"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा पौधों में बोरोन की कमी और अधिकता के लक्षण के बारे में जानकारी दे रहे हैं । अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें
सुनते है बच्चों के लिए बना ये प्यारा सा गाना, जिसमें बात हो रही है सेहतमंद खाने और साबुन से हाथ धोने की। ये गाना आपके बच्चों को कैसा लगा? आप अपने बच्चों को किस तरह का पौष्टिक खाना देते है? क्या आप उन्हें खाने से पहले साबुन से हाथ धोने के लिए कहते है? हमें बताएं फोन में नंबर 3 दबाकर।
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"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विशेषज्ञ जीव दास साहू , मानसून पूर्व पौधो की नर्सरी लगाने के बारे में जानकारी दे रहे हैं।नर्सरी लगाने में किसानों को कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है। इसकी पूरी जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें.
सुनिए डॉक्टर स्नेहा माथुर की संघर्षमय लेकिन प्रेरक कहानी और जानिए कैसे उन्होंने भारतीय समाज और परिवारों में फैली बुराइयों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई! सुनिए उनका संघर्ष और जीत, धारावाहिक 'मैं कुछ भी कर सकती हूं' में...
बिहार राज्य के मधुबनी जिला से टेक नारायण ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत में महिलाओं के लिए भूमि का अधिकार के कानून तो बन गए लेकिन अभी तक महिलाएं भूमि के अधिकार से काफी पीछे है बताते चलें कि महिलाएं भी सशक्त नहीं है और अधिक महिलाओं को इस कानून की जानकारी भी नहीं है जिससे वह अपने अधिकार के लिए लड़ सके। सबसे पहले लड़कियों को शादी कर दी जाती है और फिर अपने ससुराल चली जाती है लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि जितना लड़के का अधिकार है उतना लड़कियों का भी अधिकार है। नतीजा ना तो वह सुदृढ़ हो पाती है और न फिर इसके लिए अपने अधिकार के लिए लड़ पाती है। समाज का बंधन, भाई बहनों के रिश्ता ,इतिहास बहुत से कारण है जिसके कारण लड़कियां अपने पिता माता को ही देखते रह जाती है और फिर अपने अधिकार से वंचित रह जाती है राजीव की डायरी से बहुत ही बातें निकाल करके आई है जिससे महिलाओं में अभी तक भूमि से वंचित दिख रही है कुछ जगह जागरूकता आई है तो फिर लगभग 90% महिलाएं इसको जानती ही नहीं है और अपना अधिकार भी लेना नहीं जानती। नतीजा है कि अभी तक महिलाओं को भूमि का अधिकार नहीं मिला है।
मधुबनी शनिवार जनसंस्कृति मंच, मिथिलांचल के तत्वावधान में आयोजित कबीर-नागार्जुन जयंती समारोह (21जून-30जून) के दूसरे दिन आज जेठ पूर्णिमा (22जून, 2024) को यात्री-नागार्जुन के जन्मस्थान हुसैनपुर सतलखा,मधुबनी अवस्थित नागार्जुन प्रतिमा स्थल पर बिहार राज्य उपाध्यक्ष कॉ कल्याण भारतीय की अध्यक्षता में "हमारा समय और कबीर एवं नागार्जुन की विरासत "विषय पर संगोष्ठी के साथ भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम हुआ। मौके पर जसम के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ सुरेंद्र सुमन ने कहा कि कबीर और नागार्जुन भारतीय क्रांति के उद्गाता कवि हैं।जब तक शोषण-उत्पीड़न और दमन पर आधारित व्यवस्था रहेगी तब तक कबीर और नागार्जुन की प्रासंगिकता अक्षुण्ण रहेगी।