के लिए काम करने वाली संस्था नें हम सबका हौसला बढ़ाया है, हमारी बेटियां भी संस्था के विभिन्न गतिविधियों में शामिल होती रही है और आज जब हमारी जैसी अन्य बहादुर बेटियों को सरकार नें बाल विवाह से खुद को बचाने के लिए सम्मानित किया है इसे देखकर हमें काफी गर्व महसूस हो रहा है। कारो देवी नें बताया कि जिस दिन संस्था वालों के साथ उजियारपुर थाना और प्रखंड से साहब लोग आकर हमारी बेटी का शादी रूकवाया था, उस दिन हम सभी परिवार के लोग काफी देर तक रोते रहे, बहुत बुरा लगा था हमें, लेकिन आज पटना आकर अपनीं बेटी का सम्मान देखकर महसूस हुआ कि हमारे साथ अच्छा हुआ और मेरी बेटी भी अब अफ़सर बनेगी। उसका भी सपना साकार होगा।