जिले में कम प्रतिशत मतदान को लेकर मतदाता को जागरूक करने के लिए आईसीडीएस के द्वारा जागरूकता अभियान की शुरुआत की गई डीपीओ मधुबनी आईसीडीएस ने बताई है कि लोगों में जागरूकता फैलाने को लेकर के यह है आईसीडीएस के सेविका सहाय का परिमेय का के द्वारा विभिन्न विद्यालयों एवं प्रखंड मुख्यालय में जागरूकता रैली की आयोजन की गई है।

जिले में स्वच्छ, निष्पक्ष एवम पारदर्शी निर्वाचन की प्रकिया को संचालित करने को लेकर समाहरणालय स्थित सभागार में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की उपस्थित में द्वितीय चरण के झंझारपुर लोकसभा के ईवीएम का रेण्डमाइजेशन किया गया। द्वितीय रेण्डमाइजेशन के उपरांत* *अब ईवीएम का आवंटन मतदान केन्द्रवार सम्पन्न हुआ।इसके पूर्व नोडल पदाधिकारी द्वारा सभी उपस्थित प्रत्याशियों एवम राजनीतिक दल के प्रतिनिधियों को पूरी* *रेण्डमाइजेशन की प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी दी।* *सामान्य प्रेक्षक-07 झंझारपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के सामान्य प्रेक्षक पी. मधुसुधन रेड्डी* *निर्वाची पदाधिकारी-07 झंझारपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र शैलेश कुमार* , *नोडल पदाधिकारी ईवीएम कोषांग बालेन्दु नारायण पाण्डेय सहित चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी उपस्थित थे।

बिहार राज्य के मधुबनी जिला से काजल कुमारी ने स्थानीय निवासी पिंकी कुमारी से मोबाइल वाणी के माध्यम से बेटी बचाव बेटी पढ़ाओ के विषय में बात चित की। पिंकी ने बताया कि हमारे समाज में पहले बेटियों को नहीं पढ़ाया जाता था। बेटी को इसलिए नहीं पढ़ाया जाता था क्योंकि पहले बेटियाँ घर से नहीं निकलती थी। उन्हें चारदीवारी के बाहर जाने की अनुमति नहीं थी, लेकिन अब हमारे समाज में बेटियों को पढ़ाया जा रहा है

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बिहार राज्य के मधुबनी जिला से टेक नारायण कुशवाहा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि इससे पहले हमारे देश के समाज में बेटियों को नहीं पढ़ाया जाता था, उन्हें चार दीवारों तक सीमित कर दिया जाता था। उसे घर से बाहर नहीं निकलने दिया गया। पढ़ाने की बात बहुत दूर है। बेटियों को कोई नहीं पढ़ाता था, लेकिन लोग अपने बेटों को पढ़ाते थे। लंबे समय के बाद देखा गया है कि हमारे समाज में बेटियां पढ़ाई कर रही हैं। धीरे-धीरे हमारे समाज में बहुत बदलाव आया है, जहाँ बेटियों को वहाँ भी नहीं पढ़ाया जाता था

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बिहार राज्य के मधुबनी जिला से टेक नारायण कुशवाहा ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ कार्यक्रम कागज पर भ्रूण हत्या की जा रही है धरने से अल्ट्रासाउंड खुलने जा रहा है जहां पर भ्रूण की जांच होती है और बेटियों को समाप्त कर दिया जाता है दूसरी तरफ बेटी के पढ़ने में लोगों की उदासीनता देखी जा रही है जहां पर लड़कों पर खर्च किए जा रहे हैं वही बेटियों के प्रति लोग उदासीन हैं नतीजा है बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए सारी कोशिश से खत्म की जा रही है सरकार इस पर करोड़ों रुपए खर्च करती है विज्ञापन और इस कार्यक्रम को धरती पर उतरने के लिए लेकिन साफ स्पष्ट रूप में देखा जा सकता है कि अभी तक यह कार्यक्रम धरती पर उतरा नहीं गया है नतीजा है बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ कार्यक्रम अभी भी लोगों से दूर है या खासकर यह कहें कि बेटियों से दूर है।