कबीर और नागार्जुन अपने-अपने समय में जिस ब्राह्मणवादी-सामंती-पूंजीवादी सत्ता से मुठभेड़ कर रहे थे, वह आज बर्बर फासिस्ट सत्ता के रूप में उपस्थित है।जब तक इस फासिस्ट सत्ता को ध्वस्त नहीं किया जाएगा तब तक कबीर और नागार्जुन के सपनों का भारत नहीं बन सकता है।" मौके पर जसम के राज्य उपाध्यक्ष डॉ राम बाबू आर्य ने कहा कि कबीर और नागार्जुन के सपनों का भारत बनाने के लिए गांव-गांव में घूम-घूमकर जन सांस्कृतिक अभियान चलाना होगा। मिथिला के जाने-माने साहित्यकार काॅ झोली पासवान ने कहा कि कबीर और नागार्जुन की क्रान्तिकारी विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प लेना होगा तभी शोषण मुक्त भारतीय समाज का निर्माण होगा। जसम राज्य उपाध्यक्ष काॅ कल्याण भारती ने कहा कि कबीर और नागार्जुन की रचनाओं के साथ देश भर में अलख जगाने की जरूरत है। इस अवसर पर नागार्जुन के ममेरे भाई नरेंद्र झा एवं धर्मेश झा के अलावे मधुबनी जसम जिला संयोजक काॅ अशोक पासवान, सीपीआई बिस्फी के अंचल मंत्री काॅ महेश यादव, भाकपा माले के मनीष कुमार मिश्रा, जसम दरभंगा के सह सचिव डॉ संजय कुमार , काॅ राम नारायण पासवान ऊर्फ भोला जी, रूपक कुमार, राजेंद्र यादव, घूरन मंडल, गंगा प्रसाद यादव, रंजीत कुमार यादव, शीला मिश्रा, मो॰ शकील, प्रमोद कुमार यादव सहित कतिपय लोगों ने बाबा नागार्जुन की प्रतिमा पर माल्यार्पण किए एवं अपने-अपने विचार रखे। जनवादी गीतों की प्रस्तुती काॅ अशोक पासवान एवं काॅ भोला जी ने की। कार्यक्रम के उपरान्त प्रस्तावित यात्री-नागार्जुन शोध संस्थान के निर्माण हेतु एक ग्यारह सदस्यीय कमिटी का गठन किया गया। बैठक में उपस्थित नागार्जुन के ममेरे भाई श्री धमेश्वर झा सुनील और श्री नरेन्द्र झा ने नागार्जुन शोध संस्थान के लिए गठित कमिटी के नाम से यथाशीघ्र डेढ़ कट्ठा जमीन रजिस्ट्री करने की घोषणा की।
"गांव आजीविका और हम" कार्यक्रम के तहत हमारे कृषि विशेषज्ञ कपिल देव शर्मा जैविक कीटनाशक ब्यूवेरिया बेसियाना के बारे में जानकारी दे रहे हैं । अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें
महिलाओं के मामले में, भूमि अधिकारों की दृष्टि से कई चुनौतियाँ होती हैं। भारतीय समाज में, महिलाएं अक्सर अपने परिवार और समुदाय के साथ रहती हैं और उन्हें भूमि अधिकारों की पहुँच से दूर रखा जाता है। सामाजिक प्रतिष्ठा, संस्कृति और कानूनी प्रवृत्तियाँ ऐसे होती हैं जो महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित कर सकती हैं। इसके अलावा, ऐसे कई सामाजिक तौर तरीके और मान्यताएँ हैं जो महिलाओं को भूमि के मामलों में उनके अधिकारों की प्राप्ति में अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। तो दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- महिलाओं के लिए भूमि अधिकारों क्यों ज़रूरी है और उसका क्या महत्व हैं? *----- महिलाओं को भूमि अधिकारों तक पहुंचने में कौन सी बाधाएं आती हैं? *----- महिलाओं के सशक्त होने के लिए समाज का उनके साथ खड़ा होना ज़रूरी है लेकिन ऐसा किस तरह हो सकता है? *----- आपके हिसाब से महिलाओं के सशक्त होने से समाज में किस तरह के बदलाव देखने को मिल सकते हैं?
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