खानपुर/समस्तीपुर:-प्रखंड क्षेत्र का आज भी एक ऐसा बस्ती है, जहां के बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं।दर्जनों बच्चों का भविष्य आज भी खेलकूद में सिमट कर रह गया है।मामला भोरेजयराम पंचायत के ताल एघरा गांव के वार्ड 9 स्थित भोला सहनी बस्ती की बताई जा रही है।यह बस्ती भोरेजयराम पंचायत का हिस्सा है, लेकिन यह एक सुनसान चौर में बसी है।बस्ती के पूर्वज भोला सहनी के नाम से गांव व्याख्यात है।बताया गया कि जिस उम्र में बच्चों को स्कूल भेजने की जरूरत है, उस उम्र में बच्चे खेलने में मशगूल रहते हैं।बीडीओ गौरी कुमारी जब बस्ती पहुंचे तो वहां की वाकया देख सन्न रह गए।सरकार के द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में कई योजनाएं संचालित होने के बाद भी यहां के बच्चे शिक्षा की प्रकाश से कोसों दूर खड़े हैं।बीडीओ ने बच्चों से पूछताछ की तो बच्चों ने बताया कि हमलोग स्कूल भी नहीं देखें हैं।जब बच्चों के माता पिता से पूछा गया तो कोई सटीक जवाब नहीं दे पाई।कई अविभावक ने बताया कि घर पर ही ट्यूशन पढ़वाते हैं।बच्चों से जब पूछा गया तो बच्चों की भीड़ में शामिल अधिकतर बच्चे को अ, आ का ज्ञान भी नहीं था।विडंबना कही जाय कि देश आजादी से लेकर आज तक इस बस्ती में कोई भी मैट्रिक पास भी नहीं है।माता-पिता भी शिक्षित नहीं हैं।बताया गया कि ताल एघरा में प्राथमिक विद्यालय है, लेकिन बच्चे वहां पढ़ने नहीं जाते हैं।अविभावकों का बताना है कि घर से स्कूल दूर है, इसलिए बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं।सूत्रों की माने तो कुछ बच्चे तीसरी, चौथी व पांचवीं कक्षा तक आधी-अधूरी पढ़ाई कर स्कूल जाना छोड़ दी है।विडंबना कही जाय कि शिक्षा के क्षेत्र में पोशाक, छात्रवृति, एमडीएम, पुस्तक आदि जैसी योजनाएं संचालित होने के बाद भी बच्चे ज्ञान से दूर हैं।बीडीओ ने बच्चों के स्कूल नहीं जाने पर काफी चिंता जताई।इस दौरान उन्होनें स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों के माता-पिता को कई महापुरुषों व विद्वानों की उदाहरण देते हुए शिक्षा की महत्व को बारीकी से बताया।उन्होंने कहा कि शिक्षा के बिना मनुष्य पशु के समान है।कई ऐसे उदाहरण देकर बच्चों के माता-पिता को जागरूक करते हुए बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं करने की सलाह दी।बीडीओ ने बताया कि वैसे माता-पिता पर भी कार्रवाई की जाएगी, जो अपने बच्चे को स्कूल नहीं भेजेंगे